-भगवान श्री राम कैसे बने मर्यादा पुरुषोतम
प्रदीप शाही
सतयुग के बाद त्रेतायुग में भगवान श्री विष्णु हरि ने भगवान श्री राम के रुप में इस धरती पर अवतार लिया। श्री राम के साथ शेषनाग ने उनके छोटे भाई लक्ष्मण के रुप में, देवी लक्ष्मी ने माता सीता के रुप में, भगवान शंकर के अंशावतार ने हनुमान जी के रुप में अवतार लेकर धरती पर बढ़ रहे अत्याचार को समाप्त किया। भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोतम के नाम से भी अलंकृत किया गया। भगवान श्री राम आखिर कैसे मर्यादा पुरुषोतम बने। इतना ही भगवान श्री राम ने विवाह उपरांत मुंह दिखाई रस्म पर देवी सीता को क्या उपहार दिया था। आज आपको इस बारे विस्तार से जानकारी प्रदान करते हैं।
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कौन थे भगवान श्री राम ?
भगवान श्री विष्णु के अवतार श्री राम अयोध्या के राजा दशरथ के सुपुत्र थे। श्री राम का विवाह राजा जनक की बेटी देवी सीता संग हुआ था। देवी सीता को देवी लक्ष्मी का अवतार कहा जाता है। रामायण में भगवान श्री राम और जनक पुत्री देवी सीता के विवाह के बारे बेहद सुंदर प्रसंग मिलता है। एक बार भगवान श्री राम अपने गुरु विश्वामित्र के लिए और दूसरी तरफ देवी सीता, माता गौरी की पूजा करने के लिए फूलों की वाटिका में फूल लेने पहुंचते हैं। वहां पहली बार इन दोनों की मुलाकात होती है। पहली मुलाकात में ही देवी सीता श्री राम को दिल से चाहने लग जाती है। देवी सीता, मां गौरी से श्री राम को अपने स्वामी के रुप में पाने के लिए इस श्लोक के माध्यम से ‘मनु जाहि राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर सावरो। करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो ॥’ प्रार्थना करती हैं। माता गौरी भी देवी सीता के मन की बात को स्वीकार करती हैं।
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देवी सीता संग हुआ श्रीराम का विवाह
राजा जनक की ओर से अपनी सपुत्री देवी सीता के लिए स्वंयवर का आयोजन किया जाता है। इस स्वंयवर में सभी देवी देवता वेष बदल कर शामिल होने आते हैं। स्वंयवर में भगवान शिव के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की शर्त रखी जाती है। विभिन्न देशों के राजा और राजकुमार धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश करते हैं। परंतु सभी असफल रहते हैं। अंत में केवल श्री राम ही भगवान शिव के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने में सफल होते हैं। भगवान राम की कुंडली में मौजूद मंगलिक योग होने के कारण विवाह में कई अड़चने आती हैं। आखिर सभी अड़चनों को दूर करते हुए देवी सीता संग श्री राम का ही विवाह संपन्न हुआ।
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मुंह दिखाई रस्म पर श्री राम ने देवी सीता को दिया उपहार
भगवान श्री राम, देवी सीता संग विवाह संपन्न होने के बाद अयोध्या पहुंचने पर सभी रस्मों के पूरा होने के बाद आखिर मुंह दिखाई की रस्म का समय भी आया। इस रस्म में पति द्वारा अपनी पत्नी को कोई उपहार देने की परंपरा है। भगवान श्री राम ने भी इस रस्म को पूरा करने के लिए देवी सीता को एक उपहार दिया। मुंह दिखाई रस्म में श्री राम ने देवी सीता को भौतिक उपहार ने देते हुए बल्कि एक वचन दिया। इस वचनानुसार श्री राम ने कहा कि वह आजीवन एक पत्नी व्रत का ही पालन करेंगे। उन्होंने वादा किया कि उनके जीवन में देवी सीता के अलावा कोई अन्य स्त्री प्रवेश नहीं करेगी। जिसका श्री राम ने जीवन भर पालन किया। भगवान श्री राम ने अपनी पत्नी सीता को अमूल्य उपहार दिया। जिसे पाकर देवी सीता बहुत प्रसन्न हुई। भगवान श्री राम के पास कई विवाह के प्रस्ताव आए। परंतु उन्होंने सभी प्रस्तावों को अस्वीकार कर दिया। भगवान श्री राम को इन्हीं मर्यादाओं का पालन करने के कारण मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से अलंकृत किया।
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