चंडीगढ़: उच्च शिक्षा और भाषा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर की तरफ से प्रसिद्ध पंजाबी उपन्यासकार मोहन काहलों के देहांत पर गहरे दुख का प्रगटावा किया। वह 89 वर्षों के थे। उनका देहांत कोलकाता में संक्षिप्त बीमारी के उपरांत हुआ।
मीत हेयर ने कहा कि मोहन काहलों के चल जाने से पंजाबी साहित्य जगत ख़ास कर पंजाबी उपन्यासकारिता को अपूर्णीय घाटा पड़ा।
इतने काबा खुले घूमने पर भी क्यों नहीं फैलती कोई बीमारी “रहस्य रोमांच” || karni mata ||
मोहन काहलों का जन्म टेकां छनीयां, ज़िला गुरदासपुर (मौजूदा पाकिस्तान) में हुआ था और उनका परिवार विभाजन के समय पर भारत आकर बसा जिस कारण उनकी रचनाओं में विभाजन का दर्द पढ़ने को मिलता है।
उच्च शिक्षा और भाषा संबंधी मंत्री ने दिवंगत साहित्यकार के परिवार के साथ दुख सांझा करते हुये दिवंगत आत्मा की आत्मिक शांति और पीछे रहे परिवार और पाठकों को ईश्वरीय आदेश मानने का हौंसला प्रदान करने की अरदास की।