चंडीगढ़, 05 अगस्त:
पंजाब सरकार जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य संभाल प्रोग्राम के अंतर्गत नवजात बच्चों को मानक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए निरंतर यत्न कर रही है और अब एच.एम.आई.एस. (हैल्थ मैनेजमेंट इन्फर्मेशन सिस्टम) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार पंजाब में जन्म के समय बच्चों को माता का दूध पिलाने का फीसद 30.7 (एन.एफ.एच.एस. -4 के आंकड़ों से 2015 -16 अनुसार) से बढक़र 81.7 फीसद हो गया। यह प्रगटावा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने आज ‘विश्व ब्रैस्टफीडिंग’ सप्ताह सम्बन्धी चलाई जागरूकता मुहिम के बारे एक पोस्टर जारी करते हुये किया।
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स. सिद्धू ने कहा कि नवजात बच्चों को माता का दूध पिलाने के लाभ संबंधी लोगों में जागरूकता फैलाने और इस सम्बन्धी तथ्य रहित धारणाओं या रुकावटों को दूर करने के लिए एक व्यापक जागरूकता मुहिम चलाई गई है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा उद्देश्य 100 प्रतिशत नवजात बच्चों को माता का दूध पिलाना है क्योंकि माता का दूध किसी भी संक्रमण के विरुद्ध लडऩे के लिए प्रभावशाली होता है और यह माता से ऐंटीबॉडीज़ को सीधे बच्चों में तबदील करके प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करता है।
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‘विश्व ब्रैस्ट फीडिंग’ सप्ताह की महत्ता को दर्शाते हुये स्वास्थ्य सेवाएं (परिवार कल्याण) के डायरैक्टर डा. अंदेश कंग ने कहा कि हर साल 1 से 7 अगस्त तक विश्व ब्रैस्ट फीडिंग सप्ताह (डब्ल्यू.बी.डब्ल्यू.) मनाया जाता है जिससे जन्म के उपरांत बच्चों को माता का दूध पिलाने की तुरंत शुरूआत पर कार्यवाही को उत्साहित करने के लिए एक विश्वव्यापी मुहिम शुरु की जा सके। इस साल ‘विश्व ब्रैस्ट फीडिंग’ सप्ताह का विषय : ‘प्रोटेक्ट ब्रैस्टफीडिंग : ए शेअर्ड रिस्पाँसीबिलटी’ है। इस विषय का मंतव्य बच्चों को माता का दूध पिलाना और इसको उत्साहित करना है क्योंकि हमारी आने वाली पीढिय़ों को सुरक्षित करना हमारी जि़म्मेदारी है।
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डा. कंग ने आगे महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुये बताया कि नवजात बच्चों को माता का दूध पिलाने और 2 साल या इससे अधिक उम्र तक लगातार माता का दूध पिलाने से न सिर्फ़ नवजात बच्चों, छोटे बच्चों बल्कि माताओं को भी बहुत लाभ होते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड होने की सूरत में भी हिदायतों की पालना करते हुये माता की तरफ से बच्चों को दूध पिलाना अति लाजि़मी है। उन्होंने माता के दूध के अन्य विकल्पों, कमर्शियल फ़ार्मूला फूडज़ आदि के प्रचार से बचने पर भी ज़ोर दिया। विश्व बै्रस्टफीडिंग सप्ताह के दौरान बोतल के साथ दूध पिलाने को रोकने सम्बन्धी भी जागरूकता प्रदान की जायेगी।
स्वास्थ्य मंत्री के सलाहकार डा. प्रभदीप कौर जौहल ने बताया कि बच्चों को माता का दूध पिलाते समय महिलाओं की निजता यकीनी बनाने के लिए सभी स्वास्थ्य सहूलतें देने के लिए एक विशेष कमरा/जगह भी रखी गई है।
इस सम्बन्धी अन्य जानकारी देते हुए प्रोग्राम अधिकारी डा. इन्द्रदीप कौर ने कहा कि विश्व बै्रस्टफीडिंग सप्ताह – 2021 का मुख्य उद्देश्य महिलाओं में नवजात बच्चों को दूध पिलाने के रुझान को बढ़ाने के लिए मौके प्रदान करना और ज़रुरी यत्न करना है। हमने साधारण प्रसूतियों में (एक घंटे के अंदर) और सी-सैक्शन (दो घंटों के अंदर) के दौरान माता का दूध पिलाने की शुरुआत को यकीनी बनाने के लिए यत्न किये हैं। इसके इलावा कम्युनिटी और अस्पताल स्तर पर 6 महीनों की उम्र तक कोलोस्ट्रम फीडिंग को उत्साहित करने और 2 साल और इससे अधिक उम्र के बच्चों को भी माता का दूध पिलाने पर ध्यान केन्द्रित करने की ज़रूरत है।
-Nav Gill