मुख्यमंत्री द्वारा जर्मन कंपनी को संगरूर जिले में 100 करोड़ की लागत से बायो-गैस प्लांट स्थापित करने की स्वीकृति

-निवेश पंजाब ब्यूरो को ऐसे 9 अन्य प्रोजेक्टों के लिए जल्द ज़रूरी स्वीकृतियां देने की हिदायत
चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के ध्यान में मामला लाए जाने के 24 घंटों के अंदर उन्होंने 100 करोड़ रुपए की लागत से बायो-गैस पर आधारित सी.एन.जी. प्लांट स्थापित करने के लिए जर्मन कंपनी के प्रोजैकट को हरी झंडी दे दी। यह प्राजैकट पिछले तीन वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि चाहे पिछली अकाली -भाजपा सरकार ने वर्ष 2015 में वरबीयो कंपनी के साथ इस संबंधी समझौता सहीबन्द किया था परन्तु अपेक्षित स्वीकृतियां देने में नाकाम रही थी। यह मामला गत शाम मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया गया जिन्होंने इसका तत्काल नोटिस लेते इसको अमली रूप देने का फ़ैसला लिया।
आज यहां कंपनियों के अधिकारियों के साथ मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री ने वरबीयो के डायरैक्टर ओलिवर लियूटडके को स्वीकृति पत्र सौंपा।
मुख्यमंत्री ने 100 करोड़ की लागत से संगरूर जिले के लहरागागा ब्लाक में गाँव भुट्टल कलाँ में प्लांट लाने की स्वीकृति दी। इसके साथ ही उन्होंने अन्य 900 करोड़ रुपए की लागत से राज्य के विभिन्न हिस्सों में ऐसे 9 प्लांट स्थापित किये जाने को सैद्धांतिक स्वीकृति दी जिससे सीधे तौर पर 5000 व्यक्तियों के लिए रोजग़ार के मौके पैदा होंगे।
मुख्यमंत्री ने निवेश पंजाब ब्यूरो को इन 9 प्रोजेक्टों के लिए भी तत्काल स्वीकृतियां जारी करने की हिदायत की। यह प्रोजैकट भी भुट्टल कलां में स्थापित किये जाने वाले प्रोजैकट के आधार पर होंगे।
प्रवक्ता ने बताया कि भुट्टल कलाँ में स्थापित किया जाने वाला प्लांट वार्षिक 33,000 किलो बायो -सी.एन.जी. और 45,000 टन जैविक खाद का उत्पादन करेगा। इतनी सामथ्र्य वाले बाकी 9 प्रोजैकट स्थापित होने से बायो -सी.एन.जी. और जैविक खाद का उत्पादन कई गुणा बढ़ जायेगा जिससे हवा प्रदूषण की समस्या के साथ निपटने में सहायता मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने उम्मीद ज़ाहिर की कि प्रोजैकट किसानों को कृषि के अवशेष ख़ास कर पराली का लाभदायक भाव मुहैया करवाने में बहुत सहायक होगा। उन्होंने बताया कि बायो -सी.एन.जी. और हरी खाद के लिए लगभग 20 मिला टन पराली का प्रयोग किया जा सकता है।
प्रतिनिधिमंडल की अपील पर मुख्यमंत्री ने अपने मुख्य प्रमुख सचिव को जैविक खाद के लिए स्वीकृति देने के लिए मामला पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के साथ उठाने की हिदायत की। उन्होंने अपने मुख्य प्रमुख सचिव को पटियाला में बायो -सी.एन.जी. स्टेशन स्थापित करने के लिए कंपनी को स्वीकृति देने के लिए मामला भारत सरकार के समक्ष उठाने के लिए भी कहा।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कंपनी को गन्ने का रस निकालने के बाद बचते फोक के बड़े स्टॉक के प्रयोग की भी संभावनाए तलाशने के लिए कहा क्योंकि इस क्षेत्र में कंपनी के पास विशाल अनुभव और परखी हुई तकनीक है।
केमिकल फर्टिलाइजर के बहुतात प्रयोग के कारण मिट्टी की उपजाऊ शक्ति घटने पर गहरी चिंता प्रकट करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि किसानों को जैविक खाद का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए क्योंकि इससे न सिफऱ् मिट्टी की गुणवत्ता और इस की बनावट बढ़ेगी बल्कि इससे किसानों की फसलों का झाड़ बढऩे से आय में भी विस्तार होगा। उन्होंने सहकारिता विभाग को हरी खाद की बिक्री को उत्साहित करने के लिए सभी सहकारी सभाओं के साथ संबंध कायम करने के लिए कहा।
मीटिंग में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, निवेश पंजाब के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रजत अग्रवाल, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रमुख सचिव गिरिश दयालन, नेशनल रेनफैड्ड एरिया अथॉरटी (एनआरएए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. जे.एस. सम्रा उपस्थित थे।
प्रतिनिधिमंडल में प्रोजैकट डिवैलपर एंडर्स रेमबोलड और प्रोजैक्ट मैनेजर युवराज वर्मा शामिल थे।

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