डा.धर्मेन्द्र संधू
मानव एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहते हुए उसे अनेक प्रकार के दुखों व कष्टों का सामना करना पड़ता है। भारतीय दर्शन की मानें तो इस पृथ्वी लोक में कोई भी जीव सुखी नहीं है। कोई किसी समस्या से ग्रस्त है तो कोई किसी समस्या से। आपने भी कभी ना कभी तो अवश्य इस पर विचार किया होगा या अनुभव किया होगा। आपने अपने आसपास अपने परिवार में या समाज में प्रत्येक व्यक्ति को किसी ना किसी बात को लेकर परेशान या चिंतित होते हुए अवश्य देखा होगा। कुछ लोगों के पास रोजगार नहीं है तो किसी का विवाह नहीं हो पा रहा है। अगर विवाहित हैं तो कुछ लोग संतान ना होने से परेशान हैं। इसके अलावा बुजुर्गों व बच्चों की भी अपनी ही परेशानियां होती हैं कभी बीमारी या कुछ और। हर व्यक्ति अपनी इन समस्याओं से निजात पाना चाहता है। इनमें से अधिकांश समस्याओं से निजात पाने के उपाय दुर्गा सप्तशती में मिलते हैं।
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देवी पूजन का विधान ही कुछ ऐसा है कि हर भाव का व्यक्ति अपनी सच्ची श्रद्धा व भक्ति से देवी को प्रसन्न कर मन वांछित फल की प्राप्ति कर सकता है। अगर भक्त के मन का भाव सच्चा तथा भावना निर्मल है तो देवी मात्र नाम जप लेने भर से ही प्रसन्न हो जाती हैं। सच्चे हृदय वालों को किसी कठिन साधना या परीक्षा से नहीं गुजरना पड़ता।
क्या है दुर्गा सप्तशती ?
दुर्गा सप्तशती मां दुर्गा की उत्पत्ति की कथा है। इसके 13 अध्याय हैं। इन अध्यायों में सर्वप्रथम देवी कवच का पाठ है। मार्कंडेय ऋषि की प्रार्थना पर ब्रह्मा जी ने इस कवच को बताया था। ऐसी मान्यता है कि इस कवच का पाठ करने वाला व्यक्ति कभी किसी घोर संकट में नहीं पड़ता तथा जहां-जहां जाता है, वहीं उसे सफलता प्राप्त होती है। आगे के अध्यायों में महर्षि मार्कंडेय जी द्वारा देवी के प्रादुर्भाव तथा शक्ति रूप की महिमा का वर्णन है। अंत में क्षमा प्रार्थना का विधान है। नवरात्र के 9 दिन इस पाठ के लिए उत्तम माने गए हैं। जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसे इस जीवन में तो श्रेष्ठ फल मिलता ही है तथा अगले जन्मों के लिए भी उत्तम योनि को प्राप्त करता है।
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सप्तशती में वर्णित विभिन्न मंत्र
ब्रह्मांड के सभी देवताओं में मात्र मां दुर्गा ही एक ऐसी देवी हैं, जिनमें रज, तम तथा सत्व तीनों ही गुण विद्यमान हैं। अतः हर भावना का व्यक्ति देवी के नौ रूपों में से अपनी इच्छा के अनुरूप देवी के रूप का चयन कर मन वांछित फल की प्राप्ति कर सकता है। सप्तशती में विभिन्न प्रकार की समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए अनेक मंत्रों का वर्णन है। जिनका जप कर आप अपनी इच्छा को पूर्ण कर सकते हैं। दुर्गा सप्तशती में वर्णित कुछ प्रसिद्ध मंत्र इस प्रकार हैं-
धन, पुत्र आदि की प्राप्ति के लिए
निसंतान दंपतियों अथवा बेरोजगारों को नवरात्र में इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
सर्वा बाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य सुतान्वितः ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशःय ।।
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पापनाश तथा भक्ति प्राप्ति के लिए
नर्तव्य सर्वदा भक्त्या चंडीके दुरितापहे।
रूपम देहि जयम देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
सब प्रकार के कल्याण के लिए
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणी नमोस्तुते।।
महामारी के नाश के लिए
जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपम देहि जयम देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
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सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति के लिए
पत्नी मनोरमां देहि मनोवृृत्तानुसारिणीम्।
तारिणी दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्वभवाम्।।
इसके अतिरिक्त भी दुर्गा सप्तशती में विभिन्न मुश्किलों, परेशानियों से मुक्ति के लिए विभिन्न श्लोकों का वर्णन है। इन सभी से आप उत्तम फल की प्राप्ति तभी कर सकते हैं यदि देवी के प्रति आपकी श्रद्धा सच्ची तथा भावना पवित्र हो। सच्चे मन से नवरात्र में देवी पूजन करें। मां सच्चे हृदय वालों की पुकार जल्द ही सुनती है। नवरात्र में आप भी देवी की महिमा का गुणगान करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें तथा इन सभी मंत्रों द्वारा देवी को प्रसन्न कर मनोवांछित फलों की प्राप्ति करें।