इंस्पेक्टर परमिन्दर बाजवा ने दो साथियों के साथ मिलकर दो व्यक्तियों से 1 किलोग्राम हेरोइन और 5 लाख रुपए की बरामदगी दिखाकर उनसे वसूले थे पैसे
डीजीपी गौरव यादव ने मुख्यमंत्री भगवंत मान की भ्रष्टाचार के विरुद्ध ज़ीरो टॉलरेंस नीति के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया, कहा कि वर्दी पहनकर गलत काम करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
चंडीगढ़: मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की नशों और भ्रष्टाचार के विरुद्ध ज़ीरो टॉलरेंस नीति को जारी रखते हुए पंजाब पुलिस ने आज दो व्यक्तियों को नशों के मामले में फंसाने और मोटी रकम वसूलने के मामले में एक इंस्पेक्टर समेत तीन पुलिस कर्मियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। बर्खास्त किए गए पुलिस कर्मियों की पहचान इंस्पेक्टर परमिन्दर सिंह बाजवा, एएसआई अंग्रेज सिंह और हैड कॉन्स्टेबल जोगिन्दर सिंह के रूप में हुई है, जोकि फिऱोज़पुर में नारकोटिक कंट्रोल सैल में तैनात थे।
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सेवाओं में घोर लापरवाही के लिए इंस्पेक्टर बाजवा को फिऱोज़पुर रेंज के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (आईजीपी) जसकरण सिंह ने बर्खास्त किया है, जब कि एएसआई अंग्रेज़ और हैड कॉन्स्टेबल जोगिन्दर को एसएसपी फिऱोज़पुर सुरिन्दर लाम्बा ने बर्खास्त किया है। तीनों कर्मचारियों को भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 (2) के अंतर्गत बर्खास्त किया गया है। पुलिस ने 25 जुलाई, 2022 को तीनों कर्मचारियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 166, 167, 195, 471, 218 और 120-बी और एन.डी.पी.एस. की धाराएं 21, 59 और 13 के तहत थाना फिऱोज़पुर छावनी में एफआईआर भी दर्ज की है।
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और अधिक जानकारी साझा करते हुए डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव ने बताया कि इंस्पेक्टर बाजवा, एएसआई अंग्रेज़ और हैड कॉन्स्टेबल जोगिन्दर के नेतृत्व में एंटी नारकोटिक सैल फिऱोज़पुर की टीम ने अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर 20 जुलाई, 2022 को दो व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया था और उनसे 1 किलो हेरोइन और 5 लाख रुपए की बरामदगी दिखाकर उनको नशों के झूठे मामले में फंसाया था। इस सम्बन्ध में मुलजि़म इंस्पेक्टर बाजवा द्वारा थाना फिऱोज़पुर छावनी में एनडीपीएस एक्ट की अलग-अलग धाराओं के तहत एफआईआर भी दर्ज की गई थी।
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डीजीपी ने बताया कि एसएसपी फिऱोज़पुर को इस बरामदगी पर पहले से ही शक हो गया था और उनकी तरफ से इस मामले की आंतरिक स्तर पर जाँच शुरू कर दी गई थी। जिसके चलते एक शिकायतकर्ता ने दोष लगाया कि कुछ पुलिस कर्मियों द्वारा उसके कर्मचारी से लाखों रुपए की धोखाधड़ी की गई है। उन्होंने बताया कि जाँच के दौरान मूलभूत रूप से यह बात सामने आई है कि दोषी पुलिस कर्मियों ने सारा मामला रचा था और पैसे हड़पने की नीयत से दोनों व्यक्तियों को गलत तरीके से केस में फंसाया था।
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उन्होंने कहा कि विस्तृत जाँच के दौरान मुलजि़मों से पूछताछ की गई, जिसके बारे में उनके पास कोई स्पष्टीकरण नहीं था और बाद में वह फऱार हो गए, जिससे शक और अधिक बढ़ गया। पंजाब को नशा मुक्त और भ्रष्टाचार मुक्त राज्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराते हुए डीजीपी गौरव यादव ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वर्दी पहनकर गलत काम करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यदि कोई पुलिस अधिकारी/कर्मचारी किसी भी किस्म की कोताही में शामिल पाया गया तो उसके साथ सख़्ती से निपटा जाएगा।