चंडीगढ़, 17 दिसम्बर:
पंजाब के कैबिनेट मंत्री विजय इंदर सिंगला ने गुरूवार को दिल्ली विधानसभा में अरविन्द केजरीवाल की ताज़ा नौटंकी की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि खेती कानूनों पर आप की तरफ से पलटी मारने और किसानों के हितों की रक्षा करने में बुरी तरह नाकाम सिद्ध होने के बाद उसकी यह बौखलाहट भरी कोशिश है जो उनके पिछले गुनाहों पर पर्दा नहीं डाल सकती।
सदन में केजरीवाल की तरफ से रचे ड्रामे पर तीखी प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए श्री सिंगला ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने बड़े नाटकीय ढंग के साथ केंद्रीय खेती कानूनों की कापियां फाड़ कर ढकोसला रचा है। उन्होंने कहा कि ऐसी नौटंकियां राष्ट्रीय राजधानी में आम आदमी पार्टी की सरकार की तरफ से एक महीने से भी कम समय से पहले इन खेती कानूनों में से नोटीफायी किये एक कानून का अमल रोकने में सहायक सिद्ध नहीं हो सकतीं।
श्री सिंगला ने कहा कि केजरीवाल की तरफ से लोगों की भावनाओं के साथ खेलने की यह बुरी कोशिश ने सिफऱ् उसे पहले दर्जे के धोखेबाज़ के तौर पर जग ज़ाहिर किया है जिसका किसानों की दुर्दशा बारे कोई सरोकार नहीं बल्कि वह बेशर्मी भरे ढंग के साथ सही मायनों में किसानों की पीठ में छुरा घौंप रहे हैं। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि जिस समय कांग्रेस पार्टी किसानों की तरफ से अपनी रोज़ी रोटी की लड़ाई की ख़ातिर दिल्ली की तरफ कूच की तैयारियों के समय उनकी मदद कर रही थी तो उस समय दिल्ली में केजरीवाल सरकार इन काले कानूनों में से एक कानून का नोटिफिकेशन तैयार कर रही थी जबकि किसान सिफऱ् और सिफऱ् इन कानूनों के खि़लाफ़ संघर्ष कर रहा था।
श्री सिंगला ने कहा कि केजरीवाल को इस मुद्दे पर पीछे मुडऩे के लिए छह महीने का समय लगा है परन्तु इसने यह स्पष्ट कर दिया है कि आप की नैतिकता भी अकाली दल की अपेक्षा कोई बहुती अच्छी नहीं क्योंकि अकाली दल ने भी तीन महीनों में किसानों के मुद्दों पर यू टर्न लिया था। मंत्री ने कहा कि बादलों की तुलना में केजरीवाल के पास तजुर्बे की कमी बारे दोष लगाया जा सकता है जिस कारण उसे इस मुद्दे पर आँखें खुलने में अकालियों की अपेक्षा अधिक समय लगा क्योंकि उसे इस बात का अच्छी तरह एहसास हो गया कि पंजाब के 2022 के मतदान में आप को किसानों के गुस्से का हर्जाना भुगतना पड़ सकता है जहाँ वह राजनैतिक भविष्य की अनुपस्थिति के बावजूद उम्मीदें टिकाई बैठे हैं।
श्री सिंगला ने कहा कि केजरीवाल सरकार के दिल्ली में काले खेती कानून का अमल रोकने के एहसास के साथ ही बात ख़त्म नहीं हो जाती। उन्होंने कहा कि केंद्रीय कानूनों को बेअसर करने के लिए अपनी सरकार की तरफ से बिल लाने या पहले जारी किये नोटिफिकेशन को वापस लेने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए जैसे कि पंजाब और अन्य कुछ राज्यों ने किया है?
मंत्री ने सावधान करते हुए कहा कि सदन में केंद्रीय कानूनों की कापियां फाड़ देने या उपवास रखने जैसे हथकंडों के साथ आप के लिए किसानों का भरोसा जीतने में सहायक सिद्ध नहीं होगा जो केजरीवाल के दर पर कड़ाके की ठंड और कोविड की महामारी के बावजूद अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं।
-Nav Gill