पंजाब का बनता प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएः मुख्यमंत्री
पंजाब के किसानों के हक को भूलाया नहीं जा सकताः मुख्यमंत्री
चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य संबंधी गठित समिति में पंजाब को बनता प्रतिनिधित्व देने के लिए इस समिति का नये सिरे से गठन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दख़ल की माँग की है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह राज्य जिसने एम.एस.पी. की शुरुआत से ही इस प्रणाली को सबसे अधिक सफलतापूर्वक लागू किया हो, उसे समिति से बाहर रखा गया है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी संजय अग्रवाल के नेतृत्व में एम.एस.पी. संबंधी समिति गठित की है। उन्होंने कहा कि इस समिति में अलग-अलग राज्यों के विशेषज्ञों और वरिष्ठ अधिकारियों को सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है। भगवंत मान ने खेद जताया कि पंजाब को इस समिति में कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया, जबकि पंजाब एम.एस.पी. प्रणाली को इसके शुरुआत से ही सफलतापूर्वक लागू करता आ रहा है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताया कि पिछले तकरीबन एक दशक से केंद्रीय पूल में 35-40 प्रतिशत गेहूँ और 25-30 प्रतिशत चावल के योगदान के साथ देश को अनाज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पंजाब ने अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि राज्य के मेहनतकश किसानों की कड़ी मेहनत से पैदा हुआ 60-62 मिलियन टन के करीब गेहूँ और चावल हर साल केंद्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एन.एफ.एस.ए.), 2013 अधीन सब्सिडी के आधार पर देश के 80 करोड़ लोगों को बँटा जाता है। भगवंत मान ने कहा कि हर कोई इस तथ्य से अच्छी तरह परिचित है कि सरकारों द्वारा गरीबों के लिए शुरू की गईं ये कल्याण योजनाएं पंजाब द्वारा दिए जाते बड़े योगदान के कारण ही संभव हो पाई हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि साल 2021-22 के दौरान विश्व स्तर पर 54 मिलियन टन चावल का निर्यात हुआ, जिसमें भारत का योगदान 21.5 मिलियन टन (कुल निर्यात का तकरीबन 40 प्रतिशत) रहा। उन्होंने बताया कि हालांकि चावल पंजाबियों की ख़ुराक में आम तौर पर शामिल नहीं है, बावजूद इसके पंजाब चावल के निर्यात में बड़ा योगदान दे रहा है। भगवंत मान ने कहा कि हरित क्रांति लाने और देश को खाद्य पक्ष से अधिशेष बनाने में पंजाब द्वारा निभाई गई मुख्य भूमिका को ध्यान में रखते हुए एम.एस.पी. संबंधी समिति का पुनर्गठन करके राज्य को इसमें बनता प्रतिनिधित्व ज़रूर दिया जाये।