ईश्वर, आत्मा और प्रकृति में है सत्यम, शिवम्, सुंदरम् का वास

-सत्यम्, शिवम्, सुंदरम् में समाहित है सत्य, चित्त और आनंद

सत्यम्, शिवम्, सुदंरम् यह तीन तत्व हिंदू धर्म में हमेशा से खास रहे हैं। इन तीनों तत्वों में ईश्वर, आत्मा और प्रकृति के अलावा सत्य, चित्त और आनंद समाहित हैं। प्रेम में ही परमात्मा का वास है। सत्यम्, शिवम्, सुदंरम् की वेद, उपनिषद और पुराणों में अलग-अलग ढंग से व्याख्या की गई है। परंतु इन तीनों तत्वों के मूल अर्थ पर सभी एकमत हो कर मानते हैं कि आत्मा में ही परमात्मा का वास है। और यही पूर्ण सत्य है। अमूमन सत्य को प्रभु, शिवम् को भगवान शिव और सुदंरम् को सुंदरता तत्व के रुप में परिभाषित करते हैं। ब्रह्मा विष्णु, महेश त्रिदेव के पास श्रृष्टि रचना, पालन करना, तथा संघार करने का भार है। आइए जानते हैं कि असल में सत्यम्, शिवम्, सुदंरम् इन तीन तत्वों के बारे क्या-क्या मत प्रचलित हैं।


सत्यम् क्या है ?
हिंदू धर्म में ब्रह्म को सत्य, आत्मा को सत्य कहा जाता है। क्योंकि आत्मा को ही अजर अमर, निर्विकार और निर्गुण कहा जाता है। आत्मा शरीर में रहकर खुद को जन्मा हुआ मानती है, जबकि यह केवल एक भ्रम है। सत्य को ईश्वर भी माना गया है। इसे इंद्र, वरुण व अग्नि के रुप में माना गया हैं। क्योंकि यह सभी देव प्रत्यक्ष रुप में हमारे सामने विद्यमान हैं। असल में सत्य को समझना कठिन है। आमतौर से सत्य को झूठ न बोलना माना जाता है। जबकि सत्य पूर्ण रूप से एकतरफा नहीं हो सकता है।
शास्त्रों ने आत्मा, परमात्मा, प्रेम और धर्म को सत्य का रुप माना है। सत्य से बढ़कर कुछ भी नहीं माना गया है। क्योंकि सत्य के साथ रहने से मन हमेशा प्रसन्न रहता है। इससे शरीर स्वस्थ और निरोग रहता है। तभी तो कहते हैं कि सत्य की सदा जीत होती है। सत्य बोलना भी सत्य है। सत्य बातों का समर्थन करना, सत्य समझना, सुनना और सत्य की राह पर चलना बेहद कठिन होता है। क्योंकि सत्य को सामने लाने में कई बार लंबा समय लग जाता है।
सत्य का आमतौर पर झूठ न बोलना भी माना जाता है। परंतु सत्य पूर्ण रूप से एकतरफा नहीं होता है। कई बार रस्सी को देखकर सांप मान लेना सत्य नहीं होता है। परंतु रस्सी को देखकर डरना सत्य है। सत्य को समझने के लिए हमें बुद्धि और विवेक पर खास ध्यान देना पड़ता है।
भगवान शिव ही सत्यम् है। तो शिव ही असली सच है। क्योंकि शिव ही सृष्टि का शुभारंभ हैं। शिव ही अंत है। शिव ही हमारे भीतर है। और आप ही शिव के भीतर हैं। वही जन्म का कारण है, और यही असल सच है।

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शिवम् क्या है ?
आमतौर से शिवम का संबंध भगवान शंकर से माना गया है। क्योंकि शिव एक निराकार, निर्गुण और अमूर्त सत्य है। देवों के देव महादेव भी परमध्यानी होकर उस परम सत्य में लीन होने के कारण ही शिव स्वरूप माने गए हैं। शिव का असल अर्थ शुभ है। जहां पर सत्य होगा, वहां शुभ ही होता है। जहां शुभ नहीं होता, वहां सत्य नहीं हो सकता है। सर्व शक्तिमान आत्मा ही असल में शिवम् है। शिवम का अर्थ है कि अपना सब कुछ अर्पण करते समय कुछ पाने कि इच्छा न रखें । माता पार्वती एक राजकुमारी थी। वह जानती थी कि शिव के पास खुद के रहने के लिये कुटिया भी नहीं होगी। परंतु उन्हें मालूम था कि शिव ही शिवम् है। शिव सब के दाता हैं। वह अपने पास कुछ नहीं रखेंगे। क्योंकि आप शिव का एक हिस्सा हैं और शिव आप का एक हिस्सा हैं।

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सुंदरम् क्या है ?
इस कायनात प्रकृति को सुंदरम कहा गया है। इस दिखाई देने वाले समूचे जगत को प्रकृति का ही स्वरूप माना गया है। प्रकृति ही हमारे स्वभाव और गुण को प्रकट करती है। इस प्रकृति को आठ तत्वों में विभाजित किया गया है। पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार यह प्रकृति के आठ तत्व हैं। हम एक सुंदर प्रकृति और जगत के चक्र में घिरे हुए हैं। इस चक्र से अलग होकर ही सत्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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प्रदीप शाही

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