ऐसा मंदिर… यहां मनोकामना पूरी होने पर चढ़ाई जाती हैं चप्पलें….

भारत में कई ऐतिहासिक व प्राचीन मंदिर स्थित हैं। जिनकी मान्यता व प्रसिद्धि देश में ही नहीं विदेशों में भी है। कुछ मंदिर अपने रहस्यों व चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं तो कई मंदिर अपनी अनोखी मान्यताओं व परंपराओं के कारण भक्तों के लिए श्रद्धा व आर्कषण का केन्द्र हैं। साथ ही मंदिर या किसी अन्य धार्मिक स्थान के अंदर जाने से पहले अकसर लोगों द्वारा अपने जूते व चप्पल बाहर उतारे जाते हैं। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है। चाहे मंदिर की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए जूते बाहर उतारे जाते हों या फिर स्वच्छता की दृष्टि से लेकिन यह प्रथा आज भी प्रचलित है। हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां पर इस प्रथा के उल्ट मनोकामना पूरी होने पर भक्तों द्वारा भेंट स्वरूप जूते चढ़ाए जाते हैं। इस मंदिर के बारे में जान कर आपको हैरानी तो जरूर होगी लेकिन यह सच है। इसे भी पढ़ें…कहां मक्खन से जुड़ जाता है खंडित शिवलिंग….

जीजी बाई मंदिर में चढ़ाए जाते हैं जूते

यह अनोखा मंदिर मध्य प्रदेश के भोपाल ज़िले के कोलार में स्थित है। इस मंदिर को जीजी बाई माता के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है। अक्सर भक्तों द्वारा मनोकामना पूरी होने पर मिठाई, नारियल, वस्त्र व प्रसाद इत्यादि भेंट किया जाता है। लेकिन इस अदभुत मंदिर में मन्नतें व मनोकामनाएं पूरी होने पर भक्तों द्वारा जूते व चप्पलें चढ़ाई जाती हैं। इस मंदिर को सिद्धदात्री पहाड़ावाला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।इसे भी पढ़ें…प्रभु श्री राम के वंशज आज भी हैं जिंदा….

मंदिर का इतिहास

मान्यता है कि अठारह साल पहले ओम प्रकाश नामक एक महाराज ने इस मंदिर में मूर्ति  की स्थापना की थी। इस दौरान ओम प्रकाश महाराज द्वारा शिव-पार्वती का विवाह भी करवाया गया था। और इस मौके पर ओम प्रकाश महाराज ने स्वयं कन्यादान भी किया था। तब महाराज ने कहा था कि उनकी बेटी की सेवा में कोई कमी ना रहे। तब से लेकर आज तक वह सिद्धदात्री माता को अपनी बेटी मानते हुए पूजा व सेवा करते हैं। इसी कारण मां सिद्धदात्री को जरूरत का सामान भेंट किया जाता है।

टोपी, चश्मे व कपड़े भी चढ़ाते हैं भक्त

भक्तो द्वारा मनोकमाना पूरी होने पर माता को जूतों के अलावा टोपी, घड़ी, चश्मा व कपड़े भी चढ़ाए जाते हैं। ओम प्रकाश महाराज का कहना है कि जब उन्हें आभास होता है कि माता खुश नहीं है तो तुरंत माता के वस्त्र बदल दिए जाते हैं। कई बार तो यह क्रम दिन में कई बार कुछ घंटों बाद ही दोहराया जाता है।

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विदेश से भी लोग भेजते हैं जूते

माता के कई भक्त जो विदेश में रहते हैं उन भक्तों द्वारा माता को भेंट करने के लिए विदेश से जूते, सैंडल व चप्पलें भेजी जाती हैं।

भक्तों में बांटे जाते हैं यह जूते

इस प्रथा के चलते इस मंदिर में भारी मात्रा में जूते व चप्पलें चढ़ाई जाती हैं। इस मंदिर में भक्तों द्वारा चढ़ाए गए जूते व चप्पल भक्तों में व जरूरतमंद लोगों में ही बांट दिए जाते हैं। भक्तों व जरूरतमंद लोगों में जूते बांटने से पहले इन जूतों को एक दिन के लिए मंदिर में ही रखा जाता है।

कैसे पहुंचे

जीजी बाई मंदिर यहां आने वाले भक्तों के लिए सारा दिन खुला रहता है। यह मंदिर भोपाल से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नज़दीकी एयर पोर्ट भोपाल का राजा भोज एयरपोर्ट है। इस मंदिर तक टैक्सी व बस के द्वारा भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।

धर्मेन्द्र संधू

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