भगवान श्री ब्रह्मा जी का पांचवा सिर किस ने काटा

-केतकी के फूल को भगवान शिव ने क्यों दिया श्राप

प्रदीप शाही

भगवान श्री ब्रह्मा जी, भगवान श्री विष्णु हरि और भगवान श्री महेश (देवों के देव महादेव) इस त्रिमूर्ति को हिंदू संस्कृति में सबसे अधिक पूजनीय माना गया है। भगवान श्री ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचनाकार, भगवान श्री विष्णु जी को सृष्टि का पालनहार और भगवान श्री महेश को संहारक माना जाता है। सभी दिशाओं के अलावा उपर भी देखने वाला सिर भगवान श्री ब्रह्मा जी के पास था। आखिर ऐसा क्या हुआ कि भगवान श्री ब्रह्मा जी के उपर देखने वाले सिर को किस भगवान ने क्यों काट डाला था। वहीं मनमोहक सफेद केतकी के फूल को भगवान शिव ने पूजा में शामिल न होने का क्यों श्राप दिया। आईए, आज आपको इन रहस्यों से अवगत करवाते हैं।

भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु में मची श्रेष्ठता की हौड़

कहा जाता है कि एक बार हमारी पूजनीय त्रिमूर्ति में से भगवान श्री ब्रह्मा जी औऱ भगवान विष्णु हरि में एक दूसरे से अपने आप को श्रेष्ठ मानने की हौड़ मच गई। भगवान श्री ब्रह्मा जी अपने आप को सृष्टि के रचनाकार होने के नाते और भगवान श्री विष्णु हरि जी अपने आप को सृष्टि के पालनहार होने के नाते श्रेष्ठ कह रहे थे। लंबे समय तक चलने वाले इस विवाद का जब कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो देवों के देव महादेव भगवान शिव, शिव लिंग रुप में वहां प्रकट हुए। भगवान शिव ने भगवान श्री ब्रह्मा और भगवान श्री विष्णु को शिव लिंग का छोर ढूंडने के लिए कहा। जो भी इसका छोर पहले ढूंड लेगा। वही श्रेष्ठ माना जाएगा।

शिव लिंग का किसने ढूंडा छोर

भगवान श्री ब्रह्मा और भगवान श्री विष्णु दोनों ही विपरीत दिशा में छोर ढूंडने के लए निकल पडे। भगवान श्री विष्णु कुछ समय बाद ही छोर न मिलने पर वापिस आ गए। वहीं भगवान श्री ब्रह्मा जी भी शिव लिंग की छोर न ढूंड पाने पर विफल हो कर वापिस आ गए। भगवान शिव के शिव लिंग रुप समक्ष जब भगवान श्री विष्णु जी और भगवान श्री ब्रह्मा का जब आमना सामना हुआ। तो भगवान श्री विष्णु जी ने कहा कि मैंने बहुत प्रयास किए। परंतु मैं शिवलिंग का छोर ढूंडने में असफल रहा। पर भगवान श्री ब्रह्मा जी ने भगवान श्री विष्णु जी झूठ कह दिया कि मैंने तो शिवलिंग का छोर ढूंड लिया है। और केतकी का वृक्ष इसका साक्षी है। यदि आपको इसका यकीन नहीं है तो आप केतकी के वृक्ष से ही पूछ लें। यह सुनते ही केतकी के वृक्ष ने भगवान श्री ब्रह्मा जी के पक्ष में अपनी गवाही दे दी।

झूठी गवाही से भगवान शिव हुए क्रोधित
केतकी के वृक्ष की झूठी गवाही को सुनते ही भगवान शिव अपने वास्तविक रुप में प्रकट हो गए। क्रोधित भगवान शंकर ने भगवान श्री ब्रह्मा जी का उपर देखने वाला सिर काट दिया। साथ ही केतकी के वृक्ष को श्राप दिया कि उसके वृक्ष से उत्पन्न पुष्प कभी भी शिवलिंग के पूजन समय स्वीकार्य नहीं होंगे। यदि कोई केतकी के फूल को शिवलिंग पर अर्पित करेगा। तो उसके सारे पुष्य समाप्त हो जाएंगे। गौर हो शिव लिंग पर पूजन के समय केवल सफेद फूलों को अर्पित करने की ही प्रथा है। परंतु केतकी के सफेद फूलों से भगवान शिव की पूजा नहीं की जाती है। इतना ही नहीं भगवान शिव के पूजन में किसी भी लाल रंग का पुष्प भी प्रयोग नहीं किया जाता है। माना जाता है कि केतकी के फूल से पूजन करने वाले के घर में दुख, क्लेश का वास हो जाता है।

 

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