-सेंधा नमक सेवन से 97 पौषक तत्वों की कमी होती है दूर
-22 करोड़ सेंधा नमक का स्टॉक खान में उपलब्ध
आयुर्वेद की ओर से प्राकृतिक जड़ी बूटियां का सदियों से उपयोग कर स्थायी तौर से रोगों का निदान किया जा रहा है। घरों की रसोई में आज भी कई रोगों का उपचार करने का खजाना मौजूद है। परंतु हमें रसोई में मौजूद खजाने की उसकी सही ढंग से जानकारी नहीं है। आईए आपको बताएं कि रसोई में उपलब्ध खजाने का कैसे सही ढंग से उपयोग किया जा सकता है।
कहां से निकलता है सेंधा नमक
भारतीय उपमहाद्वीप में सेंधा नमक सिंध, पश्चिमी पंजाब की सिंधू नदी के साथ लगे हुए हिस्सों और कोहाट ज़िले से आया करता था, जो मौजूदा समय में पाकिस्तान में है। ‘सेंधा नमक’ और ‘सैन्धव नमक’ का मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया नमक’। इस इलाक़े में प्रसिद्ध खेवड़ा नमक खान है। सेंधा नमक, सैन्धव नमक, लाहौरी नमक या हैलाईट का क्रिस्टल पत्थर जैसे रूप में मिलने वाला खनिज पदार्थ है। यह अक्सर रंगहीन या सफ़ेद होता है। जबकि कई पदार्थों की मौजूदगी से इसका रंग हल्का नीला, गाढ़ा नीला, जामुनी, गुलाबी, नारंगी, पीला या भूरा भी हो सकता है। वहां पर नमक के बड़े-बड़े पहाड़ हैं। वहां से यह नमक मोटे मोटे टुकड़ों में आता है।
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विश्व की सबसे बड़ी खेवड़ा नमक की खान
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के झेलम जिले में इस्लामाबाद से 160 किमी दूर स्थित खेवड़ा नमक की एक प्रसिद्ध खान है। जहां सदियों से सेंधा नमक खोदकर निकाला जा रहा है। यह नमक कोह की निचली पहाड़ियों में स्थित है। इसमें सेंधा नमक का बहुत ही बड़ा भंडार है। यहां पर 22 करोड़ टन के भंडारण का अनुमान है। हर साल इसमें से 4.65 लाख टन नमत निकाला जाता है। यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नमक की खान मानी जाती है। इस खान में पहाड़ के भीतर सुरंग खोदकर नमक निकाला जाता है। सुरंग बना कर केवल 50 फीसद नमक निकाला जाता है। सुरंगों में नमक निकालने के कारण यहां बहुत से कमरे बन चुके हैं। जो इमारत का रुप धारण कर चुके हैं। इस इमारत में 19 मंजिलें बन गई हैं। जिनमें से 11 मंजिलें ज़मीन के नीचे बन चुकी हैं। सुरंगें पहाड़ के भीतर 2400 फीट तक पहुंच चुकी हैं।
खेवड़ा खान का रोमांचक इतिहास
खेवड़ा खान के बारे कहा जाता है कि सिकंदर ने हिंदुस्तान पर धावा बोला था, तो खेवड़ा के इलाक़े में भी उसकी फ़ौजें आई थी। वहां पर उनके घोड़े पत्थरों को चाट रहे थे। ग़ौर से देखने पर पता चला कि इन पूरे पहाड़ों में नमक था। तभी से यहां से नमक निकाला जा रहा है। मुग़ल ज़माने में उत्तर भारत में नमक राजस्थान की सांभर झील से आता था, लेकिन उस से कहीं ज़्यादा खेवड़ा खान से निकालकर देश में बेचा जाता है। कुछ शिल्पकार इस पत्थरीले नमक की तश्तरियाँ और दीपक बना कर बेचने का काम भी करते रहे हैं।
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समुद्री नमक, सेंधा नमक के उपयोग के लाभ
मौजूदा समय में घरों में समुद्री नमक का प्रयोग अधिक हो रहा है। जबकि इस नमक के गुण भी कम हैं। वहीं दूसरी तरफ गुणकारी सेंधा नमक का उपयोग कम किया जा रहा है। जबकि इस नमक के सेवन के लाभ अधिक हैं। सेंधा नमक का प्रयोग करने से 97 और समुद्री नमक का प्रयोग कर केवल चार पौषक तत्वों की कमी को ही पूरा किया जा सकता है।
सेंधा नमक के सेवन से होता है कई रोगों का निदान
सेंधा नमक को शरीर के लिए सर्वश्रेष्ठ Alkalizer माना गया है। इस नमक के सेवन से लकवा रोग से बचाव होता है। पीसा हुआ नमक ह्रदय के लिये उत्तम, पाचन में मदद करता है। रक्तचाप पर नियन्त्रण करता है। रक्त चाप पर नियंत्रण होने से शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं । आयुर्वेद में वर्णित है कि सेंधा नमक सेवन से वात, पित्त और कफ से बचा जा सकता है। यह पाचन में सहायक होता है। गौर हो आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्कर, पाचन चूर्ण में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
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दुनिया के 56 देशों में आयोडीन नमक बिक्री पर है पाबंदी
दुनिया के 56 देशों ने अतिरिक्त आओडीन युक्त नमक की बिक्री पर 40 साल पहले ही पाबंदी लगा दी थी। जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क में 1956 मे आयोडीन युक्त नमक को बैन कर दिया था। भारत में भी 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक का सेवन नहीं करता था।
सेंधा नमक की खान पर्यटकों के लिए है आकर्षण का केंद्र
खेवड़े की नमक खान सैलानियों के लिए लंबे समय से आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। । 300 नमक की सीढियां बनी खान में 50 फ़ीट उंचा सभा कक्ष, 50 साल की मेहनत के बाद बनाई गई तीन हजार वर्ग फीट की मस्जिद, खान के भीतर ज़मीन के नीचे एक खारे पानी के तालाब के ऊपर बने 25 फीट लंबा नमक का पुल, चीन की विशाल दीवार का एक मॉडल, लाहौर की मीनार-ए-पाकिस्तान का एक मॉडल नमक खान में लंबे समय से पर्यटकों के लिए आकर्षण बनी हुई है।
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कुमार प्रदीप