चंडीगढ़, 2 अक्तूबर:
केंद्र सरकार की तरफ से बनाए काले कृषि कानूनों के खि़लाफ़ कांग्रेस की राज्य में हस्ताक्षर मुहिम का औपचारिक आग़ाज़ करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शुक्रवार को हरसिमरत कौर बादल के केंद्रीय मंत्रालय से इस्तीफे को राजसी ड्रामेबाज़ी करार देते हुए अकाली दल को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि अकाली दल इस इस्तीफे को पंजाब के प्रति अपनी जि़म्मेदारी दिखाने की बजाय बड़े बलिदान का राग अलाप रहा है।
मुख्यमंत्री ने राज्य और यहाँ के लोगों के हितों की रक्षा के लिए संसद से दो बार इस्तीफ़ा दिए जाने को याद करते हुए कहा कि उन्होंने यह कदम राज्य के प्रति अपनी जि़म्मेदारी समझते हुए उठाएथे न कि कोई बलिदान का पाखंड रचने के लिए जैसे कि हरसिमरत कौर कर रही है। कृषि कानूनों बारे अकाली दल के प्रदर्शनों को पूर्ण तौर पर विफल बताते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह सिफऱ् राज्य के माहौल को खऱाब करने की कोशिश है। उन्होंने पूछा, ‘‘अकाली दल तब कहाँ था जब 28 अगस्त को केंद्र सरकार से यह किसान विरोधी ऑर्डीनैंस वापस करने और एम.एस.पी. को कानूनी अधिकार की माँग करने के लिए राज्य की विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया था।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आपकी यह नौटंकियां अब अकाली दल के लिए किसानों का भरोसा जीतने के लिए सहायक नहीं होंगी क्योंकि किसानों की जि़न्दगियां बर्बाद करने के लिए किये गए यत्नों में आप भी अपने पूर्व सहयोगी भाजपा के तौर पर जि़म्मेदार हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उनकी सरकार की तरफ से इन नये संवैधानिक कानूनों को कानूनी तौर पर चुनौती दी जायेगी। यह राजसी लड़ाई भाजपा या कांग्रेस के बारे में नहीं बल्कि यह हमारी किसानी, पंजाब और हमारे अस्तित्व की लड़ाई है।’’
मुख्यमंत्री आज यहाँ पंजाब सिविल सचिवालय में राष्ट्र पिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्म दिवस के अवसर पर तीन प्रोजेक्टों के वर्चुअल उद्घाटन के मौके पर वीडियो कॉन्फ्ऱेंस के द्वारा सरपंचों को संबोधन कर रहे थे। पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ और पंजाब यूथ कांग्रेस के प्रधान बरिन्दर सिंह ढिल्लों खेती कानूनों के खि़लाफ़ हस्ताक्षर मुहिम शुरू करने के अवसर पर उपस्थित थे।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाब देश की कुल आबादी का 2 प्रतिशत होने के बावजूद पिछले छह दशकों से पूरे देश का पेट भर रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से 5 जून को तीन खेती ऑर्डीनैंसों को लाने के तुरंत बाद उन्होंने (मुख्यमंत्री) प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी सरकार की कड़ी आपत्तियां और शंकाएं ज़ाहिर की थीं। फिर भी केंद्र ने राज्य की चिंताओं को दूर नहीं किया बल्कि बहुमत की धौंस के द्वारा किसान विरोधी कानूनों को पास कर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि प्रांतीय विषय है और भारत सरकार ने इन कानूनों के द्वारा संघीय ढांचे पर हमला करते हुए राज्य के अधिकारों का हनन किया है जबकि यह कानून खेती क्षेत्र को बर्बाद कर देंगे। उन्होंने किसान संगठनों को अपनी सरकार की तरफ से इन ख़तरनाक कानूनों के खि़लाफ़ लड़ाई में पूर्ण सहयोग देने की वचनबद्धता को दोहराई।
-Nav Gill