-शिक्षा में सुधार के लिए अन्य विभागों के फंड शिक्षा के क्षेत्र को देने के लिए इच्छा दोहराई
चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने स्कूल शिक्षा विभाग को 80 करोड़ रुपए की राशि तुरंत जारी करने के लिए वित्त विभाग को निर्देश दिए हैं । इसी दौरान ही उन्होंने दूसरे विभागों के बजट में कटौती करके राज्य के शिक्षा सैक्टर में सुधार करने के लिए शिक्षा के लिए ओैर फंड उपलब्ध कराने की इच्छा भी दोहराई है ।
मुख्यमंत्री ने यह फ़ैसला आज दोपहर अपने सरकारी निवास स्थान पर अध्यापकों के माहिर ग्रुप के साथ मीटिंग की अध्यक्षता करते हुए लिया । इस ग्रुप में उन प्रिंसीपल /मुख्याध्यापक /स्कूलों के प्रशासक शामिल हैं जिनके विद्यार्थियों ने बोर्ड के इम्तिहानों में उच्च दर्र्जे की कारगुज़ारी दिखाई है । मुख्यमंत्री ने पंजाब के स्कूल शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए मीटिंग के दौरान सुझाव भी प्राप्त किये ।
सरकारी सीनियर सकैंडरी स्कूल, पटियाला की प्रिंसीपल किरण जीत कौर के नेतृत्व वाले माहिर ग्रुप ने मीटिंग से पहले शिक्षा मंत्री को स्कूली शिक्षा संबंधी अपनी सिफारिशें भी पेश की।
विभिन्न सुझावों और ग्रुप से प्राप्त हुई जानकारी पर विचार-विमर्श के दौरान मुख्यमंत्री ने दोहराया कि राज्य की शिक्षा प्रणाली का कार्याकल्प करते हुए फंडों की कोई भी कमी नहीं आने दी जायेगी । मुख्यमंत्री ने स्कूली बुनियादी ढांचे को मज़बूत बनाने के लिए विस्तृत स्कीम तैयार करने के लिए स्कूल विभाग के सचिव को निर्देश दिए जिससे इसके लिए ज़रुरी फंड उपलब्ध करवाए जा सकें । उन्होंने पंजाब के एनआरआईज़ से अपील की कि वह राज्य सरकार की कोशिशों के समर्थन में आगे आएं और अपना योगदान डालें। उन्होंने उद्योग को भी सी.एस.आर. पहलकदमियों के द्वारा मदद देने के लिए कहा है ।
राज्यभर के डिस्ट्किट इंस्टीच्यूटस ऑफ ऐजूकेशन एंड प्रशिक्षण (डायट) को मज़बूत बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षण देने वाले बढिय़ा अध्यापकों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जो अध्यापन की आधुनिक तकनीकों से लैस हों। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि ज़रूरत के अनुसार ट्रेनर-टीचर्ज को अपनी प्रतिभा को उभारने के लिए राज्य के बढिय़ा प्राईवेट स्कूलों में मौके उपलब्ध करवाए जाएँ । उन्होंने नये डायट सैंटर स्थापित करने की प्रक्रिया मुकम्मल करने के लिए भी शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं । उन्होंने कहा कि बाकी बचते 5 जिलों में इस वर्ष के आखिऱ तक इनको मुकम्मल किया जाये ।
मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री ने शिक्षा मंत्री के उस प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया जिसमें उन्होंने कहा कि वर्ष के बीच में अध्यापकों के तबादले न किये जाएँ । उन्होंने इस सुझाव पर भी सहमति अभिव्यक्त कि प्रमुख सचिव एक अलग प्रांतीय प्रशिक्षण काडर तैयार करें। उन्होंने शिक्षा विभाग से इस संबंधी विस्तृत रिपोर्ट की माँग की ।
शिक्षा सामग्री के डिजिटलीकरन की महत्ता पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों को ऑनलाइन टीचिंग सामग्री उपलब्ध करवाने के लिए विभाग को अपनी कोशिशें तेज करने के लिए कहा जो राज्य के दूर दराज़ में बसते विद्यार्थियों के लिए लाभकारी होगी । सचिव स्कूली शिक्षा ने मुख्यमंत्री को बताया कि सभी विषयों का ई -विषय वस्तु तैयार हो गया है। इसको पाठ्यक्रम के हिसाब के साथ तैयार करवाया गया है और यह इस वर्ष के आखिऱ तक तैयार हो जायेगा ।
अध्यापकों द्वारा की गई सिफारशों के संबंध में मुख्यमंत्री ने 10वीं तक फैल न करने (नौ -रीटेनशन) नीति का जायज़ा लेने के लिए भारत सरकार पर दबाव डालने पर सहमति जताई। इसमें यह बताया गया कि पहली क्लास से नौवीं क्लास तक विद्यार्थियों को पास किए जाने से अकादमिक कारगुज़ारी बदहतर हो गई है । ग्रुप ने यह भी महसूस किया है कि इस नीति के साथ विद्यार्थियों में अनुशासन पैदा करने में उत्साह मिलेगा क्योंकि इस समय विद्यार्थी नियमित तौर पर क्लासे नहीं लगाते और अध्यापकों की कोशिशों को गंभीरता से नहीं लेते ।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने ब्लाक मास्टर ट्रैनरज़ और क्लस्टर मास्टर ट्रेनरज़ को शिक्षा बढ़ावा प्रोग्राम के तहत तर्कसंगत बनाने के सुझाव पर सहमति व्यक्त की और कहा कि यह प्रशिक्षण ज़रूरत आधारित होना चाहिए । मुख्यमंत्री ने केरला और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्योंं में अध्यापकों के स्टडी टूर आयोजित कराने का भी सुझाव दिया । मीटिंग में शिक्षा मंत्री ओ पी सोनी, मुख्यमंत्री के सलाहकार रवीन ठुकराल, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव तेजवीर सिंह, सचिव स्कूल शिक्षा कृष्ण कुमार और राज्य के विभिन्न सरकारी स्कूलों के प्रिंसीपल उपस्थित थे ।