स्कॉलरशिप मामले में मंत्री और वरिष्ठ विभाग अधिकारी के दरमियान सहमति न होने के कारण मुख्य सचिव द्वारा जाँच ज़रूरी
‘आप कौन होती हो कुछ भी मानने या रद्द करने वाली, उसे तो पंजाब के लोगों ने रद्द कर दिया है’
चंडीगढ़, 31 अगस्त: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सोमवार को राज्य सभा मैंबर प्रताप सिंह बाजवा के उस तर्क को रद्द कर दिया जिसमें उसने कहा था कि मौजूदा स्कॉलरशिप घोटाले और तारकोल घोटाले, जिसमें 15 साल पहले बाजवा का नाम सामने आया था, में कोई तुलना नहीं की जा सकती। मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार तो भ्रष्टाचार है चाहे किसी भी रूप में हुआ हो।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि उनकी पिछली सरकार के दौरान लोक निर्माण मंत्री रहे बाजवा के खि़लाफ़ लगे तारकोल घोटाले के इल्ज़ाम भी उतने ही गंभीर हैं जितने कि स्कॉलरशिप मामले में अब लग रहे इल्ज़ाम हैं। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यदि वह उस समय भी उतनी ही ग़ैर-जि़म्मेदारी के साथ काम लेते जैसे कि बाजवा अब उनसे उम्मीद करते हैं, तो उन्होंने उस समय के मंत्री को बिना निष्पक्ष जांच-पड़ताल के बेबुनियाद इल्ज़ामों के आधार पर बरख़ास्त कर देना था।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे बताया कि उन्होंने कथित स्कॉलरशिप घोटाले की गहराई से जांच की जि़म्मेदारी मुख्य सचिव को सौंपने का फ़ैसला किया क्योंकि सम्बन्धित मंत्री और सामाजिक कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, जिसकी आंतरिक रिपोर्ट मंत्री के खि़लाफ़ इल्ज़ामों का आधार बनी, के दरमियान असहमति थी। पंजाब सरकार के रूल्ज़ आफ बिजऩेस, 1992 के अनुसार जिन मामलों में मंत्री और सचिव के दरमियान विचारों की सहमति न हो, वह मामले आदेश जारी होने से पहले मुख्य सचिव के द्वारा मुख्यमंत्री के समक्ष रखे जाएंगे। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे बताया कि एक मंत्री रह चुके होने के नाते बाजवा को यह पता होना चाहिए था कि मौजूदा मामले के हालात देखते हुए कार्यवाही आगे ले जाने का यही एक रास्ता है और उन्होंने मुख्य सचिव को उनको कार्यवाही के लिए मामला भेजने से पहले इसकी गहराई से जांच-पड़ताल के लिए कहा है।
मुख्यमंत्री ने इसको अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण और भयानक करार देते हुए कहा कि इन तथ्यों का ध्यान किए बिना मुख्य सचिव जांच की आलोचना करते हुए यह दिखाया गया है कि संसद मैंबर को सरकार के कामकाज के तरीकों संबंधी बिल्कुल जानकारी नहीं थी।
उन्होंने राज्य सभा मैंबर शमशेर सिंह दूलों की इन बातों की भी निंदा की कि मुख्य सचिव की जांच के नतीजों का इन्तज़ार किए बिना ही वह कथित घोटाले में सी.बी.आई. जांच करवाने की माँग का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने बाजवा और दूलों पर लगातार पार्टी विरोधी कार्यवाहियां करने के लिए बरसते हुए कहा कि दोनों संसद सदस्यों द्वारा अपनी ही सरकार पर दिखाया जा रहा अविश्वास उनकी बुरी नीयत को दिखाता है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आम आदम पार्टी द्वारा इस मामले में मुख्य सचिव जांच को अपने आप बनाकर रद्द करने के रवैए को नकारते हुए इसको पूरी तरह बेतुका और तर्कहीन करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘वह किसी भी बात को स्वीकार या रद्द करने वाले कौन हैं?’’ उन्होंने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी को तो बहुत पहले ही पंजाब के लोग नकार चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह न तो आप या किसी अन्य पक्ष द्वारा इस मामले में उसके किए कामों की हिमायत करने में कोई परवाह करते हैं और न ही उनमें रूचि रखते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी एकमात्र चिंता राज्य के लोगों की है, जिनके संबंध में उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने ही मुझे और मेरे कामों को स्वीकार करना या रद्द करना है, अन्य किसी ने नहीं।’’
इस बात की तरफ इशारा करते हुए कि आप के बयान ने सिफऱ् शिरोमणी अकाली दल की प्रतिक्रिया की ही गूँज उठाई है, जैसे कि हाल ही में घटे नकली शराब दुखांत के दौरान भी हुआ था। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा, ‘‘क्योंकि इस तरह लगता है कि आप एक ही पलड़े में हो तो फिर आप भाजपा-अकाली दल गठजोड़ में शामिल क्यों नहीं हो जाते?’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘शायद मिलकर आप 2022 की विधान सभा मतदान में कांग्रेस के विरुद्ध कम-से-कम लड़ाई लडऩे के योग्य तो हो जाओगे।’’
मुख्यमंत्री ने आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार के खि़लाफ़ बड़े आंदोलन से पैदा हुई पार्टी होने के दावे पर भी चुटकी लेते हुए कहा कि वह पहले ही दिल्ली में अपने असली रंग दिखा चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आपके (आप) दिल्ली के मुख्यमंत्री को अलग-अलग संवेदनशील मुद्दों पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के आगे डटकर न खड़ा होने के कारण चोतरफा निंदा का सामना करना पड़ रहा है।’’ उन्होंने कहा कि अरविन्द केजरीवाल दिल्ली मतदान भाजपा के विरोध के नाम पर जीतने के बावजूद अब उसी भाजपा की जी हज़ूरी में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोगों को ऐसी कोई सैद्धांतिक पार्टी की ज़रूरत नहीं है और न ही वह ऐसी पार्टी को चाहते हैं, जिसके कोई नैतिक-मूल्य न हों।
-Vibhor