-धरती के गर्भ से आज भी मिल रहे हैं महाभारत काल के अवशेष
महाभारत की रचना महाकाव्य रूप हुई। इसे भारत का ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ भी माना जाता है। विश्व के सबसे बडे़ इस महाकाव्य ग्रंथ में लगभग एक लाख श्लोक भी हैं। चाहे आज महाभारत काल को बीते कई सदियां बीत गई। परंतु महाभारत काल से संबंधित शहर व गांवों का अस्तित्व आज भी मौजूद है। सबसे खास बात यह है कि उस समय के कई शहरों के नाम आज भी उसी नाम से पहचाने जाते हैं। वहीं धरती के गर्भ में से आज भी उस काल के अवशेष का मिलना महाभारत काल को प्रमाणित करता है।
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महाभारत काल के कौन से शहर आज भी हैं मौजूद
महाभारत काल के कुछ नगर, शहर, गांव और जनपद वर्तमान समय में भी मौजूद है। परंतु कुछ के नाम समय के साथ बदल गए हैं। महाभारत काल में पुकारे जाने वाले मथुरा, काशी, जगन्नाथ, द्वारिका, बद्रीनाथ, गंगोत्री, सोमनाथ, कुरुक्षेत्र शहर आज भी मौजूद हैं।
कुरुक्षेत्र सहित कई नाम आज भी प्रचलित
कुरुक्षेत्र को नाम आज भी कुरुक्षेत्र ही है। मौजूदा समय में यह हरियाणा राज्य का एक जिला है। कुरुक्षेत्र के पास अभिमन्युपुर आज अमीन के नाम से जाना जाता है। जयंता नाम का क्षेत्र आज जिला, पानीप्रस्थ अब पानीपत, सोनीप्रस्थ अब सोनीपत और व्याग्रपत अब बागपत बन गया है। यूपी के बागपत की जमीन से महाभारत काल के प्रचीन अवशेष भी निकले हैं। बागपत से तो चार हजार वर्ष पुराना रथ भी मिला है। बागपत किसी समय में हस्तिनापुर राज्य का एक हिस्सा था। भूमि से निकले रथ और उसके पहियों में अच्छी क्वालिटी का तांबा लगा हुआ है। जो हजारों साल बाद भी सुरक्षित है। मथुरा के नाम में आज भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।
पांडवों को मिले पांच गांवों के नाम
बागपत जिले का गांव बरनावा हिंडनी और कृष्णा नदी के संगम पर, मेरठ (हस्तिनापुर) से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी स्थित है। यह प्राचीन गांव वारणावत है। गौर हो पांडवों को दुर्योधन ने पांच गांव पानीपत, सोनीपत, बागपत, तिलपत और वरुपत (बरनावा) प्रदान किए थे। बरनावा गांव में महाभारतकाल का लाक्षागृह टीला है। यहीं पर एक सुरंग भी है। यहां की सुरंग हिंडनी नदी के किनारे पर खुलती है।
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दिल्ली को पहले इंद्रप्रस्थ कहा जाता था
दिल्ली के आसपास के क्षेत्र को महाभारत काल में इंद्रप्रस्थ कहा जाता था। जबकि मेरठ को हस्तिनापुर कहा जाता था। यमुना नदी के पास स्थित दिल्ली में पुराना किला इस बात का सबूत है। खुदाई में मिले अवशेषों के आधार पर पुरातत्वविदों का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि पांडवों कि राजधानी इसी स्थल पर थी। दूसरी ओर कुरु देश की राजधानी गंगा के किनारे हस्तिनापुर में स्थित थी। दिल्ली का लालकोट क्षेत्र राजा पृथ्वीराज चौहान की 12वीं सदी के अंतिम दौर में राजधानी थी। लालकोट के कारण ही इसे लाल हवेली या लालकोट का किला कहा जाता था। बाद में लालकोट का नाम बदलकर शाहजहानाबाद कर दिया गया।
गांधार जनपद के क्षेत्र अफगानिस्तान, पाकिस्तान का हिस्सा
गांधार जनपद के क्षेत्र वर्तमान में अफगानिस्तान और पाकिस्तान का हिस्सा हैं। पहले गांधार की राजधानी तक्षशिला थी। पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफगानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र ही गांधार राज्य के अंतर्गत आता था। गंधार का अर्ध होता है सुगंध। महाभारत में गांधारी गांधार देश के ‘सुबल’ नामक राजा की कन्या थीं।
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महाभारत काल के प्रमुख नगर
तक्षशिला (रावलपिंडी के पास), अवंतिका (उज्जयनी), हस्तिनापुर (मेरठ), बरनावत (बागपत), वृंदावन, मथुरा, इंद्रप्रस्थ और खांडवप्रस्थ (वर्तमान दिल्ली), पेशावर (पुरुषपुर), पांचाल (हिमालय और चंबा नदी के बीच का स्थान), अंग प्रदेश (भागलपुर), मत्स्य प्रदेश की राजधानी विराट (वर्तमान में बैराठ राजस्थान के जयपुर जिले का एक शहर), द्वारिका (गुजरात के समुद्र तट पर) वह शहर हैं। जो आज भी महाभारत काल की याद को जीवंत करते हैं। इसके अलावा मथुरा, अयोध्या, द्वारिका, कांची, उज्जैन, रामेश्वरम, प्रयाग (इलाहाबाद), पुष्कर, नासिक, सारनाथ, कुशीनगर, त्रिपुरा, गोवा, महाबलीपुरम, कन्याकुमारी, श्रीनगर, गांधार आज भी इसी नाम से पहचान रखते हैं। काशी को ‘वाराणसी’ और ‘बनारस’ भी कहा जाता है।
प्रदीप शाही