यहां पर एक रात में बनाई गई थी 999 मूर्तियां…

-यहां रोरो जोंग्गरंग को देवी दुर्गा के रुप में जाता पूजा

दुनिया भर में हिंदू देवी देवताओं के अनेकों मंदिर हैं। वहां की परंपरा अनुसार उन्हें विभिन्न नामों से पुकार कर उनकी पूजा की जाती है। आईए आज आपको इंडोनेशिया में मौजूद शिव मंदिर के इतिहास के बारे जानकारी देते हैं। एक जमाना था जब इंडोनेशिया में रहने वाले लोग हिंदू धर्म को ही मानते थे। 10वीं सदी में बने  रोरो जोंग्गरंग मंदिर या प्रम्बानन मंदिर में त्रिमूर्ति भगवान श्री ब्रह्मा, भगवान श्री विष्णु और भगवान महेश की मनमोहक प्रतिमाएं प्राण-प्रतिष्ठित हैं। यहां पर रोरो जोंग्गरंग को माता दुर्गा के रुप में पूजा जाता है।

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कहां पर स्थित है रोरो जोंग्गरंग मंदिर

10वी सदी में इंडोनेशिया के जावा में निर्मित किए सुंदर और प्राचीन रोरो जोंग्गरंग मंदिर को यहां पर स्थानीय लोग प्रम्बानन मंदिर के नाम से भी जानते हैं। शहर से करीब 17 किलोमीटर दूरी पर स्थित मंदिर में रोरो जोंग्गरंग को माता दुर्गा के रुप में पूजा जाता है। इस मंदिर में त्रिमूर्ति भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मनोरम मूर्तियां प्राण-प्रतिष्ठित हैं।

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क्यों रोरो जोंग्गरंग को देवी दुर्गा के रूप में पूजा जाता है

प्रम्बानन मंदिर, रोरो जोग्गरंग मंदिर में देवों के देव महादेव भगवान शिव के साथ एक देवी की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठित है। उस मूर्ति को यहां पर देवी दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। यहां पर देवी की स्थापना के पीछे एक किदंवती है। कहा जाता है कि एक समय पर जावा का प्रबु बका नाम का एक दैत्य का राज था। उसकी एक बहुत ही सुंदर बेटी थी, जिसका नाम रोरो जोंग्गरंग था। बांडुंग बोन्दोवोसो नाम का एक व्यक्ति रोरो जोंग्गरंग से शादी करना चाहता था, लेकिन रोरो जोंग्गरंग ऐसा नहीं चाहती थी। बांडुंग बोन्दोवोसो के शादी के प्रस्ताव को ठुकराने के लिए रोरो जोंग्गरंग ने उसके आगे के शर्त रखी कि यदि वह एक ही रात में एक हजार मूर्तियां बनाए, तो वह उससे शादी कर लेगी। बांडुंग बोन्दोवोसो ने एक ही रात में 999 मूर्तियां बना दी। और वह आखिरी मूर्ति बनाने लगा। यह देखकर रोरो जोंग्गरंग ने पूरे शहर के चावल के खेतों में आग लगवा कर दिन के समान उजाला करवा दिया। इस घटना से बांडुंग बोन्दोवोसो धोखा खा गया और वह आखरी मूर्ति न बनाने पर शर्त हार गया। जब बांडुंग बोन्दोवोसो को सच्चाई का पता चला, वह बहुत गुस्सा हो गया और उसने रोरो जोंग्गरंग को ही आखिरी मूर्ति बन जाने का श्राप दे दिया। तब से इस मंदिर में मूर्ति में तब्दील हुई रोरो जोंग्गरंग की मूर्ति स्थापित कर दी गई। यहां के लोग रोरो जोंग्गरंग को देवी दुर्गा मान कर ही पूजा करते हैं।

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मंदिर में त्रिदेव ब्रह्मा,विष्णु और शिव का है वास

प्रम्बानन मंदिर में भगवान ब्रह्मा जी, भगवान विष्णु जी और  भगवान भोले नाथ के तीन मंदिर हैं। सभी भगवानों की मूर्तियों के मुंह पूर्व दिशा की ओर है। हर मुख्य मंदिर के सामने पश्चिम दिशा में उससे संबंधित एक मंदिर है। यह मंदिर त्रिदेवों के वाहनों को समर्पित है।

भगवान ब्रह्मा जी के मंदिर समक्ष  हंस, भगवान विष्णु जी के सामने  गरूड़ और भगवान शिव के सामने नंदी का मंदिर बना हुआ है। इनके अलावा परिसर में कई अन्य मंदिर बने हुए हैं। यहां पर भगवान शिव मंदिर बहुत विशाल व सुंदर है। यह मंदिर अन्य देवों भगवान ब्रह्मा जी व भगवान विष्णु जी के मंदिरों के मध्य स्थित है। शिव मंदिर के उत्तर में भगवान विष्णु का और दक्षिण में भगवान ब्रह्मा का मंदिर है। शिव मंदिर के अंदर चार कमरे हैं। जिनमें से एक में भगवान शिव की विशाल मूर्ति प्राण प्रतिष्ठित हैं। जबकि दूसरे कमरे में भगवान शिव के शिष्य अगस्त्य ऋषि की मूर्ति, तीसरे में माता पार्वती की और चौथे में भगवान गणेश जी की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठित है।

मंदिर की दीवारों पर है रामायण के चित्र उकेरे

प्रम्बानन मंदिर की सुंदरता और बनावट देखते ही बनती है। मंदिर की दीवारों पर हिंदू महाकाव्य रामायणकाल के रंग-बिरंगे चित्र भी बने हुए हैं। जो रामायण की कहानी को पेश करते हैं। सदियां बीत जाने के बाद भी इन चित्रों के रंग व कारीगरी दर्शनीय है।

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प्रदीप शाही

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