-यहां भगवान श्री विष्णू ने किया था राक्षस भस्मासुर को भस्म
यह पूर्णतौर से सत्य है कि समूचे हिमालय में देवों के देव महादेव शिव शंकर का वास है। इसी कारण हिमालय पर्वत पर विभिन्न स्थानों पर वास करने वाले भगवान शिव के दर्शन करना बेहद मुश्किल है। कैलाश मानसरोवर हो या केदारनाथ या फिर अमरनाथ। इन तीनों दुर्गम स्थानों के अलावा एक एेसा भी पावन स्थान श्रीखंड महादेव भी है। जहां पर मां पार्वती के आंसू से बना जलाश्य भी है। इतना ही नहीं यहां पर भगवान श्री विष्णू जी ने राक्षस भस्मासुर को भस्म किया था। यहां पर भगवान शिव भी शिवलिंग के रुप में विराजमान है।
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कहां पर स्थित है श्रीखंड महादेव
श्रीखंड महादेव का पावन स्थान देवभूमि हिमाचल में शिमला के कुल्लू जिले के आनी उपमंडल के निरमंड खं ड में स्थित 18570 फीट वर्फीली पहाड़ी पर स्थित है। सबसे खास बात यह है कि यह चोटी श्री अमरनाथ गुफा से भी अधिक उंचाई पर स्थित है। श्री अमरनाथ गुफा में वास करने वाले भगवान शिव के दर्शन करने के लिए भक्तों को 14 हजार फीट की उंचाई चढ़नी पड़ती है। जबकि श्रीखंड महादेव के दर्शन करने के लिए 35 किलोमीटर की 18570 फीट की उंचाई भरी जोखिम भरी यात्रा करनी पड़ती है। इस चोटी की सीधी चढ़ाई श्रद्धालुओं के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होती है।
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यहां की मिट्टी व पानी दिखाई देता है लाल
पौराणिक कहानी अनुसार श्रीखंड महादेव की पौराणिक मान्यता है कि भस्मासुर राक्षस ने अपनी कठोर तपस्या से भगवान शिव से वरदान मांगा कि वह जिस पर भी अपना हाथ रखेगा, तो वह भस्म हो जाएगा। राक्षसी भाव होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली। एेसे में राक्षस भस्मापुर ने शिव जी के उपर ही हाथ रखकर उन्हें भस्म करने की योजना बनाई। परंतु भगवान विष्णु ने उसकी मंशा को नष्ट करने के लिए माता पार्वती का रूप धारण कर राक्षस भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया। नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने सिर पर ही हाथ रख लिया और भस्म हो गया। इसी कारण आज भी यहां की मिट्टी व पानी दूर से लाल दिखाई देते हैं।
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भगवान शिव यहां पर हुए आलोप
श्रीखंड महादेव के दर्शन करने के दौरान देवदांक गुफा दर्शनीय है। कहते हैं कि जब भस्मामुर भस्मा कंगन के साथ भगवान शिव का पीछा कर रहा था। तब महादेव इस गुफा से कहीं आलोप हो गए।
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वन देवता मंदिर का दर्शन अहम
थचरु-सिंघ जौ गांव से लगभग 11 किलोमीटर की यात्रा शुरू होती है। यहां स्थित मंदिर वन देवता के दर्शन बेहद अहम हैं। विकास खंड द्वारा स्थापित थचरु में तीर्थयात्रियों के लिए एक आराम स्थान भी है।
मां पार्वती के आंसू से बना जलाश्य
नैन सरोवर एक प्राकृतिक पावन जलाशय है। यह जलाश्य सर्दियों के दौरान पूरी तरह जम जाता है। माना जाता है कि यह जलाश्य माता पार्वती के आंसू से बना हुआ है। भक्त यहां आकर इस पवित्र जलाशय में डुबकी लगाते हैं। साथ ही इस पावन जल को अपने साथ भी घर ले जाते है।
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भीम ने किया था स्वर्ग सीढी का निर्माण
श्रीखंड महादेव पीक और नैन सरोवर झील के बीच विशाल पत्थर स्थित हैं। लोक कथाओं अनुसार पांडवों के भाई भीम ने यहां एक सीढ़ी का निर्माण किया था, जोकि स्वर्ग की ओर जाती है।
श्रीखंड महादेव शिवलिंग की उंचाई 72 फीट
श्रीखंड महादेव पर स्थित शिवलिंग की उंचाई लगभग 72 फीट है। श्रीखंड महादेव की यात्रा के मार्ग में सात मंदिर आते हैं। इनमें जाओं में माता पार्वती का मंदिर, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, जोताकली, बकासुर वध, ढंक द्वार पवित्र स्थान है। श्रीखंड में भगवान शिव का शिवलिंग हैं। श्रीखंड महादेव से करीब 50 मीटर पहले माता पार्वती, गणेश व कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं हैं। श्रीखंड महादेव हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से सटा है। स्थानीय लोगों अनुसार इस चोटी पर भगवान शिव का वास है।
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दुर्गम यात्रा में यात्रियों के लिए बनाए जाते हैं बेस कैंप
श्रीखंड महादेव की दुर्गम यात्रा के लिए चार बेस कैंप बनाए जाते हैं। सिंघगाड में श्रद्धालुओं का पंजीकरण और स्वास्थ्य चैकअप होता है। बेसकैंप थाचडू, भीमडवारी में डॉक्टर, पुलिस के जवान मौजूद रहते हैं। बेसकैंप पार्वतीबाग में रेस्क्यूदल और पुलिस व होमगार्ड के जवान श्रद्धालुओं की सुविधा मौजूद रहते हैं। यह यात्रा जुलाई में प्रारंभ होती है, जिसे श्रीखंड महादेव ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जाता है। श्रीखंड महादेव के कठिन रास्तों में खच्चर नहीं चल सकता है। श्रीखंड का रास्ता रामपुर बुशैहर से जाता है। यहां से निरमंड, उसके बाद बागीपुल और आखिर में जांव के बाद पैदल यात्रा शुरू होती है।
प्रदीप शाही