आज यहाँ से जारी बयान में श्री बाजवा ने कहा कि दिवंगत महान सख्शियतों के परिवारों के साथ हमदर्दी जाहिर करते हुये परमात्मा के आगे अरदास की है कि परिवार को ईश्वरीय आदेश मानने का हौंसला प्रदान करेे और दिवंगत आत्माओं को अपने चरणों में स्थान प्रदान करे।
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प्रोफैसर कुलवंत ग्रेवाल के मूल्यवान योगदान संबंधी श्री बाजवा ने कहा कि उन्होंने पंजाबी कविता की अध्यामिकता, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक साहित्यक पहचान को अपनी कविता की अंतरीवता में पिरोया है। प्रो. ग्रेवाल को साल 2016 में भाषा विभाग, पंजाब की तरफ से शिरोमणि पंजाबी कवि पुरुस्कार के तौर पर भी नवाज़ा गया था।
इस मौके पर उन्होंने प्रिंसिपल तरसेम बाहीआ के योगदान के बारे जिक्र करते हुये कहा कि प्रसिद्ध विद्वान होने के साथ साथ वह अपने विद्यार्थी जीवन से लेकर विभिन्न पदों पर रहते हुए भी जीवन के अंतिम पड़ाव तक जनहितों के लिए हमेशा संघर्षील रहे।
डा. इंद्रजीत संबंधी श्री बाजवा ने श्रद्धा और सत्कार भेंट करते हुये कहा कि डा. इंद्रजीत पंजाबी के प्रसिद्ध विद्वान और संस्कृति को समर्पित सख्शियत थे, सुखचैना खालसा कालेज फगवाड़ा के प्रिंसिपल के तौर पर सेवाएं निभाने के इलावा भंगड़े को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाने में बड़ा योगदान डाला।
श्री तारन गुजराल को पंजाबी भाषा की उच्चकोटि की शायर मानते हुये श्री बाजवा ने कहा कि उन्होंने सारी उम्र अपने साहित्यक सफर के दौरान आम लोगों की भावनाओं को जुबान देने के असूल पर चले।