कैबिनेट ने पंजाब सहकारी सोसायटी एक्ट, 1961 में विभिन्न संशोधनों को दी मंजूरी

चंडीगढ़, 2 मार्च:
सहकारी सोसायटियों की कार्यप्रणाली को सुचारू बनाने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब मंत्रीमंडल ने सोमवार को पंजाब सहकारी सोसायटी एक्ट, 1961 में संशोधन को मंज़ूरी दे दी।

 

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जि़क्रयोग्य है कि यह एक्ट, 1961 में पंजाब एक्ट नंबर 25 के द्वारा अस्तित्व में आया और पिछले कई सालों दौरान इसमें कुछ कमीयां सामने आईं, जिससे राज्य में क्षेत्रीय दफ्तरों के लिए कई व्यावहारिक मुश्किलें पैदा हो रही हैं। इसके अलावा पंजाब सहकारी सोसायटी एक्ट, 1961 में संशोधनों के लिए पंजाब सरकार और आर.बी.आई. से भी सहकारिता विभाग को कई सुझाव /हिदायतें मिलीं। इन कमियों को दूर करने और राज्य सरकार और आर.बी.आई. की हिदायतों का पालन करते हुए पंजाबी सहकारी सोसायटी एक्ट में विभिन्न संशोधन किए गए हैं।
इन संशोधनों की मुख्य विशेषताओं का जि़क्र करते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि पंजाब सहकारी सोसायटी एक्ट, 1961 में धारा 7(1) शामिल की गई है जिससे रजिस्ट्रेशन के लिए अजऱ्ी के साथ रजिस्ट्रेशन फीस ली जा सके। धारा 70-ए के अंतर्गत आर.बी.आई. के हुक्म को लागू करते हुए धारा 26सी अधीन इंश्योर्ड बैंक की मैंबरशिप पर पाबंदी लगाई गई है। इसी तरह धारा 6 में शहरी सहकारी बैंक (यू.सी.बी.) के मामले में मैंबर के व्यक्तिगत हिस्से को सीमित कर दिया गया है। यह पूँजीगत हिस्सा किसी भी मामले में अधिक से अधिक 5 प्रतिशत होगा। पुनर्विचार याचिकाओं के प्रभावशाली निपटारे बारे ज़्यादा स्पष्टता लाने के लिए धारा 3(5) और 69 में भी संशोधन किया गया है। कर्जों की रिकवरी के लिए अधिकारियों को और समय देने के लिए धारा 22 (1) में भी संशोधन किया गया और धारा 55 के अंतर्गत विवादों के निपटारे की सिफ़ारिश करने के लिए रजिस्ट्रार को तय समय सीमा मुहैया की गई है।
-NAV GILL

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