धर्मेन्द्र संधू
भारत में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। मां दुर्गा को समर्पित मंदिर देश के हर हिस्से में मौजूद हैं। इन मंदिरों में सारा साल ही भक्तों का तांता लगा रहता है। भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर इन मंदिरों में मां दुर्गा के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं और भक्तों का विश्वास है कि मां दुर्गा उनकी हर मनोकामना पूरी करती है। एक ऐसा ही प्राचीन मंदिर देश की राजधानी दिल्ली में स्थित है जिसे ‘कालकाजी मंदिर’ कहा जाता है।
कालकाजी मंदिर
कालकाजी मंदिर दिल्ली में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह प्राचीन मंदिर अरावली पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। मान्यता है कि मां कालका भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। इसलिए इस पावन स्थान को ‘मनोकामना सिद्ध पीठा’ और ‘जयंती पीठा’ के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में दो बार आरती करने का विधान है। आरती से पहले दिन में दो बार मां कालिका को दूध से स्नान करवाया जाता है। फिर मां कालका की भव्य आरती की जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं।
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मंदिर से जुड़ी कथा
इस पावन स्थान के साथ एक कथा जुड़ी है। मान्यता है कि दो राक्षस देवताओं व ऋषि-मुनियों को परेशान करने लगे। उनके अत्याचार बढ़ने पर देवताओं ने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की कि इन राक्षसों का कोई समाधान करें। इस पर ब्रह्मा जी ने उन्हें माता पार्वती के पास अपनी समस्या के समाधान के लिए जाने को कहा। देवताओं की प्रार्थना के बाद मां पार्वती के मुख से देवी कौशिकी प्रकट हुई। देवी कौशिकी ने दोनों राक्षसों का वध कर दिया लेकिन राक्षस रक्तबीज का रक्त जिन स्थानों पर गिरा, उन स्थानों पर बड़ी संख्या में राक्षस उत्पन्न हो गए। तभी मां पार्वती की भौंहों से मां काली प्रकट हुई। मां काली ने सारा रक्तपान कर लिया और राक्षसों का वध कर, इस पृथ्वी को भयमुक्त किया। कहा जाता है कि इसके बाद मां काली के इसी स्थान को अपना निवास स्थान बना लिया।
इस मंदिर के साथ एक और कथा भी जुड़ी है कि इसी पावन स्थान पर महाभारत के युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण व पांडवों ने देवी की स्तुति की थी और युद्ध में जीत के लिए प्रार्थना की थी।
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नवरात्र पर लगता है बड़ा मेला
कालकाजी मंदिर दिल्ली में नवरात्र के पावन पर्व पर मेले का आयोजन किया जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां कालका का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि नवरात्र के दौरान देवी कालका नवरात्र मेले में घूमने के लिए निकलती हैं। नवरात्र में अष्टमी वाले दिन सुबह की आरती करने के बाद मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं। इस दौरान अष्टमी और नवमीं को माता की आरती नहीं की जाती, फिर बाद में दसवीं पर माता की आरती का आयोजन किया जाता है।
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कालका जी मंदिर तक कैसे पहुंचें
कालकाजी मंदिर तक बस, आटो और मेट्रो द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। इनमें से सबसे सरल व सस्ता साधन मेट्रो है। दिल्ली के मुख्य मेट्रो स्टेशन से कालकाजी तक मेट्रो चलती है। कालकाजी मेट्रो स्टेशन पर उतरते ही कुछ ही कदमों पर मां कालिका का दरबार है। रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं। इसके अलावा मां कालका के दरबार के पास ही ‘इस्कॉन टेंपल’ और ‘लोटस टेंपल’ विशेष दर्शनीय हैं।