-कृषि अधिकारी कीटनाशक एक्ट 1968 और उर्वरक कंट्रोल एक्ट 1985 को सख्ती से कराएंगे लागू
चंडीगढ़ : पंजाब निवासियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उनके तक शुद्ध और प्राकृतिक कृषि उपज की पहुँच यकीनी बनाने के लिए किसानों को मानक खादें और अन्य कृषि रासायन उपलब्ध करवाना अनिवार्य है। ‘तंदरुस्त पंजाब मिशन’ के अंतर्गत नकली खाद और अन्य कृषि सामग्री बेचने की संभावना को समाप्त करने के लिए बिना बिल के खाद और कीटनाशक दवाएँ बेचने वाले डीलरों पर सख्ती से नकेल कसी जा रही है।
‘तंदरुस्त पंजाब मिशन’ के डायरैक्टर श्री काहन सिंह पन्नूं ने कृषि विभाग के डायरैक्टर को पत्र लिखकर कीटनाशक एक्ट, 1968 और उर्वरक कंट्रोल एक्ट, 1985 को सख्ती से लागू करने के लिए कहा है। राज्य के समस्त डिप्टी कमीश्नरों को पत्र की प्रति भेजकर पाबंद किया गया है कि वह जिला स्तर पर समस्त कृषि अधिकारियों को हिदायतें जारी करें कि कीटनाशक दवाओं की दुकानों की निरंतर चैकिंग यकीनी बनाई जाये और किसानों को नकली कीटनाशकों के खतरनाक निष्कर्षों संबंधी जागरूक किया जाये। पत्र में साफ़ किया गया है कि जिला कृषि अधिकारी उक्त कानूनों की हिदायतों का उचित अनुपालन यकीनी बनाएं और पंजाब में किसी भी प्राईवेट डीलर द्वारा खाद और कृषि रसायन बिना बिल से बेचने की संभावना को समाप्त करें। यदि कोई डीलर बिना बिल के कृषि उर्वरक या अन्य सामग्री बेचता पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाये और उसका लाइसेंस तक रद्द करने से परहेज़ न किया जाये।
श्री पन्नूं ने बताया कि कृषि में हरित क्रांती के बाद फसलों के लिए रासायनों का प्रयोग बड़े स्तर पर हो रहा है। राज्य में रसायनिक खादें, बीज और कृषि रासायन बड़े स्तर पर प्राईवेट ट्रेडरों द्वारा लगभग 8,000 दुकानों के द्वारा किसानों को बेचे जाते हैं। यह देखा गया है कि बहुत से प्राईवेट दुकानदारों द्वारा किसानों को खाद, दवाएँ और अन्य कृषि सामग्री बिना किसी पक्के बिल से बेची जा रही है जिस कारण नकली खाद और अन्य कृषि सामग्री के बेचने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
श्री पन्नूं ने कहा कि पंजाब सरकार की तरफ से स्थापित तंदरुस्त पंजाब मिशन के अंतर्गत लोगों को साफ़ पानी, शुद्ध भोजन और स्वच्छ हवा यकीनी बनाई जानी है क्योंकि कृषि के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली मानक खादें और रसायन बढिय़ा भोजन पैदा करने का ज़रिया बनतीं हैं, इसलिए ज़रूरी हो जाता है कि अच्छे मानक की खादें और अन्य कृषि रासायन किसानों को उपलब्ध करना यकीनी बनाया जाये। उन्होंने कहा कि रसायनिक उर्वरक और कृषि सामग्री की सही गुणवत्ता और सही मात्रा यकीनी बनाना जहाँ दुकानदारों की जि़म्मेदारी है, वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों की भी कानूनी और नैतिक जि़म्मेदारी है कि वे किसानों को मानक कृषि लागत सामग्री उपलब्ध करवाएं।
उन्होंने बताया कि इसको ध्यान में रखते हुए डायरैक्टर कृषि को कीटनाशक एक्ट, 1968 और उर्वरक कंट्रोल एक्ट, 1985 के अंतर्गत शक्तियां ईस्तेमाल करते हुए राज्य में किसी भी डीलर द्वारा खाद और कृषि रासायनों को बिना बिल के न बेचना यकीनी बनाने के लिए कहा गया है।