रोगों में रामबाण है त्रिफला
सेहतमंद रहने के लिए करें त्रिफला का सेवन
मनुष्य और प्रकृति के बीच में गहरा संबंध स्थापित है। प्रकृति की विशेषता है कि प्रकृति ने मानव को उपहार स्वरूप अनेक प्रकार के पेड़-पौधे, शुद्ध पानी, शुद्ध वायु व भोजन इत्यादि उपलब्ध करवाया है। इन सभी जीवनदायक उपहारों के अतिरिक्त प्रकृति ने मनुष्य को कुछ ऐसी जड़ी-बूटियां व औषधियां भी दी हैं जो मनुष्य के लिए रामबाण सिद्ध होती हैं। कुछ औषधियां ऐसी हैं जिनके नियमित प्रयोग व सेवन से असाध्य रोगों व बीमारियों को दूर किया जा सकता है तथा रोग मुक्त रहते हुए मनुष्य सेहतमंद जीवन व्यतीत कर सकता है। आज हम ऐसी ही औषधि के बारे में चर्चा करेंगे जो तीन फलों के मिश्रण से बनी है। आज हम बात करेंगे ‘त्रिफला’ की। त्रिफला भारतीय आयुर्वेदिक पद्धति में प्रयुक्त होने वाली महत्वपूर्ण औषधियों में से एक है।
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‘त्रिफला’ का अर्थ
‘त्रिफला’ तीन महत्वपूर्ण औषधियों व फलों से मिलकर बना मिश्रण है। दूसरे शब्दों में त्रिफला का अर्थ है ‘तीन फल’। त्रिफला में मुख्य रूप से आंवला, बहेड़ा व हरड़ का मिश्रण रहता है। इन तीनों का सेवन अगर सीमित मात्रा में किया जाए तो कई प्रकार के रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है। त्रिफला का नियमित रूप में सही मात्रा में सेवन करने से व्यक्ति को हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा व पेट के रोग होने की संभावना नहीं रहती।
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‘त्रिफला’ का प्रयोग
अगर ‘त्रिफला’ का सेवन सुबह किया जाए तो इसे ‘पोषक’ कहते हैं क्योंकि यह शरीर को पोषित करता है। यह शरीर में कैल्शियम, विटामिन व लोह तत्वों की कमी को दूर करता है।
रात के समय किया गया ‘त्रिफला’ का प्रयोग ‘रोचक’ कहलाता है। रात को इसका सेवन करने से कब्ज़ दूर होती है और पेट साफ होता है। रात को ‘त्रिफला’ का सेवन गुनगुने पानी या गर्म दूध के साथ करना लाभदायक रहता है।
‘त्रिफला’ के सेवन के लाभ
‘त्रिफला’ के नियमित सेवन से शारीरिक कमज़ोरी दूर होती है। इसके प्रयोग से लंबे समय तक रोगों से दूर व मुक्त रहा जा सकता है। ‘त्रिफला’ का सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। जिससे शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
-‘त्रिफला’ का सेवन तीनों दोषों वात, कफ व पित्त को दूर करता है।
-‘त्रिफला’ का प्रयोग कर बालों को समय से पहले सफेद होने से बचाया जा सकता है।
-रात के समय गुनगुने पानी के साथ ‘त्रिफला’ का सेवन करने से कब्ज़ दूर होती है व पेट के रोग ठीक होते हैं।
-‘त्रिफला’ कोलेस्ट्रोल के स्तर को कम करने के लिए रामबाण औषधि है।
-आंखों के विकार दूर करने के लिए ‘त्रिफला’ सहायक सिद्ध होता है। आयुर्वेद के ग्रन्थों में बताया गया है कि ‘त्रिफला’ आंखों की रोशनी में सुधार करता है और मोतियाबिंद जैसे रोगों को ठीक करता है।
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-‘त्रिफला’ का सेवन एनीमिया में भी कारगार सिद्ध होता है। ‘त्रिफला’ का नियमित सेवन करने से शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं बढ़ती हैं।
-मधुमेह अथवा शूगर के रोगियों के लिए ‘त्रिफला’ रामबाण औषधि है। यह शरीर में इंसुलिन की उचित मात्रा को बनाए रखता है और शर्करा यानि शूगर के स्तर को ठीक रखता है।
-त्वचा यानि चमड़ी संबंधी समस्याओं को दूर करने में ‘त्रिफला’ का प्रयोग लाभदायक रहता है। यह शरीर से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालता है। जिससें खून साफ होता है चमड़ी के रोग दूर होते हैं।
-‘त्रिफला’ पाचन तंत्र को मज़बूत करता है। और आंतों को साफ भी करता है।
‘त्रिफला’ के नुकसान
-‘त्रिफला’ का सेवन गर्भवती व बच्चे को दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
-6 साल से कम उम्र के बच्चों को ‘त्रिफला’ ना दें।
-‘त्रिफला’ का अधिक सेवन दस्त का कारण बन सकता है।
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-‘त्रिफला’ का सेवन किसी विशेषज्ञ की सलाह से करें। सलाह से ही इसकी मात्रा का निर्धारण करना चाहिए। चाहे ‘त्रिफला’ सेहत के लिए लाभदायक है लेकिन फिर भी सही लाभ के लिए इसका प्रयोग आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह से ही करना चाहिए। क्योंकि ‘त्रिफला’ की तासीर गर्म होती है। इसका अत्याधिक सेवन शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
धर्मेन्द्र संधू