धान की पराली को आग लगाने से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकने में अहम योगदान दे रहे फतेहगढ़ साहिब जिले के गांव साधुगढ़ के किसान सुरजीत सिंह बीते 17 साल से पराली को भूमि में ही मिक्स कर रहे हैं।
किसान सुरजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2001 में ही धान की पराली को ज़मीन में ही मिक्स करने का काम शुरु कर दिया था। वर्ष 2006 में पंजाब कृषि विश्व विद्यालय के मकेनिकल इंजीनियर डॉ. हरिंदर सिंह सिद्धू की सलाह 54 एकड़ भूमि पर ही हैप्पी सीडर से बुआई करनी शुरु कर दी थी। हैप्पी सीडर में जमीन अनुसार कुछ परिवर्तन भी किए। ताकि भूमि की बुआई सही ढंग से की जा सके। हैप्पी सीडर से एक दिन से छह से आठ एकड क्षेत्रफल में पराली को जमीन में मिक्स किया जा सकता है। कंबाईन में लगे एसएमएस से धान की कटाई कर साथ ही हैप्पी सीडर का प्रयोग कर पराली को मिक्स किया जाता है। 20 दिन अग्रिम गेहूँ की बुआयी होने के कारण प्रति एकड ढाई क्विंटल झाड भी अधिक मिलता है। अब प्रति एकड 22 से 23 क्विंटल गेहूँ का झाड अधिक मिल रहा है।
सबसे अहम बात यह भी है कि सुरजीत ने पानी की बचत के लिए साल 2006 से ही फौव्वारा सिस्टम लगा कर पानी की सिंचाई की जा रही है। सरकार से इस प्रोजेक्ट पर 75 फीसद सब्सिडी भी मिली थी। अगले वर्ष से सारी ज़मीन में ही जैविक खेती तकनीक को अपनाने की योजाना है।