चंडीगढ़, 8 मार्च:
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र द्वारा आढ़तियों को एक तरफ करके किसानों को सीधी अदायगी के प्रस्ताव को किसानों को भडक़ाने वाला एक और कदम करार देते हुए कहा कि यह खेती कानूनों के मौजूदा संकट को और गहरा देगा। उन्होंने सोमवार को कहा कि भारत सरकार का बेरुख़ी भरा व्यवहार स्थिति को सुलझाने में मदद नहीं कर रहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मसला केंद्र और किसानों द्वारा ही सुलझाया जाने वाला है जिसमें पंजाब सरकार का कोई रोल नहीं है क्योंकि किसान जत्थेबंदियों ने विशेष तौर पर किसी भी राजसी दखलअन्दाज़ी से इन्कार किया है। प्रांतीय बजट पर पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने इसको किसान और गरीब समर्थकीय बताया।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की तरफ से विधानसभा में पेश किया गया विकास केंद्रित बजट समाज के सभी वर्गों की भलाई यकीनी बनाएगा। उन्होंने कहा कि यह लोगों का बजट राज्य सरकार के पंजाब के लोगों के प्रति किये वादे पूरे करने में एक और कदम है। उन्होंने शगुन और पैंशन की राशि में विस्तार करने और राज्य के बुनियादी ढांचे और लिंक रोडों के विकास का हवाला दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के मसले का सुखद ढंग से हल करने की बजाय उनके गुस्से को और भडक़ा रही है। उन्होंने कहा कि एफ.सी.आई. की तरफ से किसानों को ई -भुगतान के द्वारा सीधी अदायगी के लिए ज़मीन रिकार्ड मांगने से स्थिति बद से बद्तर होगी। पंजाब में 1967 से जांची-परखी व्यवस्था चल रहा है जहाँ किसान आढ़तियों के द्वारा अदायगी लेते हैं जिनके साथ उनका बहुत पक्का रिश्ता है और वह कठिन समय में आढ़तियों से ही वित्तीय सहायता लेते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘किसान संकट की घड़ी में अम्बानी, अदानी जैसे कॉर्पोरेट घरानों पर कैसे निर्भर रह सकता है।’’
मुख्यमंत्री ने ज़ोर देते हुए कहा कि केंद्र को विवादित ऑर्डीनैंस लाने से पहले किसानों को भरोसे में लेना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यदि केंद्र इस समस्या का स्थायी हल ढूँढने के लिए गंभीर होता तो वह या तो पंजाब सरकार या हमारे किसानों के साथ बातचीत करता क्योंकि हमारा राज्य अकेला ही केंद्रीय पूल में 40 प्रतिशत से अधिक अनाज का योगदान डालता है।’’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने स्पष्ट किया कि पंजाब जो कृषि सुधारों बारे बातचीत में शुरुआती दौर में शामिल नहीं था, को उनके द्वारा केंद्र को लिखे जाने से तुरंत बाद ही उच्च स्तरीय समिति में शामिल किया गया। इसके बाद मनप्रीत सिंह बादल और कृषि सचिव के.एस.पन्नू ने दो मीटिंगों में हिस्सा लिया परन्तु वहां ऑर्डीनैंस या नये कानूनों का कोई जि़क्र नहीं हुआ।
एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल को खेती कानूनों के खि़लाफ़ राज्य के संशोधन बिलों बारे तुरंत फ़ैसला लेकर इसको आगे राष्ट्रपति के पास भेजना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘यदि राष्ट्रपति स्वीकार करते हैं तो अच्छा है और यदि वह रद्द करते हैं तो हमारे लिए कानूनी लड़ाई लडऩे के लिए दरवाज़े खुल जाएंगे।’’
कोविड-19 मामलों में हाल ही में हुई वृद्धि के कारण दोबारा लॉकडाउन लगाए जाने सम्बन्धी सवाल पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं इस बारे में अभी कुछ नहीं कह सकता परन्तु मुझे आशा है कि हम इस पर नियंत्रण पाने के योग्य हैं।’’ इसी दौरान उन्होंने कहा कि लोगों को एहतियात के तौर पर सुरक्षा नियमों का सख्ती के साथ पालन करना चाहिए। टीकाकरण के बाद के प्रभावों बारे पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वह बिल्कुल ठीक हैं।
आई.पी.एल. के आगामी सीजन के लिए पी.सी.ए.स्टेडियम मोहाली को मेज़बानों की सूची में से बाहर किये जाने के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पहले ही ट्वीट के द्वारा अपना विरोध जता चुके हैं। अगर मुम्बई में 10000 केस प्रति दिन आने के बावजूद वहां मैच करवाए जा सकते हैं तो मोहाली को क्यों नज़रअन्दाज किया गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहले ही विश्वास दिला चुकी है कि सभी प्रबंधों के दौरान मोहाली में कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती के साथ पालन यकीनी बनाएगी।
अगले प्रांतीय विधानसभा चुनाव-2022 अपने (कैप्टन अमरिन्दर सिंह) लीडरशिप के दौरान लडऩे बारे पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बारे में फ़ैसला करना अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सोनीया गांधी का एकमात्र विशेषाधिकार है। मनप्रीत सिंह बादल की तरफ से दिए गए बयान कि वह 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सत्ता में आने पर वित्त मंत्री नहीं बनेंगे, बारे मुख्यमंत्री ने हलके-फुलके अंदाज़ में कहा, ‘‘यह फ़ैसला उन्होंने नहीं, पार्टी ने करना है।’’
-NAV GILL