भारतीय संस्कृति में किस पौधे को मिला है देव वृक्ष का दर्जा ??

-वेदों में वर्णित है पीपल के औषधीय गुणों की जानकारी
-धार्मिक अनुष्ठान में किया जाता है पीपल का पूजन
भारतीय संस्कृति में देवी, देवताओं, जानवरों, पक्षियों, पत्थरों, पौधों के पूजन के लिए प्रदान किए विशेष महत्व के कारण ही भारतीय संस्कृति का सार लेना साधारण इंसान की सोच से परे है। पौधे को भी देव वृक्ष का दर्जा प्रदान किया जाना इस बात को प्रमाणित करता है कि इस सृष्टि के सृजन में हर कण का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। देव वृक्ष के रुप में पहचाने जाने वाले पीपल के औषधीय गुणों की जानकारी तो वेदों में भी वर्णित है। इसी कारण पीपल का धार्मिक अनुष्ठान में भी पूजन किया जाता है।


देव वृक्ष है पीपल
भारतीय संस्कृति में पीपल को देववृक्ष कहा गया है। स्कन्द पुराण में वर्णित है कि पीपल के मूल में भगवान श्री विष्णू, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवता निवास करते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने समस्त वृक्षों में अपने आप को पीपल का वृक्ष कहा। भगवान कृष्ण ने पीपल से अपनी उपमा देकर पीपल के देवत्व को व्यक्त किया है। पीपल की विधि विधान से पूजा-अर्चना करने से सम्पूर्ण देवताओं का अपने आप ही पूजन हो जाता है। शास्त्रों में यह वर्णित है कि पीपल का वृक्ष लगाने वाले का कभी वंश समाप्त नहीं होता है। आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों के उपचार का जिक्र है। पीपल के वृक्ष के नीचे मंत्र, जप, ध्यान और सभी प्रकार के संस्कारों को करना बेहद शुभ माना गया है। श्रीमद्भागवत् में वर्णित है कि परमधाम जाने से पहले श्रीकृष्ण इस दिव्य पीपल वृक्ष के नीचे बैठ कर ही ध्यान में लीन हुए। प्राचीन काल में यज्ञ में अग्नि को प्रज्जवलित करने के ऋषि पीपल की और शमी की लकड़ी की रगड़ का प्रयोग करते थे।

जंगलों में पाया जाता पारस पीपल
सामान्य पीपल से पारस पीपल पूरी तरह अलग होता है। पारस पीपल आमतौर से जंगलों में पाया जाता है। पारस पीपल के पत्ते दूर से देखने पर कुछ-कुछ पीपल की तरह ही होते हैं, लेकिन इसके पत्तों की गोलाई अधिक होती है। इनमें भिंडी के फूलों की तरह पीले रंग के फूल उगते हैं। पारस पेड़ की ऊंचाई भी अधिक नहीं होती है।

तंत्र प्रयोग में प्रयुक्त होता है पारस
तंत्र प्रयोग में पारस पीपल के पत्ते, फूल और छाल का उपयोग कई तरह की तंत्र विधाओं में किया जाता है। इनमें सबसे अधिक प्रयोग वशीकरण में किया जाता है। पारस पीपल के पत्ते, फूल, छाल, रस और जड़ इन पांच चीजों को केसर संग मिलाकर मस्तक पर तिलक करने से तीव्र वशीकरण होता है। पारस पीपल के 108 पत्तों पर भगवान विष्णु का नाम मंत्र लिखकर जल में प्रवाहित करने पर माता लक्ष्मी की भी प्राप्ति होती है।

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नशे की लत छुड़वाने के काम आता है पारस पीपल
पारस पीपल का उपयोग बेहद अधिक किया जाता है। नशे की लत छुड़वाने वाली दवाओं में इसका प्रयोग किया जाता है। यह बलवर्धक, वीर्यवर्धक होता है। जिन पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की कमी होती है। आयुर्वेदाचार्य उन्हें पारस पीपल से बनी दवाई ही देते हैं। इतना ही नहीं कई तरह के मानसिक रोगों में भी पारस पीपल से बनी औषधि प्रयुक्त की जाती है।

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पारस पीपल से मिलती है शक्ति
कई बार इंसान पर तंत्र मंत्र का प्रयोग हो जाती है। किसी काम में मन न लगना, बार-बार बिमार रहने पर पारस पीपल के 21 पत्तों पर ‘ऊं हं हनुमतै नमः ‘लिखकर नदी में प्रवाहित करने से इस समस्या का समाधान होता है। पारस पीपल की जड़ को चंदन संग मिला कर बाजुओं पर मलने से शक्ति भी हासिल होती है।

 

पीपल के पत्तों व लकड़ी का होता है यहां उपयोग
पीपल के पत्ते व लकड़ी का उपयोग कई जगहों पर किया जाता है। पीपल के पत्ते हाथियों के अलावा अन्य जानवरों को चारे के रूप में खिलाये जाते हैं। पीपल की लकड़ी का प्रयोग ईंधन के काम आता है। इसके अलावा पीलिया, रतौंधी, मलेरिया, खांसी, दमा, सर्दी और सिर दर्द में पीपल की टहनी, लकड़ी, पत्तियों, कोपलों का प्रयोग किया जाता है। पीपल की दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं। जहरीले जीव जंतू द्वारा काटे जाने पर पीड़ित को पीपल के पत्ते का रस थोड़ी-थोड़ी देर में पिलाने से लाभ मिलता है। फोड़े और फुंसी रोग होने पर पीपल की छाल को घिस कर लगाने से लाभ मिलता है। नकसीर फूटने पर पीपल के पत्तों को मसलकर सूंघने से आराम मिलता है।

 

कुमार प्रदीप

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