-भगवान श्री कृष्ण की अनूठी लीला
प्रदीप शाही
द्वापर युग में अवतरित हुए भगवान श्री विष्णु जी के अवतार भगवान श्री कृष्ण ने इस धरती पर कई अनूठी लीला कर जनमानस का उद्धार किया। हमारे कई धार्मिक ग्रंथों में भगवान श्री कृष्ण की इन न्यारी लीलाओं का उल्लेख मिलता है। श्री कृष्ण जी ने कई अहंकारी लोगों का घमंड चकनाचूर किया। इतना ही नहीं अपनी अंगुली पर धारण किए भगवान श्री परशुराम की ओर से प्रदान किए गए सुदर्शन चक्र के अभिमान को भी तोड़ा। सुदर्शन चक्र को हुए अहंकार को भगवान श्री कृष्ण ने अपनी लीला रचते हुए बजरंग बली की मदद से समाप्त किया। आखिर कैसे सुदर्शन चक्र का अभिमान तोड़ा।
इसे भी देखें……यहां पर वास करते हैं छह इंच के बजरंग बली
भगवान श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र को हुआ अहंकार
कहा जाता है कि महाभारत का युद्ध समाप्त हुए लंबा अर्सा बीत चुका था। पांडव हस्तिनापुर में और भगवान श्री कृष्ण द्वारिका नगर में सुखपूर्वक राज कर रहे थे। तभी श्री कृष्ण को ज्ञात हुआ कि भगवान परशुराम जी की ओर से उन्हें प्रदान किए गए सुदर्शन चक्र को अपने बल पर अहंकार हो गया है। महाभारत के युद्ध के बाद सुदर्शन चक्र को यह लगने लगा था कि अब कोई भी शक्ति देव हो या दानव, या फिर इंसान उसकी शक्ति के सामने टिक नहीं सकता है। तब श्री कृष्ण को जब इस बारे ज्ञात हुआ कि उन्हें बेहद दुख हुआ। श्री कृष्ण ने सोचा यदि अभी भी सुदर्शन चक्र के अभिमान को तोड़ा ने गया तो भविष्य में इसके परिणाम दुखद हो सकते हैं। तब भगवान श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र के अहंकार को तोड़ने के लिए वीर बजरंगी हनुमान जी का ध्यान किया। हनुमान जी ने श्री कृष्ण के ध्यान की भाषा को समझते हुए उनके दरबार में पहुंचने के स्थान पर उनके बगीचे में पहुंचना मुनासिब समझा।
इसे भी देखें…..यहां हनुमानजी की नाभि से निकलता है चमत्कारी जल … पीने से होता है रोगों का इलाज
हनुमान जी ने ऐसे तोड़ा सुदर्शन चक्र का घमंड
आप सब यह जानते हैं कि यदि कोई वानर किसी बगीचे में घुस जाए। तो उस बाग की ही क्चा हालात होगी। श्री हनुमान जी ने भी बगीचे में पहुंचते ही वहां पर तूफान मचा दिया। कुछ फल खाए। बाकि सभी को खराब कर दिया। वहीं फूलों के पौधों को भी उजाड़ दिया। इतना ही नहीं बाग में लगे पेडों को भी उखाड़ कर फैंक दिया। सारा बाग खराब कर दिया। राज बागीचे का ध्यान रखने वालों ने जब यह देखा तो सेनापति को सूचित किया गया। हनुमान जी ने सैनिकों को भी वहां से खदेड़ दिया। सारे सैनिक थक के चूर हो गए। इतना ही नहीं सेनापति को भी अपनी पूंछ से बांध कर बाग से बाहर फैंक दिया। चोटिल हुए सेनापति राज दरबार में पहुंचे। वहां उन्होंने श्री कृष्ण को सारी जानकारी प्रदान की। श्री कृष्ण तुरंत सारी बात को समझ गए। वह समझ गए कि इस घटना का अंत होने का समय आ गया है। उन्होंने तुरंत सुदर्शन चक्र को इस समस्या का समाधान करने के आदेश देते हुए मुख्य राज द्वार की रक्षा करने के लिए कहा। उधर हनुमान जी भी श्री कृष्ण की मन को भावनाओं को समझते हुए राज दरबार की तरफ चल पड़े। राज द्वार पर रक्षा के लिए तैनात सुदर्शन चक्र ने वानर रुप में हनुमान जी को रोकने की सभी कोशिशें की। परंतु वह पूरी तरह से असफल हो गया। इतना ही नहीं सभी पर भारी पड़ने वाले सुदर्शन चक्र को हनुमान जी अपने मुंह में दबा लिया। राज दरबार में पहुंच कर वानर रुपी हनुमान जी, भगवान श्री कृष्ण के समझ नतमस्तक हो गए। साथ ही सुदर्शन चक्र को अपने मुंह से निकाल दिया। सुदर्शन चक्र का इस घटना के बाद अहंकार चूर-चूर हो गया।
इसे भी देखें……जानिए हनुमान जी ने क्यों धारण किया था पंचमुखी रूप…