पोस्ट मैट्रिक वज़ीफ़ा स्कीम के फंडों के साथ विद्यार्थियों का कोई लेना-देना नहीं, बल्कि सरकार और संस्थाओं का आपसी मसला
चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज अनुसूचित जाति (एस.सी.) से सम्बन्धित विद्यार्थियों को बड़ी राहत देते हुए पोस्ट मैट्रिक वज़ीफ़ा स्कीम की आड़ में अनुसूचित जातियों के विद्यार्थियों की डिग्रियाँ रोकने वाले शैक्षिक संस्थाओं के खि़लाफ़ सख़्त से सख़्त कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं। आज यहाँ सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों का भविष्य खऱाब करने के लिए जि़म्मेदार शैक्षिक संस्थाओं के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए और यह सुनिश्चित बनाया जाए कि किसी भी शैक्षिक संस्था द्वारा एक भी विद्यार्थी की डिग्री न रोकी जाए।’’
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस स्कीम के अंतर्गत फंडों की अदायगी का मामला राज्य सरकार और शैक्षिक संस्थाओं का आपसी मसला है और समाज के पिछड़े और कमज़ोर वर्ग के विद्यार्थियों का इससे कोई लेना-देना नहीं है, जिस कारण उनको किसी भी कीमत पर परेशान नहीं किया जाना चाहिए। भगवंत मान ने कहा कि शैक्षिक संस्थाओं को विद्यार्थियों की डिग्रियाँ रोककर उनका भविष्य तबाह करने का कोई हक नहीं है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि शैक्षिक संस्थाओं द्वारा शर्मनाक ढंग से ऐसा काम करना बहुत निंदनीय है। उन्होंने कहा कि यह कुछ शैक्षिक संस्थाओं की संकुचित मानसिकता को भी दिखाता है जो अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के रास्ते में रोड़े अटकाने की कोशिश कर रहे हैं। भगवंत मान ने कहा कि ऐसी भद्दी चालों का सहारा लेने वाले शैक्षिक संस्थाओं के विरुद्ध सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शैक्षिक संस्थाओं को अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के साथ धक्केशाही वाला व्यवहार अपनाने और उनकी तरक्की में रुकावट डालने से गुरेज़ करना चाहिए। भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार चुप करके नहीं बैठेगी और न ही अनुसूचित जातियों के विद्यार्थियों को शैक्षिक संस्थाओं के हाथों तंग-परेशान होने देगी।