पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज जलियांवाला बाग दुःखांत के गुमनाम नायकों और उनके परिवारों को एक कविता सालां बाद भी, (हम) शहीदों दा दर्द सीनेे विच संजो रखिया है’ के द्वारा भावुक श्रद्धांजलि देते वर्चुअल तौर पर अमृतसर में जलियांवाला बाग शताबदी यादगारी पार्क का नींव पत्थर रखा।
भारत की आजादी के लिए अपनी जानें न्यौछावर करने वाले शहीदों को याद करते हुये मुख्यमंत्री ने यह यादगार स्थापित करने के लिए राज्य सरकार की अलोचना करने वालों पर बरसते हुये कहा कि हर पंजाबी को इस अतुल दुःखांत को याद करने का हक है जिसने आजादी के संघर्ष में अपना योगदान डाला। शताबदी समारोह के जश्नों को एक खुशी भरा मौका बताते हुये उन्होंन कहा कि वह जलियांवाला बाग में करवाए जाने वाले ऐतिहासिक समागम के राष्ट्रीय स्तर के जश्नों में भी हिस्सा लेंगे।
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इस मौके पर मुख्यमंत्री ने गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी (जीएनडीयू) में जलियांवाला बाग चेयर स्थापित करने और दुनिया के सबसे बड़े मानवीय दुखांत में से एक इस दुखदायक घटना में अपनी जानें गवाने वालों की याद को समर्पित एक साहित्यक समारोह का ऐलान किया। उन्होंने हत्याकांड सम्बन्धी रुखशन्दा जलील की कविता की स्तरों भी पढ़ी, ‘आसमान यहाँ हर रोज रोने के लिए आता है, तीर अभी भी पंजाब के सीने को चीरते हैं।’
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस हत्याकांड में हुई मौतों की सही आकंड़ा अभी पता नहीं लग सका। उन्होंने पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी को यह यकीनी बनाने के लिए कहा कि पूरे आंकड़ों की जाँच-पड़ताल की जाये जिससे सही गिनती का पता लगाया जा सके और उनके गाँवों में छोटी यादचिन्हें स्थापित की जाएँ। जनरल डायर की तरफ से वहां इकठ्ठा हुए 5000 लोगों में से 200-300 मौतों के आंकड़ों से सम्बन्धी दिए हवाले के बारे जिक्र करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि गांधी जी ने 1500 मौतों का हवाला दिया था, जिनमें से सिर्फ 492 शहीदों के नाम मौजूद हैं।
उन्होंने काला पानी में सेलुलर जेल के अपने दौरे को याद किया जहाँ बहुत से पंजाबियों के नाम थे जिनके बारे किसी को नहीं पता। उन्होंने श्री चन्नी को इन शहीदों की संपूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए निर्देश दिए। उन्होंने ऐलान किया कि पंजाब सरकार की तरफ से राज्य में इन शहीदों के लिए यादचिन्हों का निर्माण किया जायेगा।
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इस मौके पर पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने जिला प्रशासन अमृतसर की तरफ से शिनाख्त किये जलियांवाला बाग के शहीदों के 492 परिवारों में से 29 पारिवारिक सदस्यों को कलश और साल भेंट करके सम्मानित किया। शिनाख्त किये गए शहीदों में खुशी राम, हरी राम, सुन्दर सिंह पुत्र गियान सिंह, वासु मल, जय नारायण, गोपाल सिंह, तारा चंद, बिशन दास, बखशीश सिंह, प्रेम सिंह, बीबी हर कौर, दियाल सिंह, सुन्दर सिंह पुत्र नत्थू, ठाकुर सिंह, बूहड़ सिंह पुत्र तेजा सिंह, बूहड़ सिंह पुत्र देवा सिंह, झंडा सिंह, गंडा सिंह, नत्था सिंह, लक्ष्मण सिंह पुत्र हीरा सिंह, बिशन सिंह, लक्ष्मण सिंह पुत्र दियाल सिंह, बावा सिंह, अमी चंद, चेत सिंह, बुढ्ढा सिंह, सोहन सिंह, तारा सिंह और ईशर सिंह शामिल हैं।
जलियांवाला बाग शताबदी यादगारी पार्क, रणजीत ऐवीन्यू, अमृतसर के अमृत आनंद पार्क में 4490 वर्ग मीटर में बनाया जायेगा जो आने वाली पीढ़ीयों के लिए एक यादगार साबित होगा। इस यादगार को 3.52 करोड़ रुपए की लागत के साथ बनाया जायेगा। इस पवित्र यादगार को बनाने के लिए शहीदों के रिश्तेदारों या पंचायतों/सरपंचों/कौंसलरों के द्वारा लाई मिट्टी को शामिल किया जायेगा। इस विलक्षण यादगार को इस तरह डिजाइन किया गया है जैसे पाँच संगमरमर के पंख आसमान में को छू रहे हांे। इस यादगार के 15 अगस्त, 2021 तक तैयार होने और लोगों को समर्पित किये जाने की उम्मीद है। नौजवान को इस दुखदायी घटना के साथ जोड़ने के मकसद से वैसाखी के नजदीक जी.एन.डी.यू. की तरफ से साहित्यिक समागम आयोजत किया जायेगा।
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इस मौके पर पर्यटन और सांस्कृतिक मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने मुख्यमंत्री को यादगारी प्रोजैक्ट की विशेषताएं के बारे भी अवगत करवाया। यह निवेकली यादगार आसमान छूते संगमरमर के पाँच पंखों के तौर पर बनायी गई है। यह पंख अलग-अलग आयु वर्गों के शहीदों; जैसे बच्चों, नौजवानों, अधेड़ उम्र के व्यक्तियों और बुजुर्गों की अदम्य भावना के प्रतीक हैं। यह पंख हाथ की पांचों उंगलियों के भी सूचक हैं और इन शहीदों की एकीकृत ताकत का प्रतिनिधित्व करते हैं। सफेद रंग शहीदों के अतुल्य बलिदान की पवित्रता को दर्शाता है। यह पंख एक गोलाकार मंच से उपर उठे हुए हैं और इनके दरमियान खाली जगह है, जो उनकी शहादत के साथ पैदा हुए शून्यता का प्रतीक है। इस यादगार के हरियाली चैगिरदे के आसपास एक अंडाकार रास्ता बनाया गया है और इस स्थान के हरियाली भरपूर सौन्दर्यकरन को इस तरह की पंक्तिबद्ध दिया गया है कि यह प्रस्तावित यादगार के ढांचे को प्रभावित न करे। समूची यादगार शानदार हरियाली भरपूर पार्क की विलक्षणता को सहजात्मक ढंग से दर्शाती है, जो इस अनूठी यादगार की खूबसूरती को चार चाँद लगाती है। इन शहीदों के गाँवों से लाई जाने वाली मिट्टी इस पवित्र मंच के नीचे डाली जायेगी, जो इन योद्धों को सच्ची श्रद्धाँजलि होगी और इसी मिट्टी पर स्थापित हुए पंख आसमान को छूंगे। इस मंच को अपने अंदर समाहित करती दीवारों पर लगे पत्थरों पर शहीदों के नाम अंकित होंगे। एक छोटा सा अन्य मंच भी इन पंखों के सामने स्थापित किये जाने की योजना है, जहाँ इन शहीदों को श्रद्धा और सम्मान के तौर पर फूलमालाएं भेंट की जा सकेंगी।
-NAV GILL