मंत्रीमंडल की ओर से कम आय वाले वर्गों को उचित कीमत पर मकान मुहैया करवाने के लिए नई नीति के लिए राह आसान

– विक्रय योग्य क्षेत्र, अधिक घनत्व व पार्किंग नियमों पर छूट
चंडीगढ़ : मु यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के  नेतृत्व में पंजाब कैबिनेट ने कम आय वाले वर्गों को उचित कीमत पर मकान मुहैया करवाने के लिए अफोर्डेबल कालोनी पालिसी-2018 के नोटिफिकेशन के लिए राह आसान कर दिया है। इससे तेजी से बढ़ रही गैरकानूनी कालोनियों पर भी लगाम लगेगी।
ज्यादातर गैरकानूनी  कालोनियां छोटे प्लांटों पर बनाई गई हैं जो कि आम तौर पर आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग व कम आय वाले वर्गों की ओर से खरीदे गए हैं। आम आदमी को उचित कीमत पर प्लांट मुहैया करवाने के मकसद से प्रदेश सरकार ने विक्रय योग्य क्षेत्र, मंजिल के हिसाब से अनुपात क्षेत्र( लोर एरिया रेशो) सहित अनुमोदित कालोनियों संबंधी नियमों के खास खंडों में ढील देने का फैसला किया है।
सरकारी प्रवकता के मुताबिक उचित कीमत पर कालोनी विकसित करने के लिए कैैबिनेट ने इस नई नीति को हरी झंडी दी है। इस नई नीति के अंतर्गत जमीन के उपयोग को बदलने(सीएलयू), बाहरी विकास दरे(ईडीसी) व लाइसेंस फीस से संबंधित दरों में कटौती का प्रस्ताव रखा गया है ताकि एक एकड़ जमीन पर अधिक से अधिक लैट बनाए जा सकें। इससे कम आय वाले वर्गों को उचित कीमत पर मकान मुहैया करवाने में मदद मिलेगी। ऐसी कालोनियों में प्लांट का अधिक से अधिक आकार 125 वर्ग गज तक होगा व उनका औसतन आकार 100 वर्ग गज से अधिक नहीं होगा।
मोहाली व न्यू चंडीगढ़ के मास्टर प्लानों को छोडक़र इस नीति के अंतर्गत प्रदेश के सभी मास्टर प्लानों में उचित कीमत वाली कालोनी काटने के लिए अधिक से अधिक पांच एकड़ जमीन की जरुरत होगी। इस नीति में प्लांट काटने, लैट बनाने के अलावा प्लांट पर लैट दोनों विकसित करने का प्रस्ताव है। एक पूरे प्रोजेकट की जमीन के 65 फीसदी हिस्से में अधिक से अधिक लैट बना कर विक्रय योग्य होंगे, जो मौजूदा समय 50 फीसदी है। यह कदम बिल्डरों के लिए बड़ी राहत है। इसी तरह लैट विकसित करने के लिए 40 से 80 फुट और इससे अधिक सडक़ों पर 1:2 से 1:3 लोर रेशो का प्रस्ताव है। पार्किंग नियमों में भी छूट दी गई है।
हाल ही में सूचि मुताबिक तकरीबन 40 हजार एकड़ में अंदाजन आठ हजार गैरकानूनी कालोनियां है, जो कि समर्थ अधिकारियों पर बिना मंजूरी के मनमाने ढंग से बनाई गई हैै। इनमें जल सप्लाई व सीवरेज आदि जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं है। तेजी से बढ़ रही गैरकानूनी कालोनियां सीधे तौर पर कम व मध्यम आय वाले वर्गों के लोगों से जुड़ी हैं।

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