भारत में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करने का विधान है। देवी-देवताओं के साथ ही भारत में जीव-जंतुओं व पेड़-पौधों की पूजा भी की जाती है। जैसे गाय को माता का दर्जा देते हुए पूजनीय माना जाता है और तुलसी व पीपल के पेड़ की पूजा होती है। इसी के तहत भगवान शिव के गले के आभूषण कहे जाने वाले नाग को भी देवता मानते हुए पूजा जाता है। नाग पूजा से संबंधित ‘नाग पंचमी’ का त्योहार पूरे भारत में श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा अर्चना पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है।
इसे भी पढ़ें…सावन महीने में रखें यह व्रत…मिलेगा मनचाहा व योग्य वर
नाग पंचमी
हमारे देश में नागपूजा प्राचीनकाल से चली आ रही है। नाग पंचमी का त्योहार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता के दर्शन करना शुभ माना जाता है और मुख्य रूप से नाग देवता को दूध से स्नान करवाने की परंपरा है। लेकिन अब ज्यादातर लोग नाग देवता को दूध पिलाने लगे हैं।
इसे भी पढ़ें…इस अदभुत् मंदिर में… बलि चढ़ाने के बाद बकरा दोबारा हो जाता है ज़िंदा !
नाग पंचमी से जुड़ी कथा
नाग पंचमी के त्योहार के साथ कई कथाएं जुड़ी हैं। एक प्राचीन कथा लीलाधर नामक एक किसान के साथ जुड़ी हुई है। लीलाधर के तीन पुत्र तथा एक पुत्री थी। एक बार वह किसान खेत में हल चला रहा तो इस दौरान सांप के बच्चों की मौत हो गई। इसके बाद अपने बच्चों की मौत का बदला लेने के लिए नागिन किसान के घर गई और रात को किसान, उसकी पत्नी और उसके बेटों को डस लिया जिसके चलते सभी की मौत हो गई। लेकिन नागिन ने किसान की पुत्री को नहीं डसा। अगले दिन सुबह के समय नागिन किसान की बेटी को मारने के लिए किसान के घर गई। लेकिन किसान की बेटी ने नागिन के लिए एक कटोरे में दूध रखकर प्रार्थना करते हुए पिता से अनजाने में हुई गलती की माफी मांगी। नाग माता ने इससे प्रसन्न होकर पूरे परिवार को जीवनदान दे दिया। साथ ही नाग माता ने कहा कि श्रावण शुक्ल पंचमी को यानि नाग पंचमी के दिन जो महिला नाग का पूजन करेगी, उसकी कई पीढ़ियां सुरक्षित हो जाएंगी।
भारत में नाग पूजा का एक कारण यह भी माना जाता है कि भारत के अधिकतर लोग कृषि का काम करते हैं और कहा जाता है कि सांप किसानों के खेतों की रक्षा करते हैं। नाग खेतों को नुकसान पहुंचाने वाले जीव-जंतुओं जैसे चूहों आदि को खत्म कर देता है। इस लिए किसानों द्वारा नाग को देवता मानते हुए पूजा की जाती है।
इसे भी पढ़ें…जानिए एशिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर के बारे में
पूजन विधि
नाग पंचमी के दिन नाग पूजा करने का विधान है। नाग पंचमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें । सर्वप्रथम नागों की बांबी में एक कटोरी दूध चढ़ाएं और दीवार पर गेरु लगाकर उस स्थान को पवित्र कर पूजा के लिए तैयार करें। इसके बाद नाग का चित्र बनाकर पूजा करें। घर के प्रवेश द्वार पर दोनों ओर गोबर से नागों की आकृतियां बनाकर भी पूजा कर सकते हैं। दीवार पर बनाए नागदेवता की दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, कच्चा दूध, रोली व चावल से पूजा करें। पूजा के बाद खीर, सेंवईयों व मिष्ठान का भोग लगाएं। पूजा के दौरान इस बात का ध्यान जरूर रखें कि नागदेव को खुशबूदार फूल अर्पित करते हुए पूजा के समय चंदन का प्रयोग करें क्योंकि नागदेव को इनकी सुगंध पसंद होती है। नाग देवता को खीर भी भेंट की जाती है। साथ ही इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने व खीर खिलाने का भी विधान है। इस खीर को बाद में प्रसाद के रूप में खुद ग्रहण कर सकते हैं। इस दिन सपेरों को भी दूध और पैसे आदि दिए जाते हैं।
इसे भी पढ़ें…सदियों पुराना विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर…जहां नंदी जी की होती है विशेष पूजा
नाग पंचमी पर न करें यह काम
नाग पंचमी पर नाग को दूध पिलाने की परंपरा है। लेकिन कहा जाता है कि नाग को दूध नहीं पिलाना चाहिए, क्योंकि दूध पिलाने से नाग की मौत हो जाती है और मृत्यु का दोष दूध पिलाने वाले को लगता है। सावन के पूरे महीने में खासकर नागपंचमी के दिन धरती की खुदाई करना सही नहीं माना जाता। कुछ स्थानों पर नाग पंचमी के दिन चूल्हे पर तवा नहीं चढ़ाया जाता। इसका कारण यह माना जाता है कि तवा देखने में नाग के फन की तरह होता है और नाग पंचमी के दिन तवे को चूल्हे पर रखना नाग के फन को आग पर रखने के समान होता है।
नाग पंचमी पर काल सर्प दोष दूर करने के लिए पूजा का विधान
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष है तो नागपंचमी के दिन पूजा करने से काल सर्प दोष दूर हो सकता है। कालसर्प दोष को दूर करने के लिए यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा और ॐ नमः शिवाय का जाप करने से लाभ होता है। काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए नाग पंचमी का दिन खास है। इस दिन किसी प्राचीन शिव मंदिर या किसी नदी के किनारे पर स्थित शिव मंदिर में काल सर्प निवारण के लिए पूजा करवाएं। शिव परिवार के साथ ही नाग-नागिन की पूजा करें। पूजा के लिए सोने, चांदी या तांबे के नाग-नागिन बनवा सकते हैं। उनकी प्राण प्रतिष्ठा करें। नाग-नागिन की प्रतिमा का दूध से अभिषेक करके पूजन करें। पूजन के बाद इन प्रतिमाओं को किसी मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर चढ़ा दें या धातु के बने नाग-नागिन को नदी में बहा दें। साथ ही भगवान शिव का रुद्राभिषेक व हवन करें। पूजा के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि पूजा में काले या नीले रंग के कपड़ें पहनने से परहेज़ करें।
वाराणसी में लगता है विशाल मेला
वाराणसी में नाग कुआँ नामक स्थान है। इस स्थान पर नाग पंचमी के अवसर पर एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान पर तक्षक नाग गरूड़ जी के भय से बालक का रूप धरकर संस्कृत की शिक्षा लेने के लिए आया था। गरूड़ जी को जब तक्षक नाग के जहां होने का पता लगा तो उन्होंने तक्षक नाग पर हमला किया। लेकिन गुरू के प्रभाव के चलते गरूड़ जी ने तक्षक नाग को अभय होने का वरदान दिया। इसके बाद से निरंतर नाग पंचमी के अवसर पर नाग पूजा होती है। लोगों का विश्वास है कि नाग पंचमी के दिन जो व्यक्ति यहाँ नाग कुएं के दर्शन कर पूजा करता है उसकी कुन्डली से सर्प दोष समाप्त हो जाता है।
इसे भी पढ़ें…एक ऐसा मंदिर जहां आज भी कैद में है देवी….
धर्मेन्द्र संधू