यदि आप गर्भवती हैं और आप थायराइड की समस्या से पीड़ित हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए। वैसे तो महिलाओं में थायराइड की समस्या आम है । लेकिन गर्भवती महिलाओं को थायराइड के कारण अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। यह समस्या ज्यादा बढ़ने पर मां और बच्चे को खतरा हो सकता है।
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क्या है थायराइड और गर्भावस्था में कैसे है नुकसानदायक ?
थायराइड एक तितली के आकार की अंत स्त्राव ग्रन्थि होती है जो गले में होती है। यह ग्रन्थि दो इंच तक लम्बी हो सकती है। थायराइड में दो प्रकार के हार्मोन टी 3 और टी 4 होते हैं जो मानव शरीर में सांस संबंधी समस्याओं और पाचन क्रिया में सहायक होते हैं। गर्भावस्था के दौरान 30 प्रतिशत के करीब महिलाओं को इस समस्या से जूझना पड़ता है। अगर समय रहते इसका इलाज न करवाया जाए तो यह समस्या मां और गर्भ में पल रहे शिशु, दोनों के लिए ही जानलेवा साबित हो सकती है। थायराइड ग्रस्त महिलाओं के नवजात शिशुओं को भी नियोनेटल हाइपोथायराइड होने की संभावना होती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार की लापरवाही बरतने से नुकसान हो सकता है।
गर्भावस्था में थायराइड के लक्षण
थकान रहना
गर्भावस्था में थकान होना आम बात हे लेकिन ज्यादा थकान हाइपर थायराइड का लक्षण हो सकती है।
जी मिचलाना और उल्टी आना
गर्भवती महिलाओं के लिए पहली तिमाही में अधिक जी मिचलाना और उल्टी आना भी हाइपर थायराइड का लक्षण हो सकता है।
आंखों की समस्या
थायराइड के लक्षणों में नज़र का कम होना और आंखों में बार–बार पानी आना भी शामिल है।
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शुगर का बढ़ना
अगर प्रेगनेंसी से पहले आप शुगर की समस्या से पीड़ित हैं और प्रेगनेंसी के बाद यह लगातार बढ़ रही है तो यह हाइपर थायराइड की ओर संकेत करती है।
पेट में खराबी
गर्भावस्था के दौरान अगर पाचन तंत्र से संबंधित कोई समस्या है तो यह भी थायराइड की ओर इशारा करती है।
एकाएक वजन का घटना
अगर आपकी भूख बढ़ रही है और वजन घट रहा है तो भी यह समस्या हो सकती है।
थायराइड की समस्या क्यों होती है ?
महिलाओं में यह समस्या अलग–अलग कारणों से होती है। इसका मुख्य कारण ग्रेव्ज रोग होता है। ग्रेव्ज रोग गर्भवती महिलाओं के रोग प्रतिरोधक तंत्र में खराबी के कारण होता है। जिसकी वजह से थायराइड ग्रन्थियां बहुत ज्यादा मात्रा में थायराइड हार्मोन बनाने लगती हैं।
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हाइपर थायराइड का पता कैसे लगाया जा सकता है?
खून की जांच करवाकर गर्भावस्था के दौरान हाइपर थायराइड का पता लगाया जा सकता है। इस जांच को थायराइड प्रोफाइल टेस्ट कहा जाता है। यह टेस्ट सभी जांच केंद्रों पर होता है। अगर आपको हाइपर थायराइड से संबंधित लक्षण नज़र आते हैं तो अल्ट्रासेंसिटिव टी.एस.एच की जांच करवानी चाहिए।
कितना होना चाहिए थायराइड का लेवल
अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि गर्भावस्था के पहले तीन महीने के दौरान महिला के शरीर में थायराइड का लेवल 0.1एम.एल–यू से 2.5 एम.एल–यू के बीच रहना चाहिए। इससे ज्यादा होने पर डाक्टर की सलाह लेनी जरूरी है। नहीं तो यह लेवल मां और बच्चे की सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। थायराइड के इलाज के लिए ली जाने वाली दवाई की मात्रा डाक्टर की सलाह से जरूरत के अनुसार घटाई व बढ़ाई भी जा सकती है ताकि पेट में पल रहे बच्चे को कोई नुकसान न हो।
गर्भावस्था में क्यों होना चाहिए थयराइड का स्तर सामान्य
थायराइड ग्रन्थि से निकलने वाले हार्मोन शिशु के दिमागी विकास के लिए सहायक होते हैं। अगर प्रेगनेंसी के दौरान इन हार्मोन के स्तर को नियंत्रित न किया जाए तो बच्चे के विकास में बाधा आ सकती है। अगर समय रहते इसका इलाज न करवाया जाए तो कुछ गिने चुने केसों में उच्च रक्तचाप यानि हाई ब्लड प्रेशर और गर्भपात की संभावना बढ़ सकती है।
थायराइड में क्या खाएं ?
थायराइड की समस्या से जूझ रही महिलाओं को दवाई के साथ–साथ अपने खान–पान व आहार पर विषेष ध्यान देना चाहिए। ताकि गर्भावस्था के दौरान आने वाली समस्याओं को कम किया जा सके ।
आयोडीन युक्त आहार
सभी प्रकार के समुद्री भोजन में आयोडीन प्रचुर मात्रा में होता है, जैसे मछली आदि। दूध से बनी वस्तुओं, अंडे की जर्दी और आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग करना चाहिए।
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क्या न खाएं
यदि आप हाइपर थायराइड की समस्या से जूझ रहे हैं तो नाइट्रेट युक्त आहार से परहेज़ करें। नाइट्रेट युक्त आहार में सासेज, पालक, ब्रोकली, गाजर, खीरा व कद्दु इत्यादि आते हैं।
इसके अलावा तनाव से दूर रहें क्योंकि तनाव भी इस समस्या को बढ़ाने का काम करता है। दिन में कम से कम 5 से 6 लीटर पानी पीना चाहिए। साथ ही डाक्टर की हर सलाह का पालन इमानदारी से करें ताकि आप और आपका बच्चा दोनों ही सुरक्षित रह सकें ।
सपना (डा.)