पंजाब पुलिस द्वारा कोविड -19 महामारी के दौरान ट्रैफिक़ प्रबंधन और सडक़ सुरक्षा विषय पर वैबीनार आयोजित

चंडीगढ़, 22 सितम्बर:

डिजिटल प्लेटफार्मों के प्रयोग के द्वारा पंजाब पुलिस और पंजाब के नागरिकों के बीच वाले फर्क को दूर करने के लिए पंजाब पुलिस और सेफ्टी अलायंस फार ऐवरीवन (सेफ) सोसायटी की तरफ से ‘कोविड -19 महामारी के दौरान ट्रैफिक़ प्रबंधन और सडक़ सुरक्षा विषय पर एक वैबीनार का आयोजन किया गया।

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इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये एडीजीपी ट्रैफिक़ श्री शरद सत्य चौहान ने बताया कि कोविड -19 महामारी के कारण पंजाब पुलिस राज्य के नागरिकों के साथ ट्रैफिक़ विषय पर व्यक्तिगत तौर पर बातचीत न कर सकी। पंजाब पुलिस और सेफ्टी अलायंस फार ऐवरीवन (सेफ) सोसायटी की तरफ से ‘सुरक्षित पंजाब प्रोग्राम’ के अंतर्गत आयोजित किया गया यह वैबीनार देश में अपनी किस्म का सबसे पहला वैबीनार है।
श्री रुपिन्दर सिंह के साथ बातचीत करते हुये एडीजीपी ट्रैफिक़ श्री शरद सत्य चौहान ने विस्तार से बताया कि कैसे कोविड-19 ने आज के समय में ट्रैफिक़ प्रबंधन और लागूकरन को प्रभावित किया और यह महामारी कैसे ट्रैफिक़ प्रबंधन और सडक़ सुरक्षा के भविष्य को बनाने जा रहा है। उन्होंने पंजाब पुलिस के डीजीपी श्री दिनकर गुप्ता का डिजिटल प्लेटफार्म के ज़रिये आम लोगों तक पहुँच बनाने के निर्देशों पर ऐसे प्रोग्राम करवाने के लिए सेफ्टी अलायंस फार ऐवरीवन (सेफ) सोसायटी का धन्यवाद भी किया।

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उन्होंने पुलिस के संपर्क रहित और डिजिटल ढंगों जैसे ई-चालान सिस्टम, ड्रंक एंड ड्रायव की जांच करने के समय पर एक बार प्रयोग वाले स्टरा और दस्तावेज़ों की जांच के लिए डिजी लॉकर प्लेटफार्म पर ज़ोर दिया।
उन्होंने आगे बताया कि नागरिक ख़ुद बिना वर्दी के पुलिस अधिकारी हैं जो कोविड-19 के साथ लड़ रहे राज्य में सकारात्मक तबदीली लिया सकते हैं। उन्होंने किसी ट्रैफिक़ नियम का उल्लंघन होने पर जि़म्मेदार नागरिकों की तरफ से अमल में लाने के लिए ‘रोको और टोको का नारा दिया।
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब पुलिस एस.ए.एस. नगर और पटियाला में सफल पायलट प्रोजैक्ट के बाद राज्य भर में ई-चालानिंग प्रणाली लागू करने सम्बन्धी विचार कर रही है जिसके द्वारा बड़ी संख्या में ट्रैफिक़ नियमों का उल्लंघन करने वालों को जुर्माना किया जा सकता है। हालाँकि, कॉर्पोरेट सोशल रिसपांसिबीलिटी (सी.एस.आर) के द्वारा काफ़ी मशीनें खरीदीं जाएंगी जिससे पूरे राज्य को एक डिजिटल प्लेटफार्म पर लाया जा सके और सभी चालान मशीनों के द्वारा किये जा सकें।

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इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये उन्होंने कहा कि भुगतान डिजिटल गेटवे के द्वारा किये जाएंगे। तैयार किये गए रिकार्डों की मौजुदगी से पंजाब पुलिस को बार-बार उल्लंघन करने वाले दोषियों पर सख़्ती से पेश आने और उनके लायसेंस रद्द करने में सहायता मिलेगी।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ट्रैफिक़ के नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए वर्चुअल अदालतों के रूप में एक निवेकली पहलकदमी संबंधी बताते हुये कहा कि अदालतों की सहायता से लुधियाना में यह प्रोजैक्ट लाया जा सकता है जहाँ आटोमैटिक कैमरों के द्वारा कंट्रोल रूम से डिजिटल चालान तैयार करके सम्बन्धित वर्चुअल अदालतों को भेजे जाएंगे जहाँ से अपराधियों को फ़ोन पर ई-सम्मन तामील की जा सकते हैं और अगर वह पेश नहीं हो सकते तो वर्चुअल अदालत के साथ जुड़े डिजिटल गेटवे के द्वारा जुर्माना अदा कर सकते हैं।

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और जानकारी देते हुये श्री शरद ने कहा कि यह चालान प्रक्रिया में संशोधन करने के लिए यह एक नया विस्तार होगा जिससे डिजिटल मोड के द्वारा समस्या का पता लगा कर तत्काल निपटारा किया जा सके। डा. शरद ने ट्रैफिक़ पुलिस मुलाजिमों को दी हिदायतों के साथ-साथ प्रशिक्षण के नये तरीकों को लागू करने के बारे भी बताया।
वैबीनार में तालाबन्दी के दौरान सडक़ीय हादसों के दौरान हो रही मौतों में दर्ज की कमी संबंधी पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुये उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग के उपाय और उठाये गए बेहतर कदम कुछ हद तक मददगार साबित होते हैं परन्तु सडक़ों और सफऱ करने वालों का व्यवहार हादसों की संख्या घटाने में अहम भूमिका अदा करता है। उन्होंने यह भी बताया कि डेटा ड्रिवन पुलिसिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा पंजाब पुलिस की समर्पित रोड सेफ्टी लैबारेटरी के रूप में सडक़ीय सुरक्षा के क्षेत्र में काम कर रही है।
अंत में, वैबिनार के दौरान यह निष्कर्ष निकाला गया कि इस महामारी के दौरान बेहतर ट्रैफिक़ व्यवस्था और सुरक्षित सडक़ीय माहौल तैयार करने के लिए प्रशासनिक जवाबदेही के साथ-साथ लोगों के भरपूर समर्थन भी अपेक्षित है। डा. शरद ने यह भी भरोसा दिया कि वैबीनार के दौरान प्राप्त हर टिप्पणी, प्रश्न और सुझाव की तरफ पूरी तरह जांचने करने के बाद विचार किया जायेगा।

-NAV GILL

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