चंडीगढ़ : दिल्ली के मुख्यमंत्री के बेहूदा दावों का आंकड़ों के साथ दिया करारा जवाब क्या वह वास्तव में ही आई.आई.टी. ग्रैजुएट है? मुख्यमंत्री ने केजरीवाल से पुछा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का स्तर बढऩे के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री की तरफ से सिफऱ् पंजाब को जि़म्मेदार ठहराने के बेहूदा दावों की खिल्ली उड़ाई है। मुख्यमंत्री ने आप नेता को राजनैतिक नौटंकियां छोडऩे और ऊट-पटांग बातें करने से पहले आंकड़ों को खंगालने के लिए कहा। आज यहाँ से जारी एक बयान में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केजरीवाल के बेतुके बयान को रद्द करते हुए आंकड़ों का हवाला दिया क्योंकि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की हर मोर्चे पर नाकामियों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए एक और चाल चली है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि दिल्ली के लोगों को अच्छा शासन मुहैया करवाने में असफल रहने के बाद केजरीवाल ने अपनी पुरानी आदत के अनुसार झूठ और धोखे की शरण लेने की कोशिश की है।
पंजाब में पराली जलाने की सैटेलाइट तस्वीरों के द्वारा दिल्ली में गंभीर प्रदूषण का मुख्य कारण बनने बारे हास्यप्रद तर्क देने के लिए केजरीवाल पर चुटकी लेते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि उसकी अपेक्षा तो स्कूल पढ़ते बच्चों को अधिक पता होगा। दिल्ली में अपने हमरुतबा के कारणों को पूरी तरह अनुचित बताते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘‘क्या वह (केजरीवाल) सचमुच आई.आई.टी. ग्रैजुएट है?’’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि ऐसा लगता है कि केजरीवाल ने अपने दावों में तस्वीर को वैज्ञानिक सबूत देने की गुस्ताख़ी की है। उन्होंने कहा कि यदि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने तथ्यों की जांच की होती तो वह ऐसी बयानबाज़ी करने से पहले सैंकड़ों बार सोचते।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आंकड़ों का हवाला देते हुए केजरीवाल के तर्कहीन और हास्यप्रद दावे को रद्द कर दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि पंजाब के लोग आप नेता की तरफ से अपने राज्य की नाकामियां उनके सिर मढऩे की कोशिशों को नम्रतापूर्वक नहीं लेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव में देखेंगे कि पंजाब केजरीवाल और आप के बारे में क्या सोचता है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल पिछले विधानसभा चुनाव से भी बुरा हश्र देखने के लिए तैयार रहे।
आंकड़ों का हवाला देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का मापदंड (ए.क्यू.आई.) हरेक साल दिसंबर और जनवरी के दौरान 300 से ज़्यादा रहता है जबकि पड़ोसी राज्यों में पराली भी नहीं जलाई जाती। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि दिल्ली में अपने साधनों के कारण राष्ट्रीय राजधानी पर इसका प्रभाव होता है जिसके लिए वाहनों, निर्माण गतिविधियों, औद्योगिक गतिविधियों, बिजली प्लांटों, म्यूंसिपल का अवशेष जलाने और सफ़ाई के काम कारण बनते हैं।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि भारत के मौसम विभाग के वैदर रिसर्च एंड फौरकास्टिंग मॉडल की हवा प्रदूषण बारे ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली -एन.सी.आर. की हवाएँ उत्तर -दक्षिणी से पूर्व की ओर बदल चुकी हैं जिस कारण पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं का शायद ही कोई प्रभाव पड़ता हो। इसी तरह दिल्ली की हवा गुणवत्ता अभी ‘बहुत खऱाब ’ है जो 2 नवंबर को 208 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के पी.एम. 2.5 घनत्व है जिसका मुख्य कारण स्थानीय वाहनों की यातायात और औद्योगिक गतिविधियां है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बताया कि पराली जलाने के कारणपी.एम.2.5 के घनत्व में वृद्धि पी.एम.10 के मुकाबले कम है। इस कारण पी.एम.2.5 की वृद्धि में पराली जलाने की देन कम है जबकि दिल्ली में हवा गुणवत्ता में सर्दियों के महीनों के दौरान पी.एम.2.5 में वृद्धि होती है।
तापमान घटने और हवा के वेग के कारण वातावरण में प्रदूषित कण बिखर नहीं पाते जो उत्तरी भारत में ज्यादातर स्थानों पर ए.क्यू.आई. में वृद्धि का मुख्य कारण बनता है। नई दिल्ली में एन.सी.आर. के इलाको में बड़ी आबादी की गतिविधियों और मौसम के दौर के कारण ए.क्यू.आई. 400 तक पहुँच जाता है। अक्तूबर, 2018 के दौरान हवा का वेग स्थिर हो गया जो कम होकर दो किलोमीटर प्रति घंटा से भी कम हो गया। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यदि दिल्ली की आबो -हवा के प्रलूषण का कारण पराली जलाना ही है तो इससे सबसे पहले पंजाब के शहरों के ए.क्यू.आई. पर इसका प्रभाव पड़ता। हालाँकि अक्तूबर, 2108 के दौरान पंजाब का औसतन ए.क्यू.आई. 117 था जबकि दिल्ली का औसतन 270 के आसपास मंडराता था। उन्होंने कहा कि दिल्ली के बिल्कुल उलट पंजाब के बहुत से शहरों में लम्बी दूरी से देखने के लिए मौसम बिल्कुल साफ़ है।
जहाँ तक पराली जलाने की घटनाओं की बात है तो मुख्यमंत्री ने कहा कि 3 नवंबर तक ऐसे 25394 मामले सामने आए हैं जबकि पिछले साल इस तारीख़ तक 30832 घटनाएँ घटी थीं जिससे यह रुझान घटने बारे स्पष्ट खुलासा होता है। धान अधीन क्षेत्रफल में प्रति लाख एकड़ 390 घटनाएँ पराली जलाने की घटीं हैं जोकि बहुत मामूली हैं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाब में 12700 गाँव हैं और प्रति गाँव दो से भी कम आग लगने की घटनाएँ घटीं हैं जिससे पंजाब पराली न जलाने के अमल में 98 प्रतिशत किसानों को प्रेरित करने में सफल रहा है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह आंकड़े स्पष्ट संकेत देते हैं कि केजरीवाल की सरकार राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण की समस्या को हल करने में बुरी तरह नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली का मुख्यमंत्री अपनी इस नाकामी पर पर्दा डालने के लिए किसी न किसी के सिर पर दोष मढऩे की तलाश में है।