इन स्थलों को भगवान श्री कृष्ण जी ने बनाया पावन

-देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित हैं यह स्थान

प्रदीप शाही

द्वापर काल में अधर्म के बढ़ रहे अत्याचारों को समाप्त कर धर्म की विजय के लिए सृष्टि के पालनकर्ता भगवान श्री विष्णु जी ने भगवान श्री कृष्ण के रुप में इस धरती पर एक इंसान के रुप में अवतरित हो कर अनेक लीलाएं की। भगवान श्री कृष्ण ने अपने जीवन काल में जहां भी अपना समय व्यतीत किया। वह स्थान आज श्री कृष्ण को पूजने वालों के लिए पावन स्थल बन गए हैं। आईए, आज आपको बताएं कि भारत में कहां पर स्थित हैं, वह पावन स्थल।

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इस चबूतरे पर श्री कृष्ण जी ने रखा था पहला कदम

भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थली मथुरा। यह स्थान आज भी मथुरा के नाम से ही भक्तों के लिए पावन स्थान है। धार्मिक ग्रंथों अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था। चाहो मौजूदा समय में यहां पर कारागार तो नहीं है। परंतु मंदिर में पहुंच कर अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। जहां पर ऐसा प्रतीत होता है कि श्री कृष्ण ने इसी जगह पर जन्म लिया होगा। मंदिर के विशाल हाल में एक उंचा चबूतरा बना हुआ है। यह चबूतरा उसी स्थान पर निर्मित है। जहां श्री कृष्ण ने इस धरती पर पहला कदम रखा था। भक्तजन इसी चबूतरे को नमन कर भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

यह है मथुरा स्थित वह स्थान जहां श्री कृष्ण का जन्म हुआ था| धार्मिक ग्रंथों के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था| अब इस स्थान पर कारागार तो नहीं है| परन्तु यहां अंदर का नजारा ऐसा बनाया गया है कि देखने वाले को लगे कि श्री कृष्ण का जन्म यहीं हुआ था| यहां एक हाल में ऊंचा चबूतरा बना हुआ है| कहते हैं यह चबूतरा उसी स्‍थान पर है जहां श्री कृष्‍ण ने धरती पर पहला कदम रखा था| श्रद्धालु इसी चबूतरे से स‌िर ट‌िकाकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं|

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नंदराय मंदिर था नंद राय का निवास स्थान

यह पावन स्थान नंद गांव में स्थित है। जहां पर नंदराय का भव्यमंदिर हैं। श्री कृष्ण के पिता ने महाराजा कंस के डर से अपने पुत्र श्री कृष्ण को अपने परम मित्र नंद राय को सौंप दिया था। द्वापर काल में यह स्थान पर नंद राय का निवास स्थान था। इसी पावन स्थान पर ही श्री कृष्ण जी का बालपन गुजरा था। मौजूदा समय में इस स्थान पर एक मंदिर स्थापित किया हुआ है। मंदिर के पास ही एक विशाल सरोवर है। माना जाता है कि इसी सरोवर के जल से माता यशोदा श्री कृष्ण को स्नान करवाती थी। इस सरोवर का जल बेहद पवित्र माना जाता है। भक्त जन जो भी इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं। वह इस सरोवर के जल से स्नान अवश्य करते हैं।

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यहां पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता उपदेश

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एक ऐसा स्थान है। जहां पर भगवान श्री कृष्ण ने अपने प्रिय अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। आज इस स्थान को ज्योतिसर या गीता उपदेश स्थल के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर एक पीपल के पेड़ के नीचे श्री कृष्ण जी ने उपदेश दिए। इतना ही नहीं, हजारों साल पुराना यह पेड़ महाभारत के विशाल युद्ध का साक्षी भी है।

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भद्रकाली मंदिर में हुआ था श्री कृष्ण और बलराम का मुंडन

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एक शक्तिपीठ स्थल है। भद्रकाली नामक इस स्थल पर  भक्तजन आकर अपना मस्तक निवाते हैं। यह वह पावन स्थल है जहां पर भगवान श्री कृष्ण जी और उनके बड़े भाई बलराम जी का मुंडन संस्कार संपन्न हुआ था। इसके अलावा एक अन्य मान्यता अनुसार राजस्थान के आमेर स्थित अंबिकेश्वर मंदिर में भी भगवान श्री कृष्ण औऱ बलराम जी का मुंडन किए जाने की जानकारी मिलती है। इस अंबिकेश्वर मंदिर में एक पद चिह्न का निशान है। जिसे भगवान श्री कृष्ण जी का पदचिह्न मान कर पूजन किया जाता है। यहां पर गाय के पांच खुरों के प्राकृतिक चिह्नों को भी पूजा जाता है।

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यहां भगवान परशुराम जी ने श्री कृष्ण को भेंट किया था सुदर्शन चक्र

मध्य प्रदेश स्थित उज्जैन के पास ऋषि संदीपन का आश्रम है। यह वह पावन स्थल है। जहां पर भगवान श्री कृष्ण के अलावा बलराम और सुदामा, ऋषि संदीपन से शिक्षा हासिल करते थे। सबसे अहम बात यह है कि इसी पावन स्थल पर भगवान परशुराम जी ने श्री कृष्ण को सुदर्शन चक्र प्रदान किया था। मौजूदा समय में यहां पर भव्य श्री कृष्ण का मंदिर है। इस मंदिर में श्री कृष्ण जी के अलावा बलराम जी और संदीपन ऋषि की प्रतिमाएं भी मौजूद हैं।

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यहां पर था भगवान श्री कृष्ण का राजमहल

गुजरात में द्वारिकाधीश मंदिर है। यह वह पावन स्थल है। जब श्री कृष्ण ने मथुरा छोड़ कर यहां पर अपना राजपाठ किया था। यह मंदिर सागर के तट पर स्थित है। यह भी कहा जाता है कि यह वहीं स्थल है। जहां पर श्री कृष्ण अपने राजकीय कार्य किया करते थे। इस स्थान को भगवान श्री विष्णु जी के भक्त मोक्ष का द्वार मान कर पूजते हैं। मंदिर के गुंबद पर लगा ध्वज आसमान को छूता दिखाई देता है। यह मनोरम नजारा भक्तों के मन में आस्था का संचार करता है।

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