-गौपाष्टमी के शुभारंभ पर ही श्री कृष्ण को मिला था ग्वाला, गोविंदा का नया संबोधन
विश्व में भारत ही एक एेसा देश हैं , जहां पर देवी देवताओं के अलावा जानवरों की भी पूर्ण श्रद्धाभाव से पूजा किए जाने की सदियों से परंपरा प्रचलित है। जिसमें गौमाता की पूजा करनी सबसे प्रमुख मानी गई है। क्योंकि शास्त्रानुसार गाय में 33 कोटी देवी देवताओं का वास है। भारत में गौ को माता का दर्जा भी दिया गया है। इसी कारण देश गौ पूजन से सभी देवता प्रसन्न हो कर पूजन करने वालों को अपने आशीर्वाद से अनुग्रहित करते हैं। गौपाष्टमी पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी के तौर पर मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने गौ चारने की लीला का शुभारंभ किया था। देश भर में 16 नवंबर 2018 को पूर्ण श्रद्धाभाव से गौपाष्टमी का धार्मिक पर्व मनाया जा रहा है।
गौपाष्टमी पर कैसे करें पूजन
गौपाष्टमी पर गौ माता के संग बछड़े का पूजन करने का विधान है। पूजन में गायों और उनके बछड़ों को स्नान करवा पूजा जाता है। गौ माता के अंगों में मेंहदी, हल्दी लगाई जाती है। गायों के गलों फूलों के हार पहना कर धूप, रोली, गुड खिलाया जाता है। गायों को वस्त्र पहना कर उनकी आरती उतरी जाती है। साथ ही गौ माता की परिक्रमा भी की जाती है।
गौपाष्टमी का महत्व
माना जाता है कि गौपाष्टमी पर गौ माता की सच्चे मन से सेवा करने वालों के जीवन में कोई भी संकट नहीं आता है। जिस तरह एक माता अपनी संतान को किसी भी तरह का कष्ट नहीं होने देती है। उसी तरह गौमाता भी पूजा करने के जीवन को कष्टमुक्त कर देती है। गौ माता के पूजन से हर मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों अनुसार गाय का दूध,
घी, दही, छाछ के अलावा गौ मूत्र भी सबसे अधिक स्वास्थ्यवर्धक होता है।
इन्हें भी पढ़ें…वैज्ञानिकों ने माना स्वास्तिक चिह्न और लाल रंग से प्रवाहित होती है सकारात्मक उर्जा
गौपाष्टमी मनाने संबंधी पौराणिक कथा
भघवान विष्णू के अवतार भगवान कृष्ण जी की सभी बाल लीलाएं कुछ न कुछ संदेश देती हैं। भगवान कृष्ण ने अपने जीवन के जब छठे वर्ष में प्रवेश किया। तब एक दिन भगवान श्री कृष्ण ने माता यशोदा से बछड़ों की जगह पर गाय चराने का आग्रह किया। माता ने बाबा से अनुमति लेने को कहा। श्री कृष्ण ने बाबा से गायों को चराने की अपनी बात दोहराई। बाबा ने कहा हो जाओ। तब चराने जाना। परंतु बाल रुप श्री कृष्ण हठ के आगे झुकते हुए पंडित जी को बुला कर शुभ महूर्त देखने के लिए कहा। श्री कृष्ण ने पंडित जी को बाबा को आज ही कि शुभ महूर्त बताने के लिए कहा। इसके बदले मैं आपको बहुत सारा माखन दूंगा।
यह भी पढ़ें… यहां हुआ था भगवान श्री कृष्ण का अंतिम संस्कार ??
पंडित जी नंद बाबा के पास पहुंच कर बार-बार पंचांग देख गणना करने लगे। तब नंद बाबा ने कहा कि क्या हुआ पंडित जी । तब पंडित जी ने कहा कि केवल आज का ही महूर्त निकल रहा है। इसके बाद तो एक वर्ष तक कोई शुभ समय ही नहीं है। पंडित जी से स्वीकृति मिलने पर नंदबाबा ने श्री कृष्ण को गौ चारने की स्वीकृति दे दी। एेसे में अष्टमी पर श्री कृष्ण ग्वाला बन गए। तभी से श्री कृष्ण को गोविंदा के नाम से पुकारा जाने लगा। इस बार गोपाष्टमी 16 नवंबर को मनाई जा रही है।
इन्हें भी पढ़ें…ॐ, डमरू के नाद का है, भोले बाबा के निवास पर वास