चंडीगढ़, 27 सितम्बर:
पंजाब के मुख्यमंत्री स. चरणजीत सिंह चन्नी ने तीन कृषि कानूनों के खि़लाफ़ विरोध के तौर पर संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा दिए गए भारत बंद के बुलावे के मद्देनजऱ आज नव-गठित मंत्री-परिषद की आपात बैठक बुलाई। इस दौरान मंत्री मंडल ने एक प्रस्ताव पास करके किसानों और उनकी माँगों के प्रति एकजुटता प्रकट की।
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इन कानूनों को किसान विरोधी और खाद्य सुरक्षा विरोधी करार देते हुए स. चन्नी ने कहा कि यह कानून किसानों की रोज़ी-रोटी और उनकी आने वाली पीढिय़ों के लिए बढ़ा ख़तरा है। मुख्यमंत्री ने दृढ़ संकल्प लेते हुए कहा कि इससे पहले इन काले कानूनों को रद्द करने के लिए राज्य के किसानों की माँग की हिमायत में पंजाब विधान सभा द्वारा पास किए गए प्रस्तावों को भारत सरकार द्वारा इस माँग को बिना किसी देरी के स्वीकार कर लेना चाहिए।
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बताने योग्य है कि इससे पहले राज्य सरकार, पंजाब विधान सभा के 28 अगस्त, 2020 और 20 अक्टूबर, 2020 को पास किए गए प्रस्तावों के प्रति स्पष्ट रूप में प्रतिबद्धता दोहरा चुकी है और इस बात पर ज़ोर दिया कि किसानों की सभी जायज़ माँगों को स्वीकार किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार को भारत के संविधान के मुताबिक कृषि प्रांतीय विषय होने के कारण कृषि कानून रद्द करने और न्युनतम समर्थन मूल्य को वैधानिक अधिकार बनाने के लिए कहा।
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केंद्रीय कानूनों पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का स्वागत किया, जो कृषि कानूनों के खि़लाफ़ पंजाब के किसानों के सरोकारों को मान्यता देते हैं और किसानों की पीड़ा और रोष का इज़हार करता है। सभी हिस्सेदारों के साथ खुली बातचीत करने और सलाह-मश्वरे का रास्ता अपनाने की ज़रूरत है, क्योंकि इन कानूनों से देश भर में लाखों किसानों का भविष्य प्रभावित होता है और किसानों की सभी जायज़ माँगों को स्वीकार किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्रीय कानूनों पर स्टे देने के आदेश का स्वागत है कि जिसको पंजाब के किसानों की चिंताओं की स्वीकृति के तौर पर मानते हैं, जो कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, और उनके दर्द और पीड़ा का इज़हार करते हैं।
काले कृषि कानूनों के खि़लाफ़ चल रहे संघर्ष के दौरान जान गंवा चुके किसानों के परिवारों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री ने इनका भरोसा जीतने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया, क्योंकि कांग्रेस सरकार पहले दिन से ही किसानों की माँगों के हक में हमेशा डटकर खड़ी है, जब से भारत सरकार ने यह किसान विरोधी कानून उन पर थोपे हैं। उन्होंने सभी मंत्रियों को मृतक किसानों के घरों में निजी तौर पर जाकर उनके पारिवारिक सदस्यों को सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र देने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि तकरीबन 155 ऐसे नियुक्ति पत्र तैयार हैं और इनको एक हफ़्ते के अंदर-अंदर सौंपा जाना चाहिए। उन्होंने मुख्य सचिव को बाकी ऐसे मामलों की पड़ताल भी जल्द किए जाने को सुनिश्चित बनाने के लिए कहा, जिससे योग्य वारिसों को सरकारी नौकरियाँ देने की प्रक्रिया मुकम्मल की जा सके।
विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा अधिग्रहित की गई भूमि के मद्देनजऱ उपयुक्त मुआवज़ा न मिलने के कारण किसानों के दरमियान बड़े स्तर पर पाए जा रहे व्यापक आक्रोश का संज्ञान लेते हुए स. चन्नी ने मुख्य सचिव को कहा कि मुआवज़े की राशि को तर्कसंगत बनाने के लिए तरीके तलाशे जाएँ, जिससे किसानों को उनकी संतुष्टि के मुताबिक राशि मुहैया करवाई जा सके।
-Nav Gill