चंडीगढ़, 21 मार्चः
मोदी सरकार की वित्तीय नीतियों को बेतुकी और अप्रगतिशील बताते हुए पंजाब के खेल और युवक सेवाओं बारे मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह जैसे वित्तीय माहिरों से वित्तीय मार्गदर्शन लेने की जरूरत है।
आज यहाँ से जारी प्रैस बयान में राणा सोढी ने कहा कि नोटबन्दी के बाद पिछले पाँच सालों में भारतीय आर्थिकता बुरी तरह बर्बाद हो गई है। अब केंद्र सरकार द्वारा पेश की गई मुद्रीकरण 2021 नीति भारत के बहुमूल्य सम्पत्तियों की बिक्री के अलावा और कुछ नहीं है और केंद्र सरकार इसको भी अपना एक और सुधार या उपलब्धि गिना सकती है परन्तु सम्पत्तियों की बिक्री हमारे लिए लाभकारी कैसे साबित होगी जबकि हम सार्वजनिक खर्चों के लक्ष्यों की पूर्ति करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार 50 रेलवे स्टेशन, 150 रेल गाड़ीयों, दूर संचार संपत्ति, बिजली संचार संपत्ति, खेल स्टेडियम, हवाई अड्डों में हिस्सेदारी, पैट्रोलियम पाईप लाईनों और समुद्री बंदरगाहों को बेचना चाहती है। सब कुछ बेचने की तैयारी है परन्तु केंद्र सरकार का यह बताना बनता है कि इसके बाद देश को चलाने के लिए उनके पास कौन सी योजना है। सरकार की कामचलाऊ नीतियाँ कई सवाल खड़ा करती हैं और दूरदर्शिता की कमी को दर्शाती हैं। बैंकों के निजीकरण के फैसले को एक बहुत बड़ी गलती करार देते हुए श्री सोढी ने कहा कि इस सरकार को राष्ट्रीय संपत्ति बेचने का कोई अधिकार नहीं है खसकर उस समय जब वह एक भी ‘नवरत्न’ बनाने के योग्य नहीं है और पिछले छह सालों में एक भी ‘नवरत्न’ बनाने में असफल रही मोदी सरकार ने पिछली सरकारों द्वारा केंद्र को ‘विरासत’ में मिली राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचा है।
राणा सोढी ने कहा कि नरेन्द्र मोदी में दूरदर्शिता की कमी होने के कारण केंद्र सरकार राजस्व जुटाने में नाकाम रही है इसलिए अपने मौजूदा खर्चों को चलाने के लिए सरकार लगातार उधार ले रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय आर्थिकता में चल रहे संकट की शुरूआत 8 नवंबर, 2016 की एक बुरी रात को हुई थी। श्री सोढी ने भारतीय संसद में डाॅ. मनमोहन सिंह द्वारा नोटबन्दी बारे की गई भविष्यवाणी कि ‘‘नोटबन्दी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2 फीसदी की कमी लाएगी’’ का जिक्र करते हुए कहा कि इस भविष्यवाणी की तरफ हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था। इसके उलट गलत ढंग से बनाए और जल्दबाज़ी में लागू किये गए हानिकारक वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) ने बड़ी संख्या में मध्यम और लघु उद्योगों सहित हमारी आर्थिकता को तबाह करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। इन दोनों विनाशों ने लाखों लोगों की रोजी-रोटी छीन ली और भारतीय आर्थिकता को लम्बे समय के लिए अंधेरे की तरफ धकेल दिया।
राणा सोढी ने कहा कि तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आई कमी ने मोदी सरकार को तेल कीमतों में कटौती के चलते लोगों को लाभ देने का मौका दिया था परंतु सरकार ने इसके उलट लोगों के हितों को दरकिनार करते हुए अपने खजाने भरना जरूरी समझा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के अतिरिक्त पैट्रोलियम टैक्सों और सैसों के कारण हर परिवार का बजट सिकुड़ता जा रहा है।
-NAV GILL