16 APRIL 2021,
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि, पूर्वोत्तर क्षेत्र, पारंपरिक रूप से अत्यधिक मुक्ति महिला समाज और महिला लोक परम्परा के लिए जाना जाता है, जो न केवल उद्यमी हैं बल्कि उनके दृष्टिकोण में भी नवीनता और दूरदर्शिता भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र बुनाई, बिनाई और हस्तशिल्प के लिए एक घर जैसा है और इसका सबसे विशिष्ट उदाहरण कोविड महामारी के शुरुआती हफ्तों के दौरान सामने आया था, जब पूर्वोत्तर क्षेत्र को छोड़कर देश के सभी हिस्सों से फेस-मास्क की काफी मांग हो रही थी, क्योंकि यहां के महिला स्वयं सहायता समूहों ने आसानी से न केवल पर्याप्त संख्या और मात्रा में मास्क बनाये, बल्कि पहनी जाने वाली पोशाक के साथ मिलान करने के लिए विविध और काल्पनिक डिजाइनों में आसानी से उपलब्ध फेस-मास्क भी तैयार किये जा सके।
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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि, मोदी सरकार पूर्वोत्तर में उद्यमिता को विशेष प्रोत्साहन दे रही है और बांस के व्यापार तथा वाणिज्य के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाने की मांग की गई है। उन्होंने फिक्की-एफएलओ जैसी महिला संगठनों को आगे आने और बांस उद्योग में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने में योगदान करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के साथ 100 साल पुराने भारतीय वन अधिनियम में संशोधन किया गया है ताकि घरेलू स्तर पर प्राप्त बांस को इससे मुक्त किया जा सके और घरेलू बांस उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए बांस के उत्पादों पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की गई है।
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डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि, प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर को भारत का नया इंजन कहकर संबोधित किया है। उन्होंने कहा कि, कोविड के बाद के युग में, पूर्वोत्तर की अछूती संसाधन क्षमता देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि, आज पूर्वोत्तर, भारत के बाकी हिस्सों के लिए एक रोल मॉडल के रूप में उभरा है और पूर्वोत्तर की महिलाएं देश के बाकी हिस्सों की महिलाओं के लिए रोल मॉडल की भूमिका निभा रही हैं।
-NAV GILL