भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े हैं यह अद्भुत रहस्य

 

भगवान श्री हरि विष्णु ने धरती पर बढ़ रहे अच्याचार, धर्म पर हो रही अधर्म की जीत को रोकने के लिए श्री कृष्ण के रुप में अवतार लिया। ताकि मानव जाति का उद्धार हो सके। इस धरती पर अवतरित हुए श्री कृष्ण जी के जीवन से कई रहस्य जुड़े हुए थे। जिनके बारे बहुत लोग नहीं जानते हैं। आईए, आज आपको श्री कृष्ण से जुड़े इन रहस्यों से अवगत करवाते हैं।

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मामा कंस की जेल में हुआ था श्री कृष्ण का जन्म
भगवान| श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में उनके मामा कंस के कारावास में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इन्होंने माता देवकी के गर्भ से आठवीं संतान के रुप में जन्म लिया था। इनके पिता वसुदेव थे। जन्म के बाद पिता वासुदेव ने उन्हें गोकुल में नंद के घर छोड़ दिया था।

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अपने गुरु के बेटे को दिया जीवन दान
भगवान श्री कृष्ण ने अपने गुरु ऋषि संदिपानी को गुरु दक्षिणा के रूप में उनके मृत्य शैय्या पर लेटे बेटे को जीवन दान दिया था।

तीन वर्ष से कम आयु में किया राक्षसों का वध
श्री कृष्ण को मृत्यु के घाट उतारने के लिए मामा कंस की ओऱ से भेजे राक्षसों पुतना, त्रिनिवत्र का तीन साल से भी कम आयु में वध किया था।

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कंस का पूर्वजन्म में विष्णु ने किया था वध
कंस अपने पूर्व जन्म में कालनेमी था। जिनका वध श्री हरि विष्णु ने किया था। देवकी के पहले छह पुत्र पिछले जन्म में कालनेमी के ही पुत्र थे। जिन्हें हृन्याकश्यप ने श्राप दिया था कि उनकी मृत्यु उनके पिता के हाथों से ही होगी। इसलिए कंस ने अपनी बहन देवकी के जन्म दिए पहले छह बच्चों का वध किया था।

गांधारी के श्राप के पीछे छिपे थे दो कारण
महाभारत के युद्ध समाप्त होने के बाद गांधारी ने श्री कृष्ण के समूचे कुल को समाप्त होने का श्राप दिया था। इसके पीछे भी दो कारण थे। श्री कृष्ण ने अपने पूर्व अवतार श्री राम के रूप में बाली का वध किया था। तब उन्होंने बाली कि पत्नी तारा को वचन दिया था कि बाली अपने अगले जन्म में अपनी मृत्यु का बदला लेने में सफल होंगे। अगले जन्म में बाली ने जरा शिकारी के रूप में जन्म लिया। जो भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु का कारण बने।

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श्री कृष्ण की थी 16, 108 पत्नियां
भगवान श्री कृष्ण की 16,108 पत्नियां थी। परंतु इनमें केवल आठ रुक्मणि, सत्यभामा, जाम्बवती, नाग्नजिती, कालिंदी, मित्रविन्दा, भद्रा और लक्ष्मणा उनकी राजसी पत्नियां थी। रुक्मणि को माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। रुक्मणि ने भगवान श्रीकृष्ण को पत्र के द्वारा शादी का प्रस्ताव भेजा था और स्वयं का अपहरण करने का निवेदन किया था। इसलिए श्री कृष्ण ने रुक्मणि का हरण किया था।

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श्री कृष्ण ने कैसे तोड़ा अपनी पत्नी सत्यभामा का अहंकार
श्री कृष्ण की सभी पत्नियों में से सत्यभामा को बहुत अभिमान था। और वह रुक्मणि से ईष्या करती थी। एक बार उनके बीच तुलादान की स्पर्धा हुई। सत्यभामा ने अपनी पूरी संपत्ति को तराजू में रख दिया था। फिर भी श्री कृष्ण पलड़ा हिला भी नहीं। परंतु रुक्मणि ने प्रेम से तुलसी का एक पत्ता रखा तो जिस पलड़े पर भगवान बैठे वह पलड़ा पूरी तरह से उपर हो गया।

श्री कृष्ण के थे 80 पुत्र और एक पुत्री
श्री कृष्ण के सभी रानियों के दस -दस पुत्र हुए। प्रदयुमन रुक्मणि का बेटा था। जबकि साम्भा जाम्बवती के पुत्र थे। जिनको ऋषियों के द्वारा श्राप मिला था कि उनके कारण ही पूरे यदू वंश समाप्त हो जाएगा। श्रीकृष्ण ने पुत्र प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी वह वह भगवान शिव जैसा पुत्र चाहते हैं।

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श्री कृष्ण ने अर्जुन से करवाई थी अपनी बहन की शादी
श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा की माता रोहिणी तथा पिता वसुदेव थे। बलराम सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से करवाना चाहते थे। जबकि श्रीकृष्ण अपनी बहन की शादी अर्जुन से करवाना चाहते थे। तब उन्होंने अर्जुन को सुभद्रा का अपहरण करने को बोला था। साथ श्रीकृष्ण ने सुभद्रा को रथ को चलाने की सलाह भी दी। ताकि वास्तव में इसको कोई अपहरण न कहे। बाद में अर्जुन और सुभद्रा की शादी विधिवत करवाई गई।

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एकलव्य श्री कृष्ण के चचेरे भाई थे
एकलव्य वास्तव में श्री कृष्ण के चचेरे भाई थे। एकलव्य देवाश्रवा के पुत्र थे। जो कि वासुदेव के भाई थे। देवाश्रवा जंगल में खो गए थे। और निषाद हिरान्याधानू को मिले थे।| एकलव्य अपने पिता देवाश्रावा की रुक्मणि के स्वंयवर में रक्षा करते हुए श्री कृष्ण के हाथों मृत्यु को प्राप्त हुए।

श्री कृष्ण का हुआ था अर्जुन से युद्ध
एक बार श्री कृष्ण ने अर्जुन से युद्ध करना आरम्भ कर दिया था। तब भगवान शंकर ने उनके युद्ध को रुकवा दिया। तब भगवान शिव ने श्री कृष्ण से पूछा कि आप यह क्या कर रहे हैं ? तब श्री कृष्ण ने सहजता से जवाब दिया कि वह तो अर्जुन की परीक्षा ले रहे हैं।

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गीता का ज्ञान अर्जुन सहित तीन लोगों ने सुना
जब श्री कृष्ण रण भूमि में गीता का ज्ञान दे रहे थे। तब इस ज्ञान को केवल अर्जुन ही नहीं, बल्कि दो अन्य लोगों ने भी सुना। वह थे भक्त हनुमान और संजय। भक्त हनुमान युद्ध दौरान अर्जुन के रथ पर आऱंभ से लेकर अंत तक विराजमान रहे। जबकि संजय को श्री वेदव्यास ने आशीर्वाद के रूप में दिव्य ज्योति प्रदान की थी। जिस कारण वह महाभारत युद्ध में घटने वाली घटनाओं को देख कर धृतराष्ट्र को सुना रहे थे।

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श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युमन थे कामदेव
कामदेव ने श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युमन के रुप में जन्म लिया था। गौर हो भगवान शिव ने तपस्या भंग होने पर अपने त्रिनेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया था। तब कामदेव की पत्नी रति की तपस्या पर कामदेव को प्रद्युमन के रुप में जन्म लेने का आशीर्वाद दिया था। प्रद्युमन का जन्म लेने के पश्च्यात सम्बरासुर द्वारा अपहरण कर उसे समुद्र में फेंक दिया था । समुद्र के अंदर एक मछली ने प्रद्युमन को निगल लिया। उस मछली को रसोई में काटने के समय वह जीवित बाहर निकले। तो मायावती ने उनकी देखभाल की। मायावती देवी रति का अवतार थी।

ऋषि दुर्वासा ने दिया श्री कृष्ण को श्राप

ऋषि दुर्वासा ने श्री कृष्ण को भी श्राप दे दिया था। दुर्वासा ऋषि एक दिन खीर खा रहे थे। श्री कृष्ण भी वह उपस्थित थे। दुर्वासा ऋषि ने कृष्ण को खीर को अपने शारीर से लगाने की आज्ञा दी। कृष्ण ने खीर को अपने बाएं पैर को छोड़ कर अपने समूचे शरीर पर लगा लिया। श्री कृष्ण ने सोचा की ऋषि इस बात पर ध्यान नहीं देंगे। तब ऋषि इस बात से क्रोधित हो गए और श्री कृष्ण को श्राप दिया कि बाएं पैर दुर्बल हो जाएगा। श्री कृष्ण का अंत भी बाएं पैर में तीर लगने से ही हुआ था।

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प्रदीप शाही

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