चंडीगढ़, 1मार्चः
राज्य भर के लोगों को स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रभावी तरीके से मुहैया करवाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में मंत्रीमंडल ने सब्सिडरी हैल्थ सेंटरों के ग्रामीण मैडीकल अफसरों (आर.एम.ओज) के 507 खाली पदों के साथ पैरा-मैडीकल और दर्जा चार की ठेका अधारित पद ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग से वापिस स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में तबदील करने की मंजूरी दे दी है।
क्या आपका पार्टनर हर छोटी बात पर उलझता है || Dr. HK Kharbanda ||
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक इसके अलावा मौजूदा समय काम कर रहे आर.एम.ओज, जो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में विलय होना चाहते हैं, को इस शर्त पर जाने की मंजूरी दी जायेगी है कि उनकी सीनियरता स्वास्थ्य विभाग में उपस्थित होने की तारीख से गिनी जायेगी न कि ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग में रेगुलर होने की तारीख से गिनी जायेगी। इसके अलावा अन्य सभी लाभ उनको स्वास्थ्य विभाग में विलय होने की तारीख से दिए जाएंगे। आर.एम.ओज की तरफ से विलय होने के लिए निर्धारित शर्तें/हिदायतों सम्बन्धी लिखित सहमति देने के उपरांत ही वह विलय होंगे।
अब बिल्कुल नहीं होगी एसिडिटी || Dr. Anil Shrivastav ||
जिक्रयोग्य है कि मंत्रीमंडल ने आर.एम.ओज, पैरा-मैडीकल और दर्जा-4स्टाफ के वेतन, बिल्डिंग, बिजली के बिल और अन्य साजो-सामान पर होने वाले खर्च के भुगतान स्वास्थ्य विभाग की तरफ से किये जाने की भी मंजूरी दे दी।
यह जिक्रयोग्य है कि साल 2006 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की तरफ से 1183 सब्सिडी हैल्थ सैंटर ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग में तबदील किये गए थे। इन सैंटरों को चलाने के लिए डाक्टरों को बतौर सर्विस प्रोवाईडर लगाया गया और इन डाक्टरों को उसके वेतन को उसके पैकेज में से ही एक फार्मासिस्ट और एक दर्जा -4 कर्मचारी लगाने के लिए उपबंध किया गया था।
-NAV GILL