लड़कियों की शादी में पैदा अवरोध को दूर करती है मां कात्यायनी

– मां दुर्गा के नौ रूपों में से छठे रूप में पूजी जाती है देवी कात्यायनी
चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरुप माता कात्यायनी की पूजा अर्चना करने की परंपरा है। माता कात्यायनी, भगवान ब्रह्मा, श्री विष्णु और महेश त्रिमूर्ति के तेज से अवतरित हुए थी। माना जाता है कि जिन लड़कियों की शादी में किसी कारण से देरी होती है, तो माता की पूजा करने से यह अवरोध दूर हो जाता है। आईए, आज माता दुर्गा के छठे स्वरुप की पूजा अर्चना के बारे विस्तार से जानकारी प्रदान करते हैं।

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कौन है माता कात्यायनी
माता पार्वती का दूसरा रुप मां कात्यायनी माना जाता है। संस्कृत शब्दकोश में तो मां पार्वती को उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हैमावती, इस्वरी के नाम से भी संबोधित किया जाता है। इन्हें शक्ति, दुर्गा, भद्रकाली और चंडिका भी कहा जाता है। यजुर्वेद में भी इसका उल्लेख मिलता है। सकंद पुराण में माता का जन्म परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से हुआ कहा गया है। माता के इस रुप ने ही देवी पार्वती द्वारा प्रदान किए गए सिंह पर विराजमान हो कर महिषासुर का वध किया। वे शक्ति की आदि स्वरूपा है। माता के बारे वर्णन देवीभागवत पुराण और मार्कंडेय ऋषि द्वारा रचित मार्कंडेय पुराण के देवी महात्म्य में भी किया गया है। जिसे चार सौ से पांच सौ ईसा पूर्व में लिपिबद्ध किया गया था। बौद्ध और जैन ग्रंथों और कई तांत्रिक ग्रंथों, विशेष रूप से 10वीं शताब्दी में रचिल कालिका पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है। उड़ीसा में तो देवी कात्यायनी और भगवान जगन्नाथ का स्थान एक ही माना जाता है।

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माता कात्यायनी का नाम कैसे पड़ा
माता का नाम कात्यायनी कैसे पड़ा। इसकी भी एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए लंबे समय तक कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। कुछ समय पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया तब त्रिमूर्ति भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। सबसे पहले महर्षि कात्यायन ने इन की पूजा की। इसी कारण से इन्हें कात्यायनी कहा जाता है। एक अन्य कथा अनुसार माता ने महर्षि कात्यायन के घऱ पुत्री रूप में जन्म लिया था। माता ने आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक तीन दिन इन्होंने कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था।

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गोपिय़ों ने की थी माता की पूजा
मां कात्यायनी हर इच्छा पूर्ण करती हैं। भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने माता की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी।

 

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सिंह पर सवार रहती हैं माता
मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला है। चारा भुजाओं वाली माता के दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है।

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मां की उपासना से होती है इन फलों की प्राप्ति
नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की उपासना का दिन होता है। मां कात्यायनी की भक्ति, पूजा अर्चना और उपासना से भक्त बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष इन चारों फलों की प्राप्ति कर लेता है। माता बेहद दयालु है। वह अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं करती है। मां को जो सच्चे मन से याद करता है उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं। जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करने के लिए माता का पूजन करना चाहिए।

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विवाह के लिये कात्यायनी मन्त्र
जिन कन्याओ के विवाह मे विलम्ब हो रहा है। उन्हें इस दिन मां कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए। ताकि उन्हें मनवांछित वर की प्राप्ति हो सके।
ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि । नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥

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माता का पूजन मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
अर्थ : हे देवी मां! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं।

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माता कात्यायनी जी की आरती
जय जय अम्बे जय कात्यानी
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत है कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
ब्रह्स्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यानी का धरिए
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को दिल से पुकारे
कात्यानी सब कष्ट निवारे

प्रदीप शाही

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