नवरात्र में भूलकर भी ना करें यह काम…नहीं तो….

डा. धर्मेन्द्र संधू

मां दुर्गा के पूजन में व्रत का खास महत्व है। हिंदू धर्म में नवरात्र पर देवी को प्रसन्न करने के लिए अखंड द्वीप प्रज्वलित कर 9 दिन उपवास रखने का विधान है। इस दौरान व्रत रखने वाले फलाहार ग्रहण करते हैं तथा मां शक्ति की भक्ति करते हैं। नवरात्र में देवी के व्रतों का विधान मात्र श्रद्धा आधारित ही नहीं है बल्कि यह वैज्ञानिक महत्व भी रखता है।

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व्रत रखने का वैज्ञानिक महत्व

हम जानते हैं वर्ष में नवरात्र चार बार आते हैं किंतु पूरे देश में दो नवरात्र ही विशेष रूप से मनाए जाते हैं-चैत्र नवरात्र तथा शारदीय नवरात्र। ध्यान देने वाला तथ्य यह है कि यह दोनों नवरात्र ऋतु के संधि काल में पड़ते हैं। यह वह समय होता है जब मौसम बदलता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। अतः ऐसे समय में व्रत के दौरान ग्रहण किया जाने वाला सात्विक आहार या फलाहार शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को तो बढ़ाता ही है साथ ही व्रत का संकल्प मानसिक रूप से भी मनुष्य को सबल बनाता है।

कैसे रखें व्रत ?

नवरात्र शुरू होने पर आप शुभ मुहूर्त में सारे घर की साफ सफाई करें। इसके पश्चात नहा-धोकर देवी का पूजन करें। अखंड ज्योति प्रज्वलित कर कलश की स्थापना करें तथा यदि आप किसी विशेष इच्छा की प्राप्ति के लिए व्रत रख रहे हैं तो अपने सीधे हाथ में जल लेकर उसमें चावल, फूल, एक सुपारी और सिक्का रखकर मां के सामने अपनी इच्छा को प्रकट करें। बाद में माता जी के चरणो में इस जल को छोड़ दें। व्रत में क्रोध करने से बचना चाहिए तथा सात्विक आचरण करना चाहिए। ऐसा ना करने पर आपका मन विचलित होगा तथा मां की पूजा-अर्चना में ध्यान केंद्रित नहीं होगा।

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व्रत में क्या खाएं ?

नवरात्र का व्रत धारण कर आप फलाहार, दूध से बने पदार्थ जैसे दही, घी आदि को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। सिंघाड़े के आटे की बनी पूरियां या पकोड़े, कुट्टू का आटा तथा साबूदाने की खिचड़ी, ड्राई फ्रूट, आलू, शकरकंद इत्यादि को भी व्रत के आहार के रूप में ग्रहण किया जा सकता है।

व्रत में क्या ना खाएं ?

व्रत का मतलब अपनी पाचन क्रिया को कुछ आराम देना है। कुछ लोग व्रत रखकर सारा दिन ही कुछ ना कुछ खाते रहते हैं या खाने के बारे में सोचते रहते हैं। ऐसा बिल्कुल ना करें। अगर आप अपने मन को ही नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं तो इस व्यर्थ के आडंबर से आपको कोई लाभ नहीं होने वाला। व्रत में आप अपने शरीर की ऊर्जा को बनाए रखने के लिए जरूरत अनुसार ही ऊपर बताई गई चीजों का सेवन कर सकते हैं। किंतु फिर भी व्रत के दौरान सुबह खाली पेट चाय, दही या केला खाने से परहेज करें क्योंकि यह चीजें एसिडिटी को बढ़ाती हैं तथा आपकी सेहत को बिगाड़ सकती हैं। इसके साथ ही ज्यादा ड्राई फ्रूट्स के सेवन से भी बचें। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं तथा हल्की डाइट लें। प्रसन्न रहें व मानसिक तनाव से बचें और मां की भक्ति में चित्त को स्थिर करें।

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शास्त्रों में किसे है व्रत करने की मनाही ?

भारतीय धर्म ग्रंथों की माने तो बच्चों, बीमार व गर्भवती स्त्री को व्रत नहीं करना चाहिए। इन सबको व्रत रखने की इजाजत भारतीय शास्त्र नहीं देते। इसके अलावा जो औरतें मासिक चक्र से गुजर रही हैं, उन्हें भी व्रत नहीं करना चाहिए।

नवरात्र में भूलकर भी ना करें यह काम

कन्या को देवी का स्वरूप माना जाता है इसलिए नवरात्र में कन्या पूजन किया जाता है। नवरात्र में कभी भी किसी कन्या का दिल नहीं दुखाना चाहिए और ना ही कभी उसे पैर लगाना चाहिए। यदि आपने घर में अखंड ज्योति या कलश की स्थापना कर रखी है तो आपको कभी भी घर अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। कलह से बचें तथा जहां तक हो सके मन में भी किसी के प्रति कोई पाप का भाव ना आने दें। तामसिक चीजों के सेवन से बचें। कामवासना पर पूर्णता काबू रखें।

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समझें व्रत या नवरात्र पूजन का सही अर्थ

व्रत, उपवास, पूजा, ध्यान वास्तव में किसी बाहरी प्रसन्नता के लिए नहीं हैं बल्कि मानसिक शांति व आत्मिक उन्नति के लिए हैं। इस पावन पर्व पर अकेले बैठना, ईश्वर से रूबरू होना, वास्तव में अपनी आत्मा में झांकना है। दिन भर की दौड़-भाग में जिस काम को नहीं किया जा सकता, उसे करने का सुनहरा अवसर प्रदान करते हैं यह नवरात्र। अतः बाहरी पाखंडों से बचें, सत्य बोलें, अपने बुरे कर्मों को ईश्वर के समक्ष स्वीकारें तथा क्षमा प्रार्थना करें। इससे मन हल्का होगा व आत्मा को बल मिलेगा और आप नवरात्र दर नवरात्र उन्नति व सफलता के उस पड़ाव पर पहुंचेंगे, जहां सिर्फ वही पहुंच सकते हैं, जिन पर महामाई की कृपा होती है।

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