चंडीगढ़, 19 सितम्बरः
सीनियर कांग्रेसी नेता और पंजाब के कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी ने तथाकथित कृषि सुधारों की दुहाई देते कृषि बिलों को पंजाब के लिए काले कानून बताते हुए कहा कि यह बिल जहाँ पंजाब की किसानी और समूचे अर्थचारे को तबाह कर देंगे वहीं देश की अन्न सुरक्षा भी खतरे में पड़ जायेगी।
आज यहाँ जारी प्रैस बयान में केंद्र सरकार को यह काले कानून वापस लेने की जोरदार माँग करते हुए राणा सोढी ने कहा कि सालों से देश का पेट भर रहे पंजाब के किसानों को साबाशी देने की बजाय यह बिल लाकर उनके साथ विश्वासघात किया गया है जिसको कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि इन बिलों ने पंजाब के किसानों, आढ़तीयों, मजदूरों और समूचे मंडीकरण ढांचे का भविष्य खतरे में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र को बड़े हितों का ख्याल रखते हुए पंजाब में इन बिलों के प्रति फैली अशांति और डर को समझना चाहिए। किसानों को राज्य सरकार की हिमायत का विश्वास दिलाते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इन बिलों के खिलाफ अदालत में जाने का भी फैसला किया है और इन बिलों को वापस करवाने के लिए हर प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि इन बिलों के खिलाफ कांग्रेस 21 सितम्बर को पंजाब भर में प्रदर्शन करेगी।
राणा सोढी ने कहा कि खेती सुधारों की बात करने वाली केंद्र सरकार के इन बिलों के साथ पंजाब को सालाना 4000 करोड़ रुपए का नुक्सान होगा। पंजाब राज्य जिसकी आर्थिकता पूरी तरह कृषि पर ही निर्भर है, के लिए यह बिल सबसे खतरनाक हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब लैंडलॉक राज्य होने के कारण न कोई बंदरगाह है और न ही कोई बड़ा उद्योग। पंजाब का एक मात्र सहारा कृषि भी अब खतरे में पड़ गया है। उन्होंने कहा कि किसानों की पार्टी कहलाने वाले अकाली दल के सहयोगियों ने ही किसानी के साथ धोखा किया है जिसको पंजाबी कभी भी माफ नहीं करेंगे।
राणा सोढी ने कहा कि राज्य सरकार ने ऑर्डीनैंस बनाने के समय से ही इनका विरोध शुरू किया था। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने ऑर्डीनैंसों के खिलाफ सर्व पार्टी मीटिंग बुलायी जिसमें अकाली दल और भाजपा को छोड़कर सभी ने राज्य सरकार का समर्थन किया। फिर इसके खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास किया गया। उस समय भी भाजपा ने प्रस्ताव का विरोध किया और अकाली दल के मैंबर जान-बूझ कर अनुपस्थित रहे।
कैबिनेट मंत्री ने आगे कहा कि पंजाब ने देश की हर पक्ष से सेवा की है चाहे वह अन्न भंडार भरने की बात हो या फिर देश की सरहदों की रक्षा की। देश में जब अन्न संकट पैदा हुआ तो पंजाब के किसानों ने हरित क्रांति लाकर देश को अनाज के पक्ष से आत्मनिर्भर किया। अब केंद्र सरकार को भी पंजाब की किसानी का दर्द देखना चाहिए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि केंद्रीय पूल में गेहूँ और धान का सबसे अधिक योगदान देने वाले पंजाब के किसानों का अगर अब साथ न दिया गया तो देश में बड़ा अनाज संकट पैदा हो जायेगा जो सबसे खतरनाक होगा।
-NAV GILL