आटा की होम डिलीवरी के लिए विभिन्न टेंडर जारी

सर्वश्रेष्ठ सेवा प्रदान करने वालों को आकर्षित करने के लिए ऑल इंडिया टैंडर नोटिस

त्रैमासिक गेहूँ वितरण प्रक्रिया अब मासिक आटा चक्र में तबदील

ऐतिहासिक फ़ैसले से गेहूँ की खरीद सीजन दौरान भी आटा वितरण सुनिश्चित होगा

चंडीगढ़: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के अंतर्गत लाभार्थीयों पर आर्थिक बोझ को घटाने और लाभार्थी सरल और पारदर्शी ढंग से अपना मासिक राशन प्राप्त कर सकें, को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा राशन की होम डिलीवरी की सेवा को कार्यशील करने का महत्वपूर्ण प्रयास आरंभ किया गया है।

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इन विवरणों को साझा करते हुए राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि नई बनी पंजाब प्रदेश सहकारी डी2डी मार्किटिंग सोसायटी, लिमिटेड द्वारा डिलीवरी सेवाओं को शामिल करने और फ्लोर मिलों को सूचीबद्ध करने के लिए टैंडर जारी किये गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि अधिक से अधिक पारदर्शिता और व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, डिलीवरी सेवाओं संबंधी टैंडर देशभर में एक प्रमुख आर्थिक मामलों के दैनिक अख़बार में प्रकाशित किये गए हैं और इसके मुल्यांकन समेत सारी टैंडर प्रक्रिया राज्य सरकार के ई-प्रोक्युरमेंट पोर्टल पर ऑनलाइन होगी।

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इस सेवा के लाभों पर प्रकाश डालते हुए प्रवक्ता ने कहा कि लाभार्थी को अब राशन की दुकानों के बाहर लम्बी कतारों में इन्तज़ार करने और अपनी दिहाड़ी छोड़ने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने आगे कहा कि इस प्रक्रिया में किसी भी किस्म की ख़राबी को भी दूर किया जायेगा क्योंकि गेहूँ के मुकाबले आटे में घपलेबाज़ी करना ज्यादा कठिन है। उन्होंने बताया कि पहली बार एसएमएस सेवा शुरू की जा रही है, जिससे लाभार्थी को राशन की निर्धारित होम डिलीवरी की तारीख़ बारे पहले ही सूचित कर दिया जायेगा।

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 राशन वितरण की रफ़्तार में सुधार लाने के सम्बन्ध में, प्रवक्ता ने बताया कि यह पहली बार होगा कि आटे के रूप में अनाज का साल भर निरंतर वितरण करना जारी रखा जायेगा, जोकि मौजूदा स्थिति के बिल्कुल विपरीत होगा जब मंडियों में पीडीएस गेहूँ की पुनः बिक्री को रोकने के लिए मार्च, अप्रैल और मई के दौरान गेहूँ वितरण पर रोक लगाई गई।

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अत्याधुनिक प्रक्रियाओं संबंधी विस्तार में बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रस्तावित प्रणाली की नवीनतम तकनीकें जैसे कि बार कोड, सीसीटीवी, जीपीएस, पीओएस डिवाईसों के साथ बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण आदि का प्रयोग करके स्रोत (गोदाम) से गंतव्य (लाभार्थी) तक गेहूँ के एक-एक दाने का पता लगाया जा सकेगा। वितरण की समूची जानकारी विभाग को वास्तविक समय के आधार पर ऑनलाइन उपलब्ध होगी जो समूची आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में सहायक होगी, जिससे टीपीडीएस अधीन किसी भी ख़राबी को रोका जा सकेगा। अलग-अलग डिजिटल मोड/ वॉलेट जैसे भीम, भारतपे, पेटीएम, गूगल पे आदि के द्वारा 2 रुपए प्रति किलो भुगतान किया जा सकेगा।

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ज़िक्रयोग्य है कि एनएफएसए के अंतर्गत लाभार्थी को मौजूदा समय में हर महीने 5 किलो गेहूँ मिलता है जिसकी जगह अब आटा दिया जायेगा। इससे समय की बचत होगी और लाभार्थीयों को 170 करोड़ रुपए की सालाना बचत भी होगी, जोकि गरीब लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण राशि है, जिनकी आय और बचत कोविड महामारी के कारण काफ़ी घट गई है।

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इसके अलावा लाभार्थीयों को मौजूदा समय में तीन महीनों में एक बार राशन दिया जाता है जिससे उनको भंडारण संबंधी बड़ी समस्या पेश आती है क्योंकि चार व्यक्तियों के एक आम परिवार को 60 किलो गेहूँ मिलता है। परिणामस्वरूप यह आम बात हो गई है कि वह गेहूँ को नज़दीकी आटा चक्की पर दे देते हैं और इसके बदले नकद राशि या कुछ और राशन ले लेते हैं। आटा के वितरण शुरू होने से चार व्यक्तियों के प्रत्येक परिवार को हर महीने 20 किलो आटा मिलेगा, जिसका भंडारण करना और ज्यादा आसान होगा।

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