धर्मेन्द्र संधू
पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति अपनी अलग पहचान रखती है। भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं साल भर आने वाले त्योहार और पर्व। इन्हीं पर्वों में से एक है नवरात्र का पर्व। जो लगातार 9 दिनों तक मनाया जाता है। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। मां दुर्गा के नवरात्र साल में 4 बार आते हैं लेकिन केवल दो बार आने वाले नवरात्र में ही पूर्ण विधि-विधान के साथ मां दुर्गा का पूजन किया जाता है। एक चैत्र नवरात्र में और दूसरा शारदीय नवरात्रों में। इन नवरात्रों में खेत्री बीजने, अखंड ज्योति जलाने व व्रत रखने का खास महत्व है। मान्यता है कि नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूरे विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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क्या है मां दुर्गा की पूजा का विधान?
नवरात्र के प्रथम दिन देवी की अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है और खेत्री बोई जाती है। मां दुर्गा को सुहाग की चीजें जैसे चूड़ियां, बिंदी, मेहंदी, नारियल इत्यादि भेंट की जाती हैं। नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है और अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन करने का विधान है। इसे कंजक पूजन भी कहा जाता है और इसके बाद खेत्री को जल में प्रवाहित किया जाता है।
व्रत रखने वालों के लिए क्यों है भूमि पर सोने का विधान?
जैसे कि पहले ही बताया जा चुका है की देवी पूजन का विधान अत्यंत प्राचीन है। इस दौरान सादे जीवन को अत्यंत महत्व दिया जाता है। इसीलिए अखंड ज्योति प्रज्वलित करने वालों के लिए या व्रत रखने वालों के लिए जमीन पर बिस्तर लगाकर सोने का विधान बनाया गया है। साथ ही यदि व्रत धारण करने वाला वैवाहिक है तो उसके धरती पर सोने के पीछे भी वैज्ञानिक कारण है कि पति-पत्नी एक दूसरे के संपर्क से दूर रहें। माना जाता है कि इस दौरान अगर पति पत्नी दांपत्य जीवन का निर्वाह करते हैं तो उनकी शारीरिक शक्ति क्षीण हो जाती है और व्रत रखने वाले व्यक्ति को शारीरिक दुर्बलता आती है तथा वह पूजा पाठ में चित्त स्थिर नहीं कर पाता।
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क्यों बोई जाती है खेत्री?
भारत एक कृषि प्रधान देश है। नवमीं को कन्या पूजन के पश्चात यह देखा जाता है कि खेत्री किस प्रकार की हुई है। अगर खेत्री घनी और हरी भरी है तो अगले 6 महीने में उत्तम फसल होने का संकेत मिलता है। खेत्री ऊपर से खुली है तो उसे घर-परिवार में तरक्की व खुषहाली आने का सूचक माना जाता है। इसके अतिरिक्त अगर खेत्री के ऊपर का हिस्सा टेढ़ा हो या खेत्री का रंग काला या भूरा हो तो इसे पारिवारिक अशांति का सूचक माना जाता है। यदि खेत्री उगती ही नहीं है तो परिवार में किसी बीमारी का संकेत देती है। कहा जाता है कि अगर खेत्री अच्छी ना हो तो इन सब दुष्प्रभावों से बचने के लिए घर में शांति हवन करवाना चाहिए। कई बार जौ के बीज उत्तम ना होने के कारण भी खेत्री अच्छी नहीं होती। इसलिए बीज बोने से पहले इसकी जांच जरूर कर लें।
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आधुनिक जीवन में नवरात्र की प्रासंगिकता
आज के युग की बदलती जीवन शैली में नवरात्र ठहराव के सूचक हैं। नवरात्र पूजन विधान में सात्विक भोजन और अन्य क्रियाएं हमें सादा जीवन जीने का संदेश देती हैं। नवरात्र का पर्व इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हमें चिंतन मनन की प्रक्रिया से जोड़ता है ताकि हम समझ सकें कि खुशियों का मूल धन नहीं बल्कि आत्मिक शांति है और आत्मिक शांति किसी भी कीमत पर खरीदी नहीं जा सकती बल्कि सादा जीवन, पूजा, ध्यान, दान-पुण्य व त्याग द्वारा ही आत्मिक शांति प्राप्त की जा सकती है।