-रामसेतू के निर्माण में दिया था अमूल्य योगदान
प्रदीप शाही
त्रेता युग में बढ़ रहे अधर्म, अत्याचार को समाप्त करने के लिए भगवान श्री विष्णु हरि इस पावन धरती पर श्री राम के रुप में अवतरित हुए। देवी सीता का लंकापति रावण की ओऱ से छल से हरण किए जाने के बाद भगवान श्री राम की ओऱ से लंका पर आक्रमण किया। आक्रमण से पहले भारत से लेकर लंका तक पहुंचने के लिए रामसेतू का निर्माण भी किया गया। उस रामसेतू के अवशेष आज हजारों साल बाद भी मौजूद हैं। इस रामसेतू के निर्माण में भगवान श्री राम की सेना में शामिल सैनिकों के अलावा श्री राम भक्त हनुमान जी की वानर सेना का अहम योगदान रहा है। इसके अलावा कई जीव जंतुओं और पक्षियों ने भी रामसेतू के निर्माण में अपना-अपना अमूल्य योगदान दिया। रामसेतू के निर्माण में अमूल्य योगदान देने वाली गिलहरी पर श्री राम ने अपनी विशेष कृपा की। वह कृपा आज भी गिलहरी की पीठ पर दिखाई देती है।
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कैसे गिलहरी ने की रामसेतू के निर्माण में मदद
भारत से लंका तक जाने के लिए जब रामसेतू का निर्माण किया जा रहा है। तो हर कोई अपनी हिम्मत के अनुसार अपना-अपना योगदान ड़ाल रहा था। ताकि शीघ्र से शीघ्र रामसेतू का निर्माण हो सके। जिससे लंका में कैद माता सीता को अतिशीघ्र छुड़वाया जा सके। वानर सेना बड़े-बड़े पत्थरों को सेतू के निर्माण में प्रयुक्त कर रहे थे। इसी दौरान एक छोटी से गिलहरी भी समूद्र के तट पर गिरी रेत को अपने शरीर पर लगा कर सेतू में डालने का काम भी कर रही थी। यह क्रिया लंबे समय से अनवरत जारी थी। इसी दौरान भगवान श्री राम ने लक्ष्मण से कहा कि देखो वह गिलहरी क्या कर रही है। लक्ष्मण ने कहा कि गिलहरी खेल का आनंद ले रही है। लक्ष्मण का यह जवाब सुनने पर श्री राम ने गिलहरी को पास बुला कर पूछा कि वह क्या कर रही है। तो गिलहरी ने कहा कि प्रभु, इस सेतू को जल्द पूरा करवाने में अपना योगदान डाल रही है। मुझे यह भी पता है कि मेरी यह कोशिश का परिणाम नाममात्र भी नहीं होगा। फिर भी अपना योगदान दे रही हूं। क्योंकि यह जंग अधर्म के खिलाफ है।
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भगवान श्री राम ने प्यार से पीठ पर फेरा हाथ
भगवान श्री राम ने गिलहरी की बात सुन कर उसकी पीठ पर अपनी अगुंलियों फेरनी शुरु कर दी। जैसे ही श्री राम ने अपनी अंगुलियां गिलहरी की पीठ पर फेरी तो वहां पर श्री राम की अंगुलियों के निशान पड़ गए। जो आज भी कायम हैं। गौर हो वेदों के अनुसार कई प्राणी ऐसे भी हैं, जिनकी शारीरिक संरचना पहले की तुलना में आज भिन्न हो चुकी है। गिलहरी भी एक ऐसा छोटा सा जीव है। जो आमतौर पर पेडों की डालियों पर या फिर घरों की छतों पर इधर-उधर घूमती दिखाई देती है। मौजूदा समय में गिलहरी की पीठ पर दो काले रंग की धारियां बनी दिखाई देती हैं। परंतु एक समय था जब गिलहरी के पीठ का रंग एक ही था। पीठ पर कोई भी काली धारी नहीं थी।
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