इस दौरान पंजाब विधान सभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह ने पानी के स्तर में सुधार करने सम्बन्धी तरीकों की समीक्षा करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाने का ऐलान किया। राज्य में भूजल के स्तर में आ रही गिरावट सम्बन्धी विचार-विमर्श में भाग लेते हुये विधायक श्री कुलदीप सिंह वैद्य ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाने का सुझाव दिया जिसके उपरांत यह फैसला लिया गया। विधान सभा के स्पीकर ने तुरंत कार्यवाही करते हुये कमेटी के गठन का ऐलान किया जो तीन महीनों में रिपोर्ट पेश करेगी।
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स्पीकर ने कहा कि यह मामला बहुत गंभीर था और क्योंकि सदन के सदस्यों ने यह मुद्दा उठाया है, इसलिए इस मामले में दखल देना सदन का नैतिक फर्ज बनता है। राणा के.पी. सिंह ने पंजाब सरकार को कमेटी की सहायता के लिए जल स्रोत विभाग के प्रमुख सचिव को नियुक्त करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इस गंभीर मामले में दखल देने के अलावा यह कमेटी भूजल के स्तर को रिचार्ज करने के तरीकों और साधनों सम्बन्धी प्रस्ताव भी पेश करेगी जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए इस मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन को बचाया जा सके।
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स्पीकर के ऐलान का सर्वसम्मति से स्वागत करते हुये पूरे सदन ने मेज थपथपा के उनका धन्यवाद किया। कैबिनेट मंत्रियों श्री मनप्रीत सिंह बादल और श्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा ने विचार-विमर्श में हिस्सा लेते हुये कहा कि पानी मानव का अस्तित्व बरकरार रखने के लिए सबसे मूल्यवान संसाधन है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी की बचत करने के लिए वचनबद्ध है। दोनों मंत्रियों ने कहा कि सरकार पहले ही इस मुद्दे के प्रति सहृदय है और इस नेक कार्य को सम्पूर्ण करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जायेगी।
इस गंभीर मुद्दे सम्बन्धी विचार-विमर्श की शुरुआत विधायक हरमिन्दर सिंह गिल ने की जबकि विरोधी पक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा, विधायक राणा गुरजीत सिंह, श्री हरिन्दरपाल सिंह चन्दूमाजरा, श्री कुलदीप सिंह वैद्य, श्री गुरप्रताप सिंह वडाला, श्री अमन अरोड़ा, श्री कंवर संधू और अन्यों ने भी शिरकत की।