किसान की फसल 2 रुपये किलो में और ग्राहक को 12 रुपये में वो भी पाव भर

फ्रोज़न मटर, टमाटर, गाजर, गोभी,शलगम, मिर्चे व् कृषि सुधार:
सीज़न में गोभी का मोल किसान को 2 रूपए भी नही मिलता और ग्राहक को 50 रुपए।
कमोबेश यही हाल सब हरी सब्ज़ियों आलू, टमाटर का होता है। पंजाब में मलेरकोटला, धूरी, बरनाला, नवाँ शहर, जलन्धर, कपुरथला,व् कमोबेश अमृतसर, तरनतारन, व् फ़िरोज़पुर के काफी हिस्से में मौसमी सब्ज़िया बहुत अच्छी होती हैं। लेकिन इनको खरीददार तक पहुचाना व् लम्बा समय तक ताज़ी व् सुरक्षित रख पाना कठिन कार्य है।

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सरकारी व्यवस्था व् व्यक्तिगत किसान के लिए यह कठिन काम है।

इसके लिये रेफ्रिजेशन, कोल्ड ट्रांसपोर्ट, फ़ूड प्रोसेसिंग व् बॉयोटेक्नोलॉजी, पैकिंग, व् फ़ूड प्रेसर्वेशन की ज़रूरत है। यह काम किसान संघ व् भारतीय इंडस्ट्री मिल के सहयोग से जर सकते हैं। इसके लिए कृषि सुधारों की ज़रूरत है।

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हमारा रास्ता न तो चाइना वाला न ही पश्चिमव यूरोप वाला होगा। हमारा स्वदेशी किसान , ट्रांसपोर्टर,व् हिंदुस्तानी इंडस्ट्री, व् भारतीय रेलवे यह आपसी सहयोग से करने के काबिल हैं।

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इसके लिए हमे खेती में सुधारों की आवश्यकता है।

हम न तो चाइना की तरह किसानों की ज़मीन छीनने को सही समझते हैं, न ही अमरीका-पश्चमी मॉडल को सही मानते। हमारा रास्ता दुनियाँ में सबसे तजुर्बेकार भारतीय परम्पराओं पर ही आधारित होगा।

करणी प्रताप

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