खेल मंत्री मीत हेयर ने देश के नामी निशानेबाज़ों को किया सम्मानित

निशानेबाज़ी में पंजाब देश का नेतृत्व करेगा, अंजुम मौदगिल की पहली विश्व रैंकिंग समूचे देश के लिए गर्व की बात
चंडीगढ़ : अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुकाबलों में निशानेबाज़ी भारत की अहम खेल बन गई है और देश इस खेल में विश्व शक्ति के तौर पर उभरा है। पिछले 18-20 सालों के अरसे के दौरान भारत ने ओलम्पिक खेल, विश्व चैंपियनशिप, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में कई पदक जीते हैं। तेज़ी से तरक्की कर रही है इस खेल में पंजाब देश का नेतृत्व करेगा और 2024 में होने वाली पैरिस ओलम्पिक खेल में भारत बेहतर प्रदर्शन दिखाएगा।
यह बात पंजाब के खेल मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने बीती देर शाम निशानेबाज़ों के सम्मान समारोह के दौरान सम्बोधन करते हुए कही। निशानेबाज़ अंजुम मौदगिल की पहली विश्व रैंकिंग के सम्बन्ध में अंकुश भारद्वाज स्पोटर््स फाउडेशन द्वारा अम्बिका ग्रुप के सहयोग से करवाए सम्मान समारोह के दौरान खेल मंत्री ने इस मौके पर अंजुम मौदगिल समेत देश के नामी निशानेबाज़ों गौरी, अजितेश कौशल, विजयवीर सिद्धू, उदयवीर सिद्धू, विश्वजीत सिंह, सिफत कौर, उनीश, शिखा चौधरी, नैना वर्मा, सोमिल चौधरी, दिवेश वर्मा, देवांश और मनराज और प्रशिक्षक दीपाली देशपांडे समेत प्रवीण वर्मा, सुमित सोनी, अमित सूद, साजन शर्मा, अश्वनी शर्मा को सम्मानित किया।
मीत हेयर ने कहा कि भारत निशानेबाज़ी खेल का प्रभाव यहाँ तक है कि हाल ही में बर्मिंघम में हुई राष्ट्रमंडल खेलों में भारत की पदक सूची और भी बेहतर होती अगर निशानेबाज़ी खेल को बाहर न रखा होता। उन्होंने कहा कि पंजाब की धरती ने अभिनव बिंद्रा के रूप में देश को पहला ओलम्पिक चैंपियन दिया। पिछले समय में हुए विश्व कप में अंजुम मौदगिल, अर्जुन बबूटा, सिफत कौर, विजयवीर सिंह सिद्धू ने पदक जीते। अंजुम मौदगिल की नंबर एक विश्व रैंकिंग हासिल की, जोकि समूचे देश के लिए गर्व की बात है। इस महीने होने वाली राष्ट्रीय खेलों में जहाँ हमारे पंजाब के 16 निशानेबाज़ हिस्सा ले रहे हैं वहीं अक्तूबर में होने वाली विश्व चैंपियनशिप में पंजाब के 10 निशानेबाज़ हिस्सा लेने जा रहे हैं।
खेल मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व अधीन पंजाब सरकार खेल को बढ़ावा देने के लिए बड़े प्रयास कर रही है। ‘खेडां वतन पंजाब दियां’ के साथ खेल समर्थकीय माहौल सृजन किया जा रहा है। राष्ट्रमंडल खेलों में नाम रौशन करने वाले पंजाबी खिलाडिय़ों को 9.30 करोड़ रुपए की ईनामी राशि से सम्मानित किया गया। पहली बार हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी नकद राशि से सम्मानित किए गए। निशानेबाज़ी खेल को भी विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। शूटिंग रेंजों को अपग्रेड करने के लिए 6 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
मीत हेयर ने कहा कि पंजाब 2001 की राष्ट्रीय खेलों में पहले स्थान पर था, परन्तु अब धीरे-धीरे पंजाब का स्थान नीचे खिसकता जा रहा है। नई खेल नीति माहिरों की राय के साथ बनाई जा रही है। पड़ोसी राज्य हरियाणा, उड़ीसा, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की खेल नीतियों से भी सीख ली जाएगी। उन्होंने कहा कि पंजाब में प्रतिभा की कोई कमी नहीं, बस ज़रूरत इसकी पहचान कर सही अवसर प्रदान करने की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार खिलाडिय़ों को अनुकूल माहौल, बढिय़ा खेल मैदान, प्रशिक्षक, खेल सामान और डाइट देने पर काम कर रही है। उन्होंने खिलाडिय़ों को स्पॉन्सर करने वालों का भी धन्यवाद किया।
इस मौके पर रोहतक डिवीजऩ के कमिश्नर और हरियाणा के पूर्व खेल डायरैक्टर जगदीप सिंह और चंडीगढ़ के एस.एस.पी. कुलदीप चाहल ने विचार साझे किए। अंकुश भारद्वाज और सन्दीप विर्क द्वारा समूह मेहमानों और खिलाडिय़ों का धन्यवाद किया गया।

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